Meerut: मेरठ समेत पश्चिमी यूपी में डेढ़ महीने बाद भी रफ्तार नहीं पकड़ सकी गेहूं खरीद

Meerut: गेहूं खरीद के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अब खाद्य एवं रसद नियंत्रण विभाग सीधे किसानों से मोबाइल के माध्यम से संपर्क कर रहा है।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Shreya
Update:2022-05-17 15:44 IST

गेहूं (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Meerut News Today: मेरठ (Meerut) समेत पश्चिमी यूपी (Western Uttar Pradesh) में सरकार ने एक अप्रैल से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2015 रुपये प्रति कुंतल पर गेहूं खरीद के लिए केंद्र खोल रखे हैं, लेकिन डेढ़ महीने बाद भी गेंहूं खरीद रफ्तार नहीं पकड़ सकी है। सरकार की ओर से तय गेहूं का भाव के सापेक्ष किसानों को मंडी में ज्यादा मिल रहा है। इस कारण किसान गेहूं क्रय केंद्रों की जगह मंडी में ज्यादा गेहूं बेच रहे हैं। वहीं, गेहूं खरीद के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अब खाद्य एवं रसद नियंत्रण विभाग सीधे किसानों से मोबाइल के माध्यम से संपर्क कर रहा है।

अधिकारियों का कहना है कि गेहूं खरीद के 24 घंटे के अंदर किसानों को भुगतान कर दिया जाएगा। बावजूद इसके अभी तक उत्तर प्रदेश सहकारी संघ (PCF), जिसके प्रदेश में सबसे अधिक 3206 गेहूं क्रय केन्द्र हैं, द्वारा प्रदेश में अभी तक 31369 किसानों से 46 दिनों में 117013.673900 मीट्रिक टन गंहू ही खरीदा जा सका है।

लक्ष्य पूरा करने की कोशिश जारी

वहीं मेरठ जनपद में 134 किसानों से 394.120000 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है। खाद्य विभाग की विपणन शाखा की बात करें तो इस दौरान मेरठ में मात्र 61 किसानों से 46 दिनों में 174.050000 मीट्रिक टन गंहू ही खरीदा जा सका है। कम गेहूं खरीद होने के सवाल पर मेरठ के जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी सत्येंद्र कुमार सिंह इतना ही कहते हैं, एक अप्रैल से मेरठ जनपद में शासन के 43 गेहूं केन्द्रों पर गेहूं खरीद शुरू की गई। आवक कम हैं। कोशिश की जा रही है लक्ष्य पूरा हो जाए। सत्येंद्र कुमार सिंह की मानें तो गेहूं की पैदावार भी इस बार कम हुई हैं।

वहीं, सम्भागीय खाद्य एवं विपणन अधिकारी कौशल देव ने बताया कि सरकार द्वारा तय किए गेहूं के भाव मंडी के भाव से कम है इसलिए किसान विभाग के सेंटरों पर कम और मंडी का रुख ज्यादा कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि मेरठ मंडी में गेहूं खरीद का भाव 2150 रुपये तय हुआ है, जबकि सरकार की ओर से 2015 रुपये भाव है। विभागीय अधिकारियों का कहना है किसानों द्वारा मंडी का रुख करने की एक वजह वहां किसानों को गेहूं बेचने के बाद भुगतान हाथों हाथ मिलना भी है।

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