पंचायत चुनावः न पोस्टर, ना बैनर, प्रत्याशी को इस वजह से खूब मिल रहा समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में वर्तमान समय के इस धनबल, जातिबल के युग में..
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में वर्तमान समय के इस धनबल, जातिबल के युग में चकाचौंध से दूर बहुत ही साधारण तरीके से गवंई सियासत की डगर पर चल रही। इस प्रत्याशी को चुनाव प्रचार करते देख लोग हतप्रभ हो रहें है। प्रत्याशी है आराजीलाईन ब्लाक के कचनार ग्राम प्रधान पद से चुनाव लड़ रही पूजा गुप्ता पति समाज सेवी राजकुमार गुप्ता के साथ बिल्कुल अकेले बेहद सादगी से खुद चुनाव प्रचार कर रही हैं। ना पोस्टर, ना बैनर, एक हाथ में अपने चुनाव चिन्ह का नमूना मतपत्र और दूसरी हाथ में "अच्छे प्रधान का चुनाव क्यूं "जागरूकता पम्पलेट, पर्चा गाँव के वोटरों के घर घर देकर वोट माँगी चल रही हैं।
बता दें पूजा कहती है कि मेरे पास न पैसा है न साधन है सिर्फ़ जनता मेरे साथ है। गाँव के एक एक परिवार से मिलकर वोट देने की अपील कर रही हैं। पूजा का प्रचार का तरीक़ा सादगीपूर्ण व साधारण भाव तथा अकेले पति के साथ प्रचार देखकर लोग उत्साहित हैं। कुछ लोग उनका तस्वीर भी उतार कर शोसल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। लोगों ने कहा कि यही है असली चुनाव लड़ने का तरीका।
जहां चकाचौंध दिखावा से दूर। इसके अलावा ऐसे कई प्रत्याशी है जो सड़कों पर जुलूस निकालकर लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। इन सबके पास पैसा है सो उन्होंने इतना कर लिया पर जिन प्रत्याशियों के पास इतने पैसे नहीं है वह प्रचार कैसे कर रहे हैं। अपने आप को बड़े रईस प्रत्याशियों के बराबर कैसे ला रहे हैं प्रचार प्रसार में इसका जवाब कचनार ग्राम प्रधान पद की प्रत्याशी पूजा गुप्ता को देखने पर मिल जाएगा।
मुम्बई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएटः
जहां धनबल जाति बल मुर्ग़ा दारू बाँटी चोखा के सहारे चुनाव में प्रलोभन देकर प्रचार कर रहे ऐसे प्रत्याशियों के बीच एक सामान्य प्रत्याशी मुम्बई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट पूजा गुप्ता को चुनाव आयोग ने चुनाव निशान कार दिया है। उनके चुनाव प्रचार करते हुए देखने के लिए लोग ठहर जा रहे हैं लोगों की बातों की परवाह किए बग़ैर पूजा रोज सुबह पति का हाथ थामें प्रचार के लिए निकल पड़ती है। फिर गाँव के घर घर जाकर प्रचार का सिलसिला जारी रखती है। अपने गांव में सामाजिक बदलाव की सोच से गवंई सियासत की डगर पर चल रही पूजा गांव में पुरुष वर्चस्व, नशाखोरी, भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए चुनावी जंग में उतरी पूजा पेशे से शिक्षक है।
पूजा ने बताया कि समाजसेवा क्षेत्र में कार्य करते हुए उन्हें अक्सर यह महसूस होता था कि सरकार व प्रशासन में भागीदारी से ही गाँव की बदहाली दूर हो सकती हैं, इसलिए हमने अपने परिचितों, समर्थकों व बुद्धिजीवी लोगों से राय मशवरा करने के बाद गांव में जुआ, नशाखोरी की वजह से हिंसा अराजकता का माहौल है। कुछ लोग चुनाव में जीतने के लिए मुर्गा, दारू आदि प्रलोभन देकर समाज को खोखला कर रहे हैं। इसी को खत्म करने और गाँव के चहुँमुखी विकास के लिए प्रधान बनने के लिए चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है। जिसका गाँव के लोगों ने खूब समर्थन कर रहे हैं।