डॉक्टर और ANM की लापरवाही से हाथ गंवाने वाली महिला को मिलेगा 14 लाख मुआवजा
यह आदेश जस्टिस शबीहुल हसनैन और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने सावित्री देवी की वर्ष 2009 की याचिका पर दिया। याची का कहना था कि वह पेशे से मजदूर थी। मार्च 2009 में वह गर्भवती थी, इस दौरान कुछ दिनों से उन्हें बुखार और सिरदर्द महसूस हो रहा था।
लखनऊ: अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने माना है कि सरकारी अधिकारियों की लापरवाही से हुए नुकसान की भरपाई की जिम्मेदारी सरकार की है। इसके साथ ही मेडिकल नेग्लिजेंस की शिकार एक महिला को कोर्ट ने 14 लाख 11 हजार 250 रुपये का मुआवजा देने का आदेश राज्य सरकार को दिया है।
यह आदेश जस्टिस शबीहुल हसनैन और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने सावित्री देवी की वर्ष 2009 की याचिका पर दिया। याची का कहना था कि वह पेशे से मजदूर थी। मार्च 2009 में वह गर्भवती थी, इस दौरान कुछ दिनों से उन्हें बुखार और सिरदर्द महसूस हो रहा था।
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इलाज के लिए वह 3 मार्च 2009 को रायबरेली जनपद के हरचंदपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर गईं। जहां तैनात डॉ. बृजेश कुमार बेन मौजूद नहीं थे। उस दिन ड्युटी पर मौजूद एएनएम सुधा सिंह ने याची को उसके बाएं हाथ में एक इंजेक्शन दे दिया। जिसके बाद उसके बाएं हाथ में काफी दर्द उठने लगा व उंगलियां काली पड़ने लगी थीं।
उन्होंने सुधा सिंह से बताया तो उसने कोई ध्यान नहीं दिया। बाद में उन्होंने डॉ. बृजेश कुमार बेन को भी अपनी पूरी समस्या बताई। डॉक्टर ने भी ठीक से ध्यान नहीं दिया। उन्होंने केजीएमयू में जब दिखाया तो पता चला कि गलत इंजेक्शन की वजह से उनके बाएं हाथ में गैंगरीन हो चुका था व वह हाथ उन्हें कटवाना पड़ेगा। उधर उनके गर्भ पर भी इसका बुरा असर पड़ा। बाद में उन्हें अपना बायां हाथ कटाना पड़ा और गर्भपात भी हो गया।
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मामले की शिकायत का कोई असर न होता देख याची ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट के आदेश पर महानिदेशक, चिकित्सा व स्वास्थ्य ने मामले की जांच की व एएनएम सुधा सिंह तथा डॉ. बृजेश कुमार बेन को प्रथम दृष्टया दोषी पाया। संयुक्त सचिव स्तर पर हुई जांच में भी दोनों दोषी पाए गए।
कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि सुधा सिंह व डॉ. बृजेश कुमार बेन दोनों सरकारी कर्मचारी थे व उनके लापरवाही से ही याची को अपना हाथ गंवाना पड़ा। लिहाजा कोर्ट ने राज्य सरकार को मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार माना। याची की आमदनी के अनुसार 9 लाख 11 250 रुपये व मानसिक उत्पीड़न व कृत्रिम हाथ लगवाने के लिए पांच लाख रुपये अलग से बतौर मुआवजा प्रदान किये जाने का आदेश कोर्ट ने राज्य सरकार को दिया।
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