Women Under 19 World Cup 2023: अर्चना की धारदार गेंदबाजी से चैंपियन बनी भारतीय टीम, आज भी छप्पर के नीचे रहता परिवार

Unnao News: पहली बार खेले गए महिला अंडर-19 टी20 विश्वकप के फाइनल में भारत इंग्लैंड को सात विकेट से हराकर विश्व चैंपियन बना है। भारतीय की इस जीत में उन्नाव की बेटी अर्चना ने धारदार गेंदबाजी से अहम योगदान दिया।

Written By :  Prashant Dixit
Report :  Naman Mishra
Update:2023-01-30 10:17 IST

Unnao Cricketer Archana Nishad Biography (Photo: Social Media)

Unnao News: पहली बार खेले गए महिला अंडर-19 टी20 विश्वकप के फाइनल में भारत इंग्लैंड को सात विकेट से हराकर विश्व चैंपियन बन गया। भारतीय टीम की इस जीत में उन्नाव की बेटी की धारदार गेंदबाजी ने भी अहम योगदान दिया। ऑल राउंडर खिलाड़ी और दांए हाथ की गेंदबाज अर्चना ने तीन ओवर में 17 रन देकर दो महत्वपूर्ण विकेट चटकाए और भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई है।

घर के बाहर छप्पर के नीचे लगा टीवी 

बांगरमऊ तहसील के रतईपुरवा गांव में रविवार को शाम से ही सन्नाटा पसर गया। हर तरफ किक्रेट की कमेंट्री ही सुनाई दे रही थी। इस गांव की रहने वाली बेटी अर्चना निषाद को उसके पहले विश्वकप के फाइनल मैच में खेलते हुए देखने के लिए उसके घर पर लोगों की भीड़ लग गई। घर के बाहर छप्पर के नीचे टीवी लगाया गया। आपको बता दें 14 जनवरी को हुए विश्वकप मैच के दौरान बिजली चली गई और परिजनों को मैच देखने के लिए मोबाइल फोन का सहारा लेना पड़ा था।

आईपीएस ने घर भिजवाया सोलर सिस्टम

इस बार लखनऊ पुलिस मुख्यालय में तैनात आईपीएस पंकज पांडेय ने बिल्हौर पुलिस के जरिए अर्चना के घर सोलर पैनल भेजवाया। रविवार को दो पुलिस कर्मी सोलर पैनल लेकर अर्चना के घर पहुंचे तो परिजनों और ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। कल की शाम को विदेशी धरती पर गांव की बेटी की गेंदबाजी देखने के लिए लोग जमा थें। भारतीय टीम की जीत के बाद ग्रामीणों ने मिल कर में जश्न मनाया और पटाखे फोड़कर खुशी मनाई व अर्चना की मां, भाई अन्य परिजनों को मिठाई खिलाई।

बेटी को टीवी पर देख फूली नहीं समाई मां

बेटी को अंतरराष्ट्रीय मैच में खेलते हुए देख अर्चना की मां की आखों से खुशी के आंसू बहते रहे। वह खुशी से फूली नहीं समा रही थी। क्रिकेट की बहुत समझ न होने के कारण वह बेटे रोहित को अपने सामने बैठाकर हर गेंद और शॉट पर पूछती बेटा... अब क्या हुआ। बेटा बहन के विकेट लेने की जानकारी देता तो वह ऐसे खुश हो जाती मानों उसने जग जीत लिया हो। वह कवरेज कर रहा कैमरे घूमते ही वह बेटी को देख बलईया लेती और आसमान की ओर देखकर बेटी की सफलता और भारतीय टीम की जीत की कामना करती रही।

मां बोली मेरी बेटी ने सकार किया सपना

अर्चना के पिता शिवराम का साल 2008 में बीमारी से निधन हो गया था। मां सावित्री ने बताया कि पति की मौत के बाद बच्चों के परवरिश की जिम्मेदारी उन पर (सावित्री) आ गई थी। डेढ़ बीघा खेती और भैंस का दूध बेचकर उन्होंने बच्चों की परवरिश की ओर ससुर धनीराम ने अपनी पौत्री अर्चना के जुनून और जिद के बाद उसका दाखिला वर्ष 2016 में गंजमुरादाबाद के एक स्कूल में कराया। वहां अर्चना ने क्रिकेट को अपना पसंदीदा खेल चुना और अपनी गेंदबाजी के जरिए बल्लेबाजों को खूब परेशान किया।

स्कूल जानें के लिए नही होते 30 रूपये 

अर्चना निषाद के अंदर छुपी खेल प्रतिभा को विद्यालय शिक्षिका पूनम ने पहचाना और प्रोत्साहित किया। इसके बाद अर्चना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कोच कपिल पांडेय के प्रशिक्षण में अर्चना ने गेंदबाजी को धारदार किया। आज कड़ी मेहनत के बाद वह इस मुकाम पर पंहुची है। मां ने बताया कि 2016 में गंजमुरादाबाद के कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में बेटी का दाखिला कराया था। स्कूल घर से दूर होने के कारण बस से जाना पड़ता था। उस समय कभी-कभी उसके पास किराया देने के लिए 30 रुपये भी नहीं होते थे। 

आज भी छप्पर के नीचे रहता परिवार

भाई रोहित ने बताया बहन अर्चना को मिली मैच फीस के जरिए वह पहले अपना घर बनवाएंगे। उसने बताया कि बहन ने फोन पर बात की और घर बनवाने के लिए तैयारी करने को कहा है। मां के पास मोबाइल फोन भी नहीं था। अर्चना ने विश्वकप देखने के लिए मां को मोबाइल गिफ्ट मिला था। जिसके जरिए बार परिजनों ने बेटी को विश्वकप खेलते देखा था। आपको बता दें अभी भी अर्चना के परिजन छप्पर के नीचे गुजारा करते है।

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