Yogi Adityanath: उत्तराखंड के अजय सिंह बिष्ट ऐसे बने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, पढ़ें ये पूरी कहानी

Yogi Adityanath Birthday: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्तमान में भारतीय राजनीति (Indian Politics) के सबसे दिलचस्प किरदार बन चुके हैं। उतना ही दिलचस्प सीएम योगी का अबतक का सफर भी है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update:2022-06-05 06:57 IST

सीएम योगी (फोटो- न्यूजट्रैक)

Yogi Adityanath Birthday 5 June: नाथ संप्रदाय के सबसे बड़े पीठ गोरक्षपीठ के महंत और हिंदुस्तान की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का वर्तमान में यही परिचय है। भारत के अबतक के इतिहास में शायद ही किसी महंत का ऐसा परिचय रहा होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वर्तमान में भारतीय राजनीति (Indian Politics) के सबसे दिलचस्प किरदार बन चुके हैं, जिसकी अपील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बाद देश के अन्य राज्यों में सबसे अधिक है।

उतना ही दिलचस्प सीएम योगी का अबतक का सफर भी है। तो आईए एक नजर उत्तराखंड के अजय सिंह बिष्ट के यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ बनने की पूरी स्टोरी पर डालते हैं –

उत्तराखंड से सफर की शुरूआत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Birthplace) का सफर उत्तराखंड (Uttarakhand) के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक छोटे से गांव पंचूर से शुरू होता है। 5 जून 1972 को इसी गांव के रहने वाले आनंद सिंह बिष्ट और सावित्री देवी के घर एक बालक का जन्म होता है। जिसका नाम अजय सिंह बिष्ट रखा गया। अजय अपने सात भाई-बहनों में पांचवें स्थान पर आते थे। उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर से गणित में स्नातक किया। साल 1993 में गणित से मास्टर्स करने के दौरान वह गोरखपुर आए। 1993 को अजय सिंह बिष्ट के जीवन का टर्निंग प्वाइंट माना जाता है, क्योंकि इसी साल वह उस शख्स से मिले, जिसने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी। उनका नाम, पहचान सबकुछ आने वाले दिनों में बदलने वाला था।

सीएम योगी आदित्यनाथ (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

अजय से बने आदित्यनाथ

बताया जाता है कि अजय सिंह बिष्ट अपने गौरखपुर प्रवास के दौरान जब गोरक्षपीठ के मठाधीश और महंत अवैद्यनाथ से मिले तो वह काफी प्रभावित हुए। एक झटके में ही उनके मन से सांसरिक मोह-माया दूर हो गया और वह सन्यास धारण के लिए बेताब हो गए। अजय ने बडे महाराज अवैद्यनाथ जी के सामने सन्यासी बनने की इच्छा प्रकट की। लेकिन बड़े महाराज ने शायद उनकी कम उम्र को देखते हुए उन्हें घर वापस जाने के लिए कह दिया। इस बीच अजय सिंह बिष्ट के लोग भी उन्हें मनाने और वापस घर ले जाने के लिए गोरखपुर है मगर वो टस से मस नहीं हुए। उन्होंने एकबार फिर महंत अवैद्यनाथ के सामने सन्यास धारण करने की इच्छा प्रकट की। इसबार बड़े महाराज भी उन्हें इनकार नहीं कर पाए और आखिरकार 15 फरवरी 1994 को बड़े महाराज महंत अवैद्यनाथ ने अजय सिंह बिष्ट को दीक्षा देकर उन्हें योगी आदित्यनाथ बना दिया।

राजनीति में आगमन

गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ का राजनीति से बेहद करीबी और पुराना नाता रहा है। गोरक्षपीठ के मठाधीश और महंत अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी के तौर पर देखे जाने वाले योगी आदित्यनाथ का भी सियासत में पर्दापण तय था। योगी की सियासी अनुभव की शुरूआत 1996 से शुरू होती है जब उन्होंने लोकसभा चुनाव में महंत अवैद्यनाथ के चुनाव संचालन का जिम्मा संभाला। चुनाव संचालन से प्रभावित बड़े महाराज जी ने इन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया। 1998 के लोकसभा चुनाव के लिए योगी के नाम का ऐलान भी कर दिया गया। योगी आदित्यनाथ ने मात्र 26 की उम्र में सांसदी का चुनाव जीतकर अपने सियासी जीवन का शानदार आगाज किया।

पूर्वांचल में बढ़ा सियासी कद

गोरखपुर को पूर्वांचल की राजनीति का केंद्र कहा जाता है और यहां पर गोरक्षपीठ मठ का हमेशा से एक मजबूत दखल रहा है। बेहद कम उम्र में राजनीति में कदम रखने वाले योगी आदित्यनाथ ने बेहद कम समय में अपनी पकड़ इलाके में मजबूत कर ली। उनकी ख्याति बढ़ने लगी थी और उनके बयान काफी सुर्खियां बटोरने लगे। योगी ने यूपी में बीजेपी की धार कम होती देख हिंदुत्व में नई जान डालने के लिए हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया, जो बाद के दिनों में उनके लिए एक बड़ी ताकत बना।

हिन्दू युवा वाहिनी की ताकत के बल पर ही वह बीजेपी को अपने शर्तो पर झुकाने में कामयाब रहते थे। योगी का राजनीतिक कद पूर्वांचल में बढता गया। यही वजह है कि जब यूपी में बीजेपी लगातार सिमट रही थी, योगी ने उसी बीजेपी के टिकट पर वर्ष 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीत हासिल कर 42 वर्ष की उम्र में लगातार पांच बार सांसद होने का रिकार्ड बना डाला। ऐसा उनके व्यक्तिगत करिश्मा के कारण ही संभव हो सका।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

2017 में बैठे यूपी के सिंहासन पर

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अप्रत्याशित सफलता हासिल की थी। भगवा दल ने 15 साल के वनवास के बाद मोदी-शाह के करिश्माई नेतृत्व में विराट जीत हासिल की थी। तब मीडिया में यूपी के संभावति मुख्यमंत्री के तौर पर कई चेहरों के नाम चल रहे थे। इनमें योगी आदित्यनाथ का नाम लगभग था। लेकिन पीएम मोदी और अमित शाह ने सबको चौंकाते हुए तत्कालीन गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ को प्रदेश का ताज सौंप दिया।

अपने बयानों के कारण आलोचकों के निशाने पर रहने वाले योगी आदित्यानथ के बार में किसी ने कल्पना नहीं की थी, वह प्रदेश की सीएम बनेंगे। 9 मार्च 2017 को पहली बार प्रदेश के मुख्यपमंत्री पद की शपथ लेने वाले योगी आदित्यनाथ ने एकबार फिर सबको चौंकाते हुए लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर सीएम पद की शपथ ली। देश के सबसे बड़े सियासी प्रदेश में योगी युग कितने समय तक चलेगा, ये तो भविष्य के गर्भ में है।

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