पूर्णिमा श्रीवास्तव
गोरखपुर : योगी सरकार मिशन 2019 की तैयारी में पूरी तरह जुट गई है। संपर्क फॉर समर्थन, चैपाल सरीखे कार्यक्रमों से जहां आम लोगों तक पहुंचने की कोशिशें हो रही हैं, वहीं सरकार विकास कार्यों से अपनी छवि निखारने में जुटी नजर आ रही है। इसीलिए योगी सरकार 'मिशन 2019' से पहले 'मिशन दिसम्बर' को लेकर आगे बढ़ रही है। सरकार की मंशा है कि गोरखपुर और आसपास के जिलों में दिसम्बर तक विकास की दर्जन भर योजनाएं हकीकत का शक्ल ले लें। फोरलेन, एम्स से लेकर अंडरपास की योजनाएं दिसम्बर तक जमीन पर नजर आने लगे इसे देखते हुए योगी से लेकर अफसर तक कसरत करते नजर आ रहे हैं।
प्रदेश सरकार ने 32 फोरलेन सड़कों का काम दिसम्बर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। जिसे विशेष टीम प्रत्येक 15 दिन पर मानीटर करेगी। गोरखपुर की तीन फोरलेन सड़कें भी इस प्रोजेक्ट में शामिल की गई हैं। सरकार का दावा है कि गोरखपुर-देवरिया, गोरखपुर-महराजगंज और सर्किट हाउस से लेकर एयरपोर्ट स्टेशन तक की फोरलेन सड़क का निर्माण दिसम्बर तक पूरा हो जाएगा। लेकिन इन कामों की प्रगति देखकर दिसम्बर तक लोकार्पण की स्थिति बनती नहीं दिख रही है। सबसे बड़ी बाधा बजट की भी है। लगभग सभी योजनाओं में कार्यदायी संस्थाओं को पर्याप्त पैसा नहीं मिल सका है। प्रदेश सरकार जिन सात कार्यों पर विशेष नजर रखे हुए उसकी प्रगति कुछ इस तरह है।
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टारगेट-1
प्रोजेक्ट-गोरखपुर से महराजगंज फोरलेन सड़क
लागत-183 करोड़
दिया गया पैसा -48 करोड़
कार्य की प्रगति-47 फीसदी
गोरखपुर से महराजगंज फोरलेन में से 19 किमी सड़क का निर्माण पीडब्ल्यूडी की गोरखपुर इकाई को कराना है। 183 करोड़ की लागत वाली इस योजना में अब तक 48 करोड़ रुपये ही मिले हैं। गुलरिहा से भटहट तक का काम धीरे-धीरे चल रहा है लेकिन गुलरिहा से असुरन तक करीब 7 किमी लंबाई में अभी काम ही नहीं शुरू हुआ है। सरैया से लगायत भटहट से आगे पिपरालाला तक सड़क की एक पटरी पर गिट्टी व मिट्टी पड़ी हुयी है। कस्बे में सड़क अभी तक नहीं तोड़ी गयी है। असुरन से लेकर मेडिकल तक चिन्हित करीब 750 अतिक्रमण फोरलेन के निर्माण में बाधक बने हुए हैं। विभाग ने दुकानदारों और आवासीय भवन मालिकों को नोटिस देकर अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। फर्म ने पीडब्ल्यूडी को पत्र लिख कर अतिक्रमण हटवाने का अनुरोध किया है।
टारगेट-2
प्रोजेक्ट-सर्किट हाउस से एयरपोर्ट स्टेशन तक फोरलेन सड़क
लागत-110 करोड़
दिया गया पैसा -20 करोड़
कार्य की प्रगति-18 फीसदी
सर्किट हाउस से पैडलेगंज होते हुए एयरपोर्ट स्टेशन तक करीब 9 किमी फोरलेन सड़क को दिसम्बर तक पूरा करना संभव नहीं दिख रहा है। अभी तो सिर्फ बिजली का केबिल बिछाने के लिए कंक्रीट की दिवार बनाई जा रही है। यह काम दो महीने से पहले पूरा होता नहीं दिख रहा है। बारिश ने अपना रंग दिखाया तो काम पर ब्रेक लगना तय है। सर्किट हाउस से पैडलेगंज तो काफी काम हो गया है लेकिन पैडलेगंज से लेकर मोहद्दीपुर होते हुए एयरपोर्ट स्टेशन तक काम की प्रगति काफी धीमी है। फर्म के प्रोपराइटर अजय कुमार उर्फ टप्पू सिंह का कहना है कि केबिल बिछाने के लिए कंक्रीट की दीवार का काम पूरा हो जाए तो तीन महीने में फोरलेन का निर्माण पूरा हो जाएगा।
टारगेट-3
प्रोजेक्ट-गोरखपुर-देवरिया फोरलेन
लागत-280 करोड़
अवमुक्त रकम-55 करोड़
कार्य की प्रगति-42 फीसदी
गोरखपुर-देवरिया फोरलेन का निर्माण भी दिसम्बर तक पूरा होने का दावा सरकार द्वारा किया जा रहा है। सड़क का निर्माण तो जैसे-तैसे चल रहा है लेकिन सेतु निगम ओवरब्रिज और लाईओवर का काम अभी तक शुरू नहीं कर सका है। इस सड़क पर छह पुलों का निर्माण कराया जाना है। इसमें चौरीचौरा और गौरीबाजार के बीच रेलवे क्रासिंग पर ओवरब्रिज का निर्माण कराया जाना है। ब्रिज कारपोरेशन प्रस्ताव को लेकर मंजूरी तो मिल गई है लेकिन काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है।
टारगेट-4
प्रोजेक्ट : कुशीनगर का मैत्रेय परियोजना
प्रगति-जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। भगवान बुद्ध की प्रतिमा का निर्माण चालू है।
भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में पिछले दो दशक से लंबित मैत्रेय परियोजना के पहले चरण को दिसम्बर तक पूरा करने का दावा पर्यटन विभाग द्वारा किया जा रहा है। दिसम्बर तक वहां भगवान बुद्ध की 200 फिट ऊंची स्टैच्यू की स्थापना हो जाएगी। इसके बेसमेंट में मेडिटेशन सेंटर बनाया जाएगा। परियोजना के लिए प्रशासन ने किसानों की करीब 195 एकड़ भूमि अधिग्रहित कर ली है लेकिन अभी तक बाउंड्री का काम भी नहीं हो सका है। मैत्रेय संस्था की निदेशक वैज्येनिया ने जानकारी दी है कि दिसम्बर तक प्रतिमा स्थापित कर दी जाएगी।
परियोजना में कैथड्रल युक्त लैंडस्केप पार्क, विहार, दीक्षास्थल, रिसार्ट्स, होटल, गेस्ट हाउस, पुस्तकालय और फूड हाल आदि का निर्माण भी किया जाना है। इंटरनेशनल अस्पताल, स्कूल व कॉलेज भी स्थापित करने की योजना है। पहले मैत्रेय परियोजना कुशीनगर में 750 एकड़ में स्थापित होनी थी लेकिन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ लम्बे आंदोलन के कारण परियोजना जमीन पर नहीं उतर सकी। वर्ष 2012 में इस परियोजना का आकार करीब 250 एकड़ तक सीमित कर दिया गया। बुद्ध की प्रतिमा की उंचाई भी 500 फीट से घटाकर 200 फीट कर दी गई। पर्यटन अधिकारी का कहना है कि संस्था भगवान बुद्ध की प्रतिमा दूसरे स्थान पर बनवा रही है, उसे दिसम्बर में स्थापित कर दिया जाएगा।
टारगेट-5
परियोजना का नाम : नंदानगर अंडरपास और कौआबाग अंडरपास
लागत-28 करोड़
अवमुक्त रकम-16 करोड़
प्रगति-कौंआबाग क्रासिंग 10 फीसदी और नंदानगर 5 फीसदी
गोरखपुर से कुशीनगर की बीच स्थित नंदानगर क्रासिंग पर घंटों जाम की समस्या सुलझाने के लिये अंडरपास की योजना है। इसके अलावा शहर में कौआबाग अंडरपास की भी मांग लंबे समय से चल रही है। दोनों अंडरपास का निर्माण शुरू हो चुका है। काम की रफ्तार देख कर लगता नहीं कि ये काम समय पर पूरा हो पायेगा। प्रस्तावित एम्स और एयरपोर्ट की बीच स्थित नंदानगर क्रासिंग पर अभी तक काम नहीं शुरू हो सका है। जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले महीने निरीक्षण कर अधिकारियों को दिसम्बर तक निर्माण कार्य पूरा करने का निर्देश दिया था। कौआबाग क्रासिंग पर अंडरपास का निर्माण पूर्वोत्तर रेलवे करा रहा है। इसे भी दिसम्बर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। रेलवे ने बीते जनवरी में ही क्रासिंग को बंद कर निर्माण कार्य शुरू कर दिया लेकिन प्रगति बहुत सुस्त है।
टारगेट-6
परियोजना का नाम : एम्स
लागत-1008 करोड़
प्रगति-5 फीसदी
अवमुक्त रकम-21.56 करोड़
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों प्रस्तावित एम्स की साइट का निरीक्षण कर दिसम्बर तक ओपीडी का निर्माण पूरा करने का दावा किया था। मार्च 2019 तक एम्स की ओपीडी चालू करने का भी दावा है। लेकिन दिसम्बर तक ओपीडी भवन का निर्माण किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। एम्स में होने वाले जलभराव से निजात के लिए 13 करोड़ की लागत से नाले का निर्माण होना है लेकिन निर्माण कार्य अभी तक सर्वे से आगे नहीं बढ़ सका है। एम्स के बाबत चौरीचौरा निवासी राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा ने प्रधानमंत्री कार्यालय से सवाल किये थे जिसपर जवाब मिला था कि मार्च 2020 तक एम्स का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। बता दें कि 21 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एम्स का शिलान्यास किया था।
टारगेट-7
परियोजना का नाम : अशफाकउल्लाह खां प्राणी उद्यान
लागत-113 करोड़
अवमुक्त रकम-43 करोड़
प्रगति-30 फीसदी
पिछले एक दशक से तमाम अवरोधों के बीच निर्माणाधीन अशफाकउल्लाह खां प्राणी उद्यान का शुभारंभ दिसम्बर में दिये जाने का दावा किया जा रहा है। प्रदेश में सबसे बड़े चिडिय़ाघर में 200 से अधिक जीवजन्तु होने का दावा किया जा रहा है। पिछले दिनों प्रदेश के वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान मंत्री दारा सिंह चैहान ने निरीक्षण के बाद जो दावे किये थे, वह हकीकत में दिख नहीं रहे हैं। 121.34 एकड़ में प्रस्तावित चिडिय़ाघर में वन्य जीवों के लिए 34 बाड़ों का निर्माण किया जाना है। दावों के उलट चिडिय़ाघर की प्रगति संतोषजनक नहीं दिख रही है। कार्यदायी संस्था राजकीय निर्माण निगम अभी तक बाउंड्री का निर्माण भी पूरा नहीं कर सका है।