योगी सरकार: साल भर नहीं खर्च पाए बजट, साल के अंतिम महीने में 27 फीसदी 

Update: 2018-08-31 15:00 GMT

लखनऊ : यूपी में सत्ता परिवर्तन हुए भले ही 16 महीने हो गए हैं। पर यूपी के नौकरशाहों की कार्यशैली में परिवर्तन नहीं आया। उनका काम करने का पुराना ढर्रा अब तक बरकरार है। विधानसभा में पेश भारत के नियंत्रक—महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट यह सच बयां कर रही है। साल के अंतिम दिन पंचातयीराज महकमे के 3053 करोड़ खर्च की स्वीकृति के आंकड़े इसकी बानगी है।

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक पंचायतीराज महकमे को स्वच्छ भारत मिशन और ग्राम पंचातयों को सहायता देने के लिए बजट में 13409.89 करोड़ की व्यवस्था की गई थी। महकमा साल भर में इस बजट का एक बड़ा हिस्सा नहीं खर्च कर पाया। पर वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने यानि अकेले मार्च में 27 फीसदी धनराशि खर्च की गई। यह धनराशि 3813.33 करोड़ रूपये थी।

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उनके खर्च में कंजूसी का सिलसिला यहीं नहीं रूका। बल्कि वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने यानि मार्च के अंतिम दिन (30 मार्च) को स्वच्छ भारत मिशन और ग्राम पंचायतों को सहायता अनुदान सरीखी योजनाओं में कुल 3053.81 करोड़ की स्वीकृति दे दी। मजे की बात यह है कि हर वित्तीय वर्ष में जन कल्याणकारी योजनाओं में पैसा खर्चने में कंजूसी का मामला हमेशा चर्चा बटोरता रहा है। समय के साथ इसमें सुधार होना चाहिए। पर नौकरशाहों की कार्यशैली मीटिंग और निर्देशों की रस्म अदायगी से एक कदम आगे नहीं बढ पा रही है।

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