Loksabha Election 2024: बांदा लोकसभा सीट पर भाजपा के विजय रथ को सपा और बसपा रोकने की कर रहे तैयारी, जानें यहां का समीकरण
Banda Loksabha Seats Details: बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट पर सबसे अधिक कांग्रेस का दबदबा रहा है। लेकिन आजादी के बाद अब तक हुए 17 चुनावों में सभी राजनीतिक दलों ने जीत का स्वाद चखा है। फिलहाल इस सीट पर भाजपा का कब्जा है।
Lok Sabha Election 2024: यूपी में बुंदेलखंड इलाके के चुनिंदा सीटों में शामिल बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट की पहचान पूर्व विदेश मंत्री व कालाकांकर प्रतापगढ़ रियासत के राजा दिनेश सिंह के नाम से होती है। इस सीट पर सबसे अधिक कांग्रेस का दबदबा रहा है। लेकिन आजादी के बाद अब तक हुए 17 चुनावों में सभी राजनीतिक दलों ने जीत का स्वाद चखा है। फिलहाल इस सीट पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाने के लिए आरके सिंह पटेल पर दुसरी बार दांव लगाया है। जबकि सपा ने पूर्व राज्यमंत्री शिवशंकर सिंह पटेल को चुनावी रण में उतारा है। वहीं बसपा ने मयंक द्विवेदी को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में यहां लड़ाई त्रिकोणीय हो गया है।
अगर लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो भाजपा के आरके सिंह पटेल ने सपा बसपा के संयुक्त उम्मीदवार रहे श्यामा चरण गुप्ता को 58,938 वोट से हराकर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में आरके सिंह पटेल को 4,77,926 और श्यामा चरण गुप्ता को 4,18,988 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के बाल कुमार पटेल को 75,438 वोट मिले थे। वहीं लोकसभा चुनाव 2014 में मोदी लहर के दौरान भाजपा के भैरो प्रसाद मिश्र ने बसपा के आरके सिंह पटेल को 1,15,788 वोट से हराकर करीब एक दशक बाद इस सीट पर कमल खिलाया था। इस चुनाव में भैरो प्रसाद मिश्र को 3,42,066 और आरके सिंह पटेल को 2,26,278 वोट मिले थे। जबकि सपा के बाल कुमार पटेल को 1,89,730 और कांग्रेस के विवेक कुमार सिंह को महज 36,650 वोट मिले थे।
Banda Vidhan Sabha Chunav 2022 Details
Banda Lok Sabha Chunav 2014 Details
यहां जानें बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र के बारे में (Banda Loksabha Seats Details in Hindi)
- बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र का निर्वाचन संख्या 48 है।
- यह लोकसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया था।
- इस लोकसभा क्षेत्र का गठन बांदा जिले के बाबेरू, नारैनी व बांदा और चित्रकूट जिले के चित्रकूट और माणिकपुर विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर किया गया है।
- बांदा-चित्रकूट लोकसभा के 5 विधानसभा सीटों में से 2 पर भाजपा, 2 पर सपा और 1 पर अपना दल (सोनेलाल) का कब्जा है।
- यहां कुल 17,02,024 मतदाता हैं। जिनमें से 7,74,933 पुरुष और 9,27,028 महिला मतदाता हैं।
- बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव में कुल 10,34,912 यानी 60.80 प्रतिशत मतदान हुआ था।
बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास (Banda Loksabha Seats Political History)
केन और यमुना नदी के बीच बसा शहर बांदा को महर्षि वामदेव की तपोभूमि कहा जाता है। इस शहर का नाम महर्षि वामदेव के नाम पर ही रखा गया है। पहले इसे बाम्दा कहते थे फिर बाद में बांदा पड़ा। मां महेश्वरी देवी का सात खंड का मंदिर यहां पर स्थित है। इसके अलावा संकट मोचन मंदिर, मां काली देवी मंदिर, वामदेवेश्वर मंदिर को यहां के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। बांदा जिले का इतिहास पाषाण काल और नवपाषाण काल के दौर का माना जाता है। इस क्षेत्र के सबसे पहले ज्ञात शासक यायात्री को माना जाता है, जिनके बड़े पुत्र यदु को यह क्षेत्र विरासत में मिली था। उनकी संतानों ने बाद में इस इलाके का नाम चेदि-देश रख दिया। यहां पर कालिंजर के नाम की एक पहाड़ी है, जिसे पवित्र माना जाता है। वेदों में भी इसका उल्लेख किया गया है। साथ ही यह भी माना जाता है कि प्रभु श्रीराम ने अपने 14 साल के वनवास काल के दौरान 12 साल चित्रकूट में बिताए थे, जो कुछ साल पहले तक यह बांदा जिले का हिस्सा हुआ करता था। कहते हैं कि प्रसिद्ध कालिंजर-पहाड़ी (कलंजराद्री) का नाम भगवान शिव के नाम पर है, जो कालिंजर के मुख्य देवता हैं जिन्हें आज भी नीलकंठ कहा जाता है। बता दें कि 90 के दशक में तत्कालीन मायावती सरकार ने बांदा को विभाजित कर पहले साहू जी महाराज नगर बनाया, जिसे मुलायम सरकार ने पुनः चित्रकूट नाम दिया। इसी तरह कल्याण सरकार ने बांदा, हमीरपुर, चित्रकूट और महोबा को मिलाकर चित्रकूट धाम मंडल बनाया था। इसी दौरान लोकसभा सीट को बांदा चित्रकूट कहा जाने लगा, लेकिन इसके पहले ही लोकसभा क्षेत्र में चित्रकूट का दबदबा था।
1984 के बाद कांग्रेस को नहीं मिली सफलता (Banda Congress Vote Percentage)
आजादी के बाद बांदा-चित्रकूट लोकसभा सीट पर अब तक हुए चुनाव में मतदाताओं ने 11 बार चित्रकूट या गैर जनपदों के उम्मीदवारों के सिर पर ताज सजाया है। बांदा के सिर्फ 6 उम्मीदवारों को सांसद बनने का मौका मिला है। इस सीट पर 1952 में हुए चुनाव में फतेहपुर निवासी शिवदयाल उपाध्याय पहले सांसद बने थे। दूसरा चुनाव 1957 में हुआ तो प्रतापगढ़ के कालाकांकर रियासत के राजा दिनेश सिंह के सिर ताज सजा था। तब वह कांग्रेस के टिकट पर चुने गए थे। 1962 में कांग्रेस की सावित्री निगम सांसद बनीं थी। लेकिन 1967 के चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जागेश्वर यादव सांसद चुने गए। फिर 1971 में भारतीय जनसंघ से रामरतन शर्मा सांसद बने। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी से अंबिका प्रसाद पांडेय सांसद चुने गए। लेकिन 1980 में कांग्रेस ने वापसी की और रामनाथ दुबे सांसद चुने गए। इस सीट पर आखरी बार 1984 में कांग्रेस के भीष्म देव दुबे सांसद बने थे। इस तरह छह बार बांदा के लोगों को सांसद बनने का मौका मिला। लेकिन 1984 के बाद बांदा का कोई भी सूरमा लोकसभा चुनाव जीतने में नाकाम रहा।
1991 में पहली बार खिला कमल (Banda Seats BJP Vote Percentage)
इस सीट पर 1989 में हुए चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के रामसजीवन पटेल ने यह सीट हथियाली। लेकिन 90 के दशक में देश में चल रहे रामलहर का असर यहां भी देखने को मिला और 1991 के चुनाव में भाजपा के प्रकाश नारायण त्रिपाठी ने जीत का परचम लहराया। इसी दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी छोड़ बसपा में शामिल हुए रामसजीवन ने 1996 में फिर यह सीट छीन ली। इसके बाद 1998 में रमेशचंद्र द्विवेदी भाजपा से चुनाव जीत गए। 1999 में दूसरी बार बसपा के रामसजीवन ने कब्जा जमाया। लेकिन 2004 में सपा के श्यामाचरण गुप्त ने साइकिल दौड़ा दी। फिर 2009 में भी सपा के आरके सिंह पटेल सांसद चुने गए। बता दें कि इनमें रमेश चंद द्विवेदी को छोड़कर सभी चित्रकूट जनपद के रहने वाले हैं। रमेश चंद्र द्विवेदी मूल रूप से कौशांबी जिले के रहने वाले हैं।
बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र की जातीय समीकरण (Banda Loksabha Seats Caste Equation)
बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण की बात करें तो इस क्षेत्र को ब्राह्मण और कुर्मी बाहुल्य माना जाता है। यहां 24.2 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 21 प्रतिशत अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाता हैं।
बांदा-चित्रकूट लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसद (Banda Loksabha Seats MP List)
- कांग्रेस से शिवदयाल उपाध्याय 1952 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से दिनेश सिंह 1957 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से सवित्री निगम 1962 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुनी गईं।
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से जागेश्वर यादव 1967 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भारतीय जनसंघ से दिनेश सिंह 1971 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- जनता पार्टी से अंबिका प्रसाद पांडेय 1977 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से रामनाथ दुबे 1980 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- कांग्रेस से भीष्म देव दुबे 1984 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से राम सजीवन 1989 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से प्रकाश नारायण त्रिपाठी 1991 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- बसपा से राम सजीवन 1996 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से रमेश चंद्र द्विवेदी 1998 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- बसपा से राम सजीवन 1999 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से श्यामा चरण गुप्ता 2004 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- सपा से आरके सिंह पटेल 2009 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से भैरो प्रसाद मिश्र 2014 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।
- भाजपा से आरके सिंह पटेल 2019 में लोकसभा चुनाव में सांसद चुने गए।