Extension of IAS Officer: प्रतिनियुक्त आईएएस के एक्सटेंशन पर योगी सरकार की ना, शिवपाल के दामाद भी जा चुके हैं मूल कैडर में
Extension of IAS Officer: आंध्र प्रदेश कैडर से यूपी में प्रतिनियुक्त पर आई आईएएस अधिकारी सुजात शर्मा वापस की भी अपने मूल कैडर में वापस होगी। 30 नवंबर शर्मा का कार्यकाल खत्म हो रहा है।
Extension of IAS Officer: भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर नकेल कसने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार एक्शन मोड पर है। सरकार अब दूसरे राज्य से आए आईएएस अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से रिलीव कर रही है। सरकार अब उन आईएएस को प्रतिनियुक्त पर एक्सटेंशन देने के इरादे में बिल्कुल नहीं है जो अन्य कैडर से आकर यूपी में काम कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि योगी सरकार यह कदम इसलिए भी उठा रही है कि वह भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई कर सके। दरअसल, प्रतिनियुक्ति पर आई आईएएस अधिकारी निधि केसरवानी का भ्रष्टाचार के मामले में नाम सामने आने के बाद भी सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर सकी थी। बाद में सरकार को इस अधिकारी पर कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार को एक पत्र लिखना पड़ा था। इसके अलावा एक्सटेंशन न देने का एक कारण और भी है। यह कारण है कि राज्य सरकार अन्य कैडर की तुलना में अपने कैडर के अधिकारियों पर ज्यादा भरोसा कर रही है।
सरकार का अपने अधिकारियों पर बढ़ा भरोसा
मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार यह कदम इसलिए भी उठा रही है कि मौजूदा समय में विशेष सचिव के पदों पर सबसे अधिक संख्या दूसरे कैडर से आए अधिकारियों की है। सरकार इसको कम करना चाह रही है और धीरे धीरे यूपी काडर के आईएएस अधिकारियों को नियुक्त कर रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, 2017 में जब से प्रदेश में भाजपा सरकार आई है, वह लगातार प्रतिनियुक्ति पर दूसरे कैडर के आईएएस अधिकारियों की संख्या कम कर रही है।
अधिकारी शर्मा की भी होगी वापसी
योगी सरकार के इस कदम के चलते आंध्र प्रदेश कैडर से यूपी में प्रतिनियुक्त पर आई आईएएस अधिकारी सुजाता शर्मा की भी अपने मूल कैडर में वापसी होगी। 30 नवंबर को शर्मा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। सुजाता शर्मा पहली आईएएस अधिकारी नहीं हैं, जिनको राज्य सरकार ने अपने मूल कैडर में वापस भेजा है। इससे पहले भी कई अधिकारी अपने मूल कैडर में वापस जा चुके हैं। यहां तक कि एक अधिकारी ने यूपी कैडर में काम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र तक लिखवाया था, लेकिन उसके बाद भी योगी ने सरकार ने इस अधिकारी का कार्यकाल नहीं बढ़ाया। यह अधिकारी यूपी में प्रसपा के अध्यक्ष एवं सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल यादव के दामाद थे और उन्होंने यूपी कैडर में काम करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र तक लिखवाया था, लेकिन उसके बाद भी योगी सरकार ने उन्हें एक्सटेंशन नहीं दिया था।
इसलिए भेज रही सरकार
मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार दूसरे कैडर से आए अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के मामले पर कार्रवाई नहीं कर पाती है। सरकार दूसरे कैडर से आए अधिकारियों पर तब तक कार्रवाई कर सकती है, जब तक वह अपने मूल कैडर में वापस न गया हो। अगर अधिकारी अपने मूल कैडर में वापस जा चुका है और बाद में किसी भ्रष्टाचार के मामले में उसका नाम आता है तो सरकार कार्रवाई नहीं कर सकती है।
इस मामले पर सरकार नहीं कर पाई थी कार्रवाई
ऐसा ही एक मामला प्रतिनियुक्त पर आई आईएएस अधिकारी निधि केसरवानी के मामले में देखने को मिला था। केसरवानी ने 2022 में प्रतिनियुक्त पर यूपी कैडर में ज्वाइन किया था। वे जमीन अधिग्रहण के मामले में दोषी पाई गई थीं। हालांकि इस मामले का खुलासा तब हुआ जब वह अपने मूल कैडर में वापस जा चुकी थीं। इसलिए राज्य सरकार प्रतिनियुक्त अधिकारी निधि केसरवानी पर कोई एक्शन नहीं ले पाई थी और बाद में कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार को एक पत्र लिखना पड़ा था।
यह अधिकारी जा चुके
- 2005 बैच आईएएस आकाशदीप
- 2010 बैच आईएएस अजय यादव (यूपी के कद्दावर नेता शिवपाल के दामाद)
- आईएएस ब्रह्मदेव राम तिवारी
- आईएएस पूजा पांडे (पत्नी ब्रह्मदेव राम तिवारी)
- आईएएस जयंत नार्लीकर