ये है विभाग की कार्यशैली का सच, 30 साल तक गैरहाजिरों को नहीं कर सके चिन्हित

Update: 2017-11-17 07:35 GMT

राजकुमार उपाध्याय की स्पेशल रिपोर्ट

लखनऊ। लोक निर्माण विभाग ने हाल ही में 16 गैरहाजिर अवर अभियंताओं (जेई) को बर्खास्त कर खूब वाहवाही लूटी। महकमे ने इसे भ्रष्टाचारियों पर वार की मुहिम से जोडक़र खूब प्रचारित भी किया। जिन अभियंताओं की सेवा समाप्त करने की मुनादी की गई वह विभाग में 30 साल से गैरहाजिर थे। इन्हें चिन्हित करने में अफसरों को तीस साल जैसा लम्बा समय लग गया। यह वाकया विभाग की लचर कार्यशैली का सच उजागर करता है।

योगी सरकार ने सत्ता में आने के बाद सरकारी दफ्तरों में कामचोरी रोकने के लिए सख्त आदेश जारी किये। इसके तहत 50 साल से ऊपर की उम्र के सभी कर्मचारियों की स्क्रीनिंग कराने का निर्णय लिया गया। तय हुआ कि जो कर्मचारी मौजूदा जरूरतों के मुताबिक काम करने में सक्षम नहीं पाए जाते हैं, उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाए। चूंकि यह मुहिम सभी विभागों में शुरू हो चुकी थी इसलिए लोक निर्माण विभाग में भी हरकत शुरू हुई। अफसरों ने अपनी पीठ थपथपाने का जरिया तलाशना शुरू कर दिया। अफसरों को कर्मचारी संगठनों के आंदोलन की चेतावनी के आगे 50 साल की आयु पूरी कर चुके कर्मचारियों की स्क्रीनिंग की राह भी आसान नहीं दिख रही थी तो अफसरों ने बीच का एक आसान रास्ता निकाला।

जिन कर्मियों की महकमे ने वर्षों से सुधि नहीं ली थी, विभाग को अचानक उनके हालात का ख्याल आ गया। पाया गया कि 16 ऐसे जेई हैं जो करीबन तीस साल से गैरहाजिर हैं और यहीं अफसरों को अपनी पीठ खुद थपथपाने का मौका मिल गया। आनन—फानन में महकमे की तरफ से 21 अप्रैल को विज्ञप्ति जारी कर ऐसे अभियंताओं की बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया गया। विज्ञप्ति में उन अवर अभियंताओं की सूची प्रकाशित की गई जो वर्षों से गैरहाजिर थे। उनका चयन लोक सेवा आयोग के जरिए हुआ था।

यह सूचना प्रकाशित करा दी गई कि इन जेई की वर्तमान में तैनाती अथवा सेवा निवृत्त होने आदि का कोई विवरण विभाग में उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। इस संबंध में सभी क्षेत्रीय मुख्य अभियंताओं एवं प्रतिनियुक्ति के कार्यालयों से भी जानकारी प्राप्त करने का प्रयास किया गया, पर उनके संबंध में कोई जानकारी प्राप्त नहीं हो पायी है। यदि इनमें से कोई अभियंता विभाग में कार्यरत/दिवंगत या किसी खण्ड/वृत्त/जनपद से सेवानिवृत्त हुआ है तो उसकी जानकारी 15 दिनों के अंदर उपलब्ध कराए। अन्यथा उसे स्वेच्छा से लम्बी अवधि से अनुपस्थित मानते हुए उनकी सेवाएं समाप्त कर दी जाएंगी।

विभागीय कार्य प्रभावित हुआ

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरि किशोर तिवारी का कहना है कि यदि किसी कर्मी ने अपने नियुक्ति पद पर ज्वाइन नहीं किया या सेवा के दौरान उसकी मृत्यु हो गयी तो विभाग ने वर्षों तक उन पदों को रिक्त घोषित नहीं किया। इससे उन पदों पर भर्ती नहीं हो सकी। विभाग का काम भी प्रभावित हुआ। प्रमोशन से पहले भी रिक्त पदों को चिन्हित करना होता है।

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