Zafaryab Jilani: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सचिव और वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी (Zafaryab Jilani) को ब्रेन हैमरेज के बाद मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है।मिली जानकारी के मुताबिक, दफ्तर से बाहर आते समय उनका पैर फिसल गया जिसकी वजह से वह गिर गए। गिरने की वजह से उनके सिर में गंभीर चोट आई है। गुरुवार शाम को उनको अचानक ब्रेन हैमरेज आ गया है। डाक्टरों की निगरानी में उनका इलाज चल रहा है, फिलहाल उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है।
ज़फरयाब जीलानी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं। जीलानी बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले में सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के ओर से वकील थे। सुप्रीम कोर्ट में वह बाबरी मस्जिद की तरफ से पैरवी कर रहे थे। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से सांसद आजम खान के जफरयाब जिलानी रिश्तेदार हैं, लेकिन कहा जाता है कि दोनों लोगों के संबंध अच्छे नहीं है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव और बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक रहे जफरयाब जिलानी समय समय पर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। उनका मुस्लिम समाज में बेहद सम्मान है। अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जिलानी ने कहा कि अयोध्या में प्रस्तावित मस्जिद वक्फ अधिनियम के खिलाफ और शरीयत कानूनों के तहत अवैध है।
हाल ही में वह एक बार फिर चर्चा में तब आये जब उन्होंने मथुरा में श्री कृष्ण जन्म भूमि का मामला कोर्ट पहुंचा तब उन्होंने कहा कि यह मुद्दा एक डेड इश्यू है जिसे फिर उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा इसलिए डेड है, क्योंकि जब 1951 के बाद मंदिर मस्जिद ट्रस्ट की बीच एक समझौता हो चुका है जिसमें कहा जा चुका है कि दोनो परिसरों में अब किसी की दावेदारी नहीं है फिर इसे क्यों तूल दिया जा रहा है।
इसके अलावा उन्होने अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्याल में जिन्ना की तस्वीर को लेकर उठे विवाद के दौरान भी चर्चा में आये जब उन्होंने कहा कि छात्रसंघ भवन में उनकी तस्वीर का लगाया जाना उचित है।
इस मामले में कोर्ट के आदेश को बताया गलत
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कोर्ट के काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के विवाद में पुरातत्व विभाग की टीम से सर्वे कराने के आदेश को वर्ष 1991 के प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा था कि वह इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर करेंगे। जिलानी का कहना है कि इस एक्ट पर देश की सर्वोच्च अदालत ने भी गौर किया था।
जिलानी ने कहा है कि एक्ट में साफ-साफ लिखा है कि बाबरी मस्जिद और दूसरे इबादतगाह पर 15 अगस्त 1947 की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि अपने बयान में आगे कहा कि वहां 15 अगस्त 1947 को मस्जिद थी, यह कोर्ट पहले ही मान चुका है।
जिलानी का कहना है कि वर्ष 1945 में भी अदालत ने मस्जिद माना था तो जज को यह अधिकारी नहीं था कि 1991 के एक्ट के खिलाफ कोई कार्यवाही करें। अगर कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश दिया तो उसको चैलेंज करेंगे। मेरा मानना है कि यह आदेश गलत है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने मांगी दुआ
मोहम्मद इबाद नाम के शख्स ने लिखा कि दुआ की दर्खास्त है। देश के सबसे नामचीन बड़े वकीलों में से एक,वरिष्ठ अधिवक्ता जफरयाब जिलानी साहब को ब्रेन हेमरेज हुआ है।ब्रेन हेमरेज के बाद जिलानी साहब बेहोश हो गए जिसके बाद उनके परिवार के सदस्य उन्हें लेकर मेदांता रवाना हुए है।अल्लाह सेहत शिफा दें। आमीन।
सुमैया खान नाम की यूजर ने ट्विटर पर लिखा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सिक्रेट्री जनाब ज़फरयाब जिलानी साहब को ब्रेन हेमरेज के बाद मेदांता हॉस्पिटल लखनऊ में एडमिट कराया गया है। आप लोगों से दुआ की दरख़्वास्त है। अल्लाह उनको मुकम्मल शिफ़ा अता फ़रमाए। आमीन सुम्मा आमीन।
साजिद नाम के शख्स ने सोशल मीडिया पर लिखा कि वरिष्ठ अधिवक्ता और 'ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जनाब #जफरयाब_जिलानी साहब को अचानक 'ब्रेन हेमरेज' हो गया। हम अल्लाह से इनकी बेहतर सेहत की दुआ करते हैं। अल्लाह जिलानी साहब को शिफ़ा अता फ़रमाए।
परवेज अंसारी ने लिखा कि आज हमारे कौम ए मिल्लत वकील ए मिल्लत आली जनाब जफरयाब जिलानी साहब पूर्व अपर महाअधिवक्ता उप्र सरकार की तबीयत नासाज है वह मेदांता अस्पताल लखनऊ में भर्ती हैं। अल्लाह पाक अपने हबीब के सदके में उन्हें जल्द से जल्द से शिफा अता फ़रमाए आमीन..!!