खुली नक़ल माफियाओं की पोल, WHATSAPP की मदद से करवाते थे चीटिंग

यूपी के गोरखपुर में पुलिस ने नकल माफियाओं के ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो व्हाट्सएप से पेपर साल्‍व करावाता था। पुलिस ने इन नकल माफियाओं के पास से नकल के लिए इस्‍तेमाल की जाने वाली उत्‍तर पुस्तिकाओं समेत अन्‍य सामग्रियां बरामद की है।

Update:2018-02-18 12:49 IST

गोरखपुर: यूपी के गोरखपुर में पुलिस ने नकल माफियाओं के ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो व्हाट्सएप से पेपर साल्‍व करावाता था। पुलिस ने इन नकल माफियाओं के पास से नकल के लिए इस्‍तेमाल की जाने वाली उत्‍तर पुस्तिकाओं समेत अन्‍य सामग्रियां बरामद की है।

हैरत की बात ये है कि इस गैंग का सरगना कॉलेज का प्रिंसिपल है। पुलिस ने प्रिंसिपल, केन्‍द्र व्यवस्‍थापक और एक साल्‍वर को हिरासत में लिया है। इस गैंग के चार अन्‍य सदस्‍यों की पुलिस तलाश कर रही है। ये गैंग नकल कराने के लिए परीक्षार्थियों से 10 से 20 हजार रुपए लेता था।

एसपी चारू निगम (आईपीएस) ने घटना का खुलासा करते हुए बताया कि उरुवा थानाक्षेत्र के श्रीमती राजकली सिंह इंटर कॉलेज में नकल कराए जाने की सूचना मिल रही थी।

पुलिस ने इस कॉलेज के प्रधानाचार्य भारत भूषण सिंह, केन्‍द्र व्‍यवस्‍थापक पंकज सिंह और साल्‍वर की भूमिका निभाने वाले इसी कॉलेज के शिक्षक सुभाष सिंह को व्हाट्सएप से पेपर साल्‍व कराने के आरोप में गिरफ्तार किया है।

पुलिस को इस गैंग के सदस्‍य गोरखपुर विश्‍वविद्यालय के पूर्व उपाध्‍यक्ष रहे विश्‍वजीत सिंह, गंगेश गिरी, कैलाश सिंह, अविनाश सिंह व अन्‍य की तलाश है। ये गैंग पिछले 13 सालों से सक्रिय है।

पुलिस ने प्रधानाचार्य भारत भूषण सिंह के घर से कई पेपर्स, कारतूस, 6 मोबाइल बरामद किया है। ये साल 2005 से फेल बच्‍चों को पास की फर्जी मार्कशीट भी बनाकर देते थे।

पुलिस ने इनकी गिरफ्तारी और बरामदगी के आधार पर उरुवा थाने में धारा 419, 420, 467, 468, 471, 120 बी भादवि, 4/10 परीक्षा अधिनियम और 66 आईटी एक्‍ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है।

आरोपी साल्‍वर सुभाष सिंह ने बताया कि उसे व्हाट्सएप पर प्रश्‍न मिल जाते थे और वो उसका उत्‍तर लिखकर उसे संबंधित गैंग के लोगों तक पहुंचा देता था। उसने बताया कि वो पेशे से शिक्षक है। उसे फरार आरोपी कैलाश के घर से गिरफ्तार किया गया है।

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