Lok Sabha Chunav 2024: चुनावों में क्या कुछ गुल खिलायेगा एआई, देखें Election Video

Lok Sabha Election 2024 Update: एआई ने हाल के पाकिस्तानी चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल के भीतर से प्रचार करते दिखाई पड़े।

Report :  Yogesh Mishra
Update:2024-03-16 15:09 IST

Lok Sabha Election 2024 Update: हर बार की सियासत में हर बार के चुनाव में राजनीति कोई न कोई नया रंग बदल देती है। पिछले दो लोकसभा चुनाव ज़रूर आप को याद होंगे , जिसमें सोशल मीडिया ने सियासत में बड़े रंग भरे। इससे पहले के चुनावों में आप जायेंगे तो लाउडस्पीकर, पर्चे बाँटना, छोटी छोटी सभाएँ करना ऐेसे बहुत से उदाहरण आप को मिलेंगे। लेकिन दूर जाने की ज़रूरत नहीं है। हम अपनी बात को सिर्फ़ पिछले दो लोकसभा चुनाव के बाद से ही पूरे परिवर्तन के मार्फ़त समझ और समझा सकते हैं। इस बार फिर लोकसभा का चुनाव आप के सामने है, लोकसभा का ही नहीं, दुनिया के आधे लोग इस बार 2024 में अपनी अपनी सरकारें चुनने की तैयारी कर रहे हैं।जब 2024 का चुनाव सामने हैं। तब सोशल मीडिया पीछे जा चुका है। और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आपके सामने है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनिया के पैमाने पर ख़ास तौर से भारत में सियासत के रंग को कैसे बदलेगा और सियासत में कौन कौन सी नई चालें आयेगी।यह इस बार के चुनाव में देखने की ज़रूरत है।

उम्मीदवारों के जेनरिक एआई कार्टून अवतारों से ले कर स्वर्ग के पार से जारी किये गये राजनैतिक समर्थन तक ,इमोशन ट्रैकिंग चैटबॉट द्वारा लुभावने भाषण लिखने तक पार्टियाँ नई तकनीकी को उन तरीक़ों से इस्तेमाल में ला रही हैं।जिनकी इसके आविष्कारों ने कल्पना भी नही की होगी।दुनिया की लगभग आँधी आबादी इस चुनाव में मतदान करेगी। इसलिए उम्मीद की जानी चाहिए कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भी भूमिका कम नहीं होगी।यही वजह है कि तमाम एआई कंपनियाँ बाज़ार में है। उनके बीच होड़ साफ़ देखी जा सकती है।

अब मतदाता के विचारों, उसके समर्थन, उसके वोट की दिशा बदलने के लिए किसी प्रत्याशी या पार्टी की भौतिक उपस्थिति जरूरी नहीं रही है। एक एक मतदाता, एक एक बूथ और बीते ट्रेंड्स के बारे में पूरी जानकारी एआई पेश कर देता है। जो काम बड़ी एजेंसियां करती थीं। वह काम आज बहुत आसानी से कम समय में एआई टूल्स कर के दे दे रहे हैं। मज़े की बात है कि यह सब कुछ आज की तारीख़ में सभी के पहुँच के दायरे में है।यानि इतना सस्ता है कि कई भी प्रत्याशी इनका इस्तेमाल कर सकता है।

एआई ने हाल के पाकिस्तानी चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल के भीतर से प्रचार करते दिखाई पड़े। चुनाव के रनअप के दो महीनों में इमरान खान की पार्टी, पीटीआई ने चार डीपफेक वीडियो पब्लिश किए, जिसमें इमरान खान के एआई अवतार ने समर्थकों को संबोधित किया। उनकी पार्टी के सोशल मीडिया लीड ने कहा कि इन वीडियो ने मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव डाला। पार्टी के मुताबिक, लोग इतने सुखद आश्चर्य में थे कि वे अपने नेता को सलाखों के पीछे से सुन पा रहे हैं।

ये डीपफेक वीडियो अमेरिकी कंपनी इलेवनलैब्स की तकनीक का उपयोग करके बनाए गए थे। इमरान खान के पुराने फुटेज और जेल से भेजे गए नोट्स के आधार पर वीडियो तैयार किए गए। वीडियो इतने असली जैसे थे कि मानो इमरान खान जेल से भाषण दे रहे हैं। चुनाव में अपने प्रत्याशियों की भारी जीत के बाद एआई से बनाया गया इमरान खान का लोगों को बधाई देते हुए , कार्यकर्ताओं को मुबारकबाद देते हुए भी एक भाषण सुनाया गया।

राजनीतिक दलों द्वारा अपने लाभ के लिए एआई डीपफेक को इस्तेमाल करने का एक उदाहरण भारत में भी नज़र आया । जहाँ मृत राजनेताओं को समर्थन जुटाने के लिए पुनर्जीवित किया गया। तमिलनाडु के दिग्गज नेता एम करुणानिधि का निधन 2018 में हो गया था। इसके बावजूद वह पिछले छह महीन से लगातार मीडिया कार्यक्रमों और पुस्तक लॉन्च में लोगों दिखाई पड रहे हैं।

करुणानिधि का डीपफेक वर्जन आमतौर पर एक मंच के ऊपर एक स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें वह अपने बेटे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व की प्रशंसा करते हैं। ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके करुणानिधि का डीपफेक बनाने वाली टेक फर्म मुओनियम के संस्थापक सेंथिल नयागम को चुनावी सीजन में इस तरह के वीडियो की भारी मांग की उम्मीद हैं। लोकसभा चुनाव में एआई के मार्फ़त दिये गये भाषणों की भारी माँग के मद्देनज़र ही उनकी कंपनी ने महात्मा गांधी समेत पैंतालीस नेताओं के भाषणों की क्लोंनिग तैयार कर के रख ली है।उन्होंने कहा कि इन क्लोनों का इस्तेमाल उम्मीदवारों को अन्य भाषाएँ बोलने वाले समुदायों के साथ संवाद करने में मदद करने के लिए भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमने दिखाया है कि प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का 30 भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है।सेंथिल नयागम को उम्मीद है कि डीपफेक का एक बड़ा इस्तेमाल उपयोग पुरानी यादों का होगा। यानी पार्टियाँ दिवंगत लोकप्रिय नेताओं के डीपफेक को इस्तेमाल कर सकती हैं। सेंथिल नयागम के अनुसार, यह सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, ये दुनिया में कहीं भी किया जा सकता है।

इस साल के अमेरिकी चुनाव में भी वोटों को इधर उधर करने के लिए एआई डीपफेक के इस्तेमाल का लेकर के अमेरिका में भी चिंताएँ काफ़ी बढ़ गयी हैं। यही वजह है कि इस साल जनवरी में ओपनएआई कंपनी ने बॉट के डेवलपर पर प्रतिबंध लगा दिया है। उस बॉट के जरिये मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार डीन फिलिप्स के एआई-जनरेटेड वर्जन के साथ बातचीत कर सकते थे। एक अन्य घटना में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन की ओर से होने का दावा करने वाली एक फर्जी "रोबोकॉल" ने मतदाताओं से प्राथमिक चुनाव छोड़ने का आग्रह किया था। रोबोकॉल का मतलब होता है मशीनी आवाज। इन्हीं सब गड्डमगड्ड की वजह से सभी कंपनियों ने मिलकर के एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।

माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, गूगल, अमेज़ॅन, आईबीएम, एक्स, एडोब, ओपनएआई और टिकटॉक जैसी दिग्गज टेक कंपनियों ने दुनिया भर में लोकतांत्रिक चुनावों को बाधित करने के लिए एआई उपकरणों के इस्तेमाल को रोकने के लिए स्वेच्छा से "उचित सावधानियां" अपनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते का उद्देश्य "मतदाताओं को धोखा देने के लिए बनाई गई हानिकारक एआई-जनित सामग्री" का मुकाबला करना है, जिसमें ऑडियो, वीडियो और छवियां भी शामिल हैं । जो उम्मीदवारों और उनके हितधारकों की नकली आवाज, नक़ली फ़ेस और नकली कार्यों को "भ्रामक रूप में असली जैसा" पेश करने में कामयाब होती हैं।

डिजिटल तकनीक में हो रहे डेवलपमेंट से राजनीतिक संदेश भेजने के लिए नए और तेज़ तरीक़े मिल गए हैं। हम अब फ़ोटोशॉप के जरिये बदलावों से कहीं आगे निकल चुके हैं। हम उस युग में जा रहे हैं जहां थोक डिजिटल निर्माण और प्रसार होने जा रहा है। ऐसे टेम्प्लेट के माध्यम से जो उपयोग में आसान और सस्ते हैं। अब राजनेता किसी घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देने के लिए एआई जेनरेटिव एआई का उपयोग कर सकते हैं। अब व्यापक शूटिंग, एडिटिंग और रिव्यु की जरूरत पड़ेगी ही नहीं। बस एक टूल से वीडियो तैयार करने के लिए कहिए और चुटकी बजाते ही आपका वीडियो तैयार भी हो जाएगा। एआई इंटरनेट को स्कैन कर सकता है, रणनीति के बारे में सोच सकता है और एक जोरदार अपील पेश कर सकता है। वह भाषण, प्रेस विज्ञप्ति, चित्र, चुटकुला, या वीडियो हो सकता है जिसमें किसी की अच्छाई या बुराई के बारे में बताया गया हो।

एआई बहुत सटीक टारगेट को पकड़ने में सक्षम है। ये चीजें राजनीतिक अभियानों में महत्वपूर्ण होती है। अब उम्मीदवार उन लोगों पर पैसा बर्बाद नहीं करना चाहते जो पहले से ही उनके अभियान का समर्थन या विरोध करते हैं। इसका पती एआई से उन्हें जल्दी चल जाता है । एआई के उपयोग के मदद के बाद उम्मीदवारों की नज़र उन मतदाताओं पर होती हैं। जिन्हें आसानी से स्विंग किया जा सकता है। जो इलेक्शन को प्रभावित कर सकते हैं।

कमर्शियल डेटा ब्रोकरों के पास लोगों का ढेरों माइक्रोडेटा होता है। इसके पास लोगों के पढ़ने, देखने, खरीदारी और राजनीतिक व्यवहार की विस्तृत जानकारी होती है। इन जानकारियों और क्षेत्र या बूथ विशेष के ट्रेंड आदि के जरिये प्रत्याशी या दल उन लोगों तक पहुंच सकेंगे जिन्होंने अभी तक अपना मन नहीं बनाया है। उन्हें सटीक संदेश दे सकेंगे । जिससे उन्हें अपने अंतिम निर्णय तक पहुंचने में आसानी होगी।

क्राउडस्ट्राइक में काउंटर-एडवर्सरी ऑपरेशंस के प्रमुख एडम मेयर्स कहते हैं, 2024 में दुनिया की आधी आबादी अपने अपने यहाँ सरकारें चुनने के लिए तैयार है।इसीलिए चुनावों को लक्षित करने के लिए जेनरेटिव एआई का उपयोग बहुत बड़ा कारक हो सकता है। अब तक क्राउड स्ट्राइक विश्लेषक स्क्रिप्ट में टिप्पणियों के माध्यम से इन मॉडलों के उपयोग का पता लगाने में सक्षम रहे हैं । जिन्हें चैटजीपीटी जैसे टूल द्वारा वहाँ रखा गया होगा। रिपोर्ट यह बताती है कि जिस तरह उम्मीदवार भ्रामक और ठोस आख्यान एआई के मार्फ़त उत्पन्न कर सकते हैं। उसी तरह दूसरा उम्मीदवार भी एआई के मार्फ़त किसी भी सच और झूठ को स्थापित कर सकता है। सच व झूठ के मार्फ़त स्विंग वाले मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है। इस चुनाव में एआई की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होगी । देखना है कि एआई हमारे लिए उपयोगी होता है। या लोकतंत्र के लिए एआई भी एक नये ख़तरे के रुप में उभरता है। 

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