Janmashtam Video: आप स्मार्त हैं या वैष्णव ? क्यों मनाते हैं अलग अलग दिन जन्माष्टमी!
Janmashtam Video: जन्माष्टमी को लोग गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती, कृष्णाष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जानते हैं, ये त्यौहार सिर्फ इसीलिए दो दिन होता है क्योंकि अलग लग दिन अलग लोग इसे मनाते हैं
Janmashtam Video: जनाष्टमी को लेकर सबसे बड़ा कन्फ्यूजन यही होता है की आखिर इसे मनाया कब जाए, हमेशा जन्माष्टमी दो दिनों की होती है, एक दिन गृहस्थ लोगों की और दूसरे दिन वैष्णवों की, लेकिन ये माजरा आखिर है क्या, कौन गृहस्थ है और कौन वैष्णव ? आखिर ये दोनों अलग अलग व्रत क्यों रखते हैं ? हर साल की तरह इस साल भी ये सवाल लोगों को परेशान किये हुए है, तो चलिए सबसे पहले आपको बता दें की आखिर इस बार आपको व्रत कब रहना है, फिर आपका ये सवाल हल करेंगे की आखिर ये दोनों कौन हैं , व्रत अलग क्यों होता है.
जन्माष्टमी को लोग गोकुलाष्टमी, श्रीकृष्ण जयंती, कृष्णाष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जानते हैं, ये त्यौहार सिर्फ इसीलिए दो दिन होता है क्योंकि अलग लग दिन अलग लोग इसे मनाते हैं, जिनमे मुख्य गृहस्थ या स्मार्त और वैष्णव हैं, इस साल 6 और 7 सितम्बर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी, हिन्दू पंचांग की माने तो भाद्रपद यानी भादो महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी मनाई जाती है, पौराणिक कठै बताती है कि श्री कृष्ण का जन्म इसी दिन रोहिणी नक्षत्र में हुआ, इस बार अष्टमी 6 सितंबर को दोपहर 3:37 बजे शुरू होगी और 7 सितंबर को शाम 4:14 बजे तक रहेगी, वहीं रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर को सुबह 9:20 बजे शुरू होगा और 7 सितंबर को सुबह 10:25 बजे रहेगा, यानी श्री कृष्ण का जन्म 6 सितंबर कि रात को मनाया जाएगा.
जिसका मुहूर्त रात 12.42 मिनट तक है, वही जो लोग व्रत रखते हैं, वो 7 सितंबर को शाम 4:14 बजे तक पारण करेंगे, आप भी खुद खूब सारी तैयारी करते हुए, तमाम व्यंजन बनाकर बाल गोपाल कि पूजा करिये और उनका प्रसाद ग्रहण करिये, अब आपको बता दें कि आखिर ये वैष्णव और स्मार्त क्या हैं, वैष्णव उन्हें कहा जाता है जिन्होंने संन्यास लेकर आध्यात्म के लिए खुद को समर्पित कर दिया है, जिन्हे आम शब्दों में हम साधु या संत कहते हैं, बस वही वैष्णव हैं, लेकिन वो साधु जिन्होंने सच में सांसारिक मोह माया त्याग दी है, और भगवान कि सेवा में लगे हुए हैं, दूसरे हैं गृहस्थ यानी ऐसे लोग सांसारिक मोह में बंधे हुए हैं और गृहस्थ धर्म का पालन कर रहे हैं, पंचांगों में हमेशा जन्माष्टमी स्मार्तों के लिए एक दिन पहले और वैष्णवों के लिए दूसरे दिन होती है, इसी वजह से लोग हर साल कंफ्यूज होते हैं कि आखिर उन्हें व्रत रहना कब है, बस इतना जान लीजिये कि वैष्णव संन्यासी उदया तिथि जिस दिन मिलती है उस दिन व्रत या कोई भी त्यौहार मनाते हैं, वहीं स्मार्त उस दिन व्रत रहते हैं जिस रात को बाल गोपाल का जन्म कराया जाता है,