आसमान से दौड़ी तबाही: सिर्फ 2 दिन बाद भीषण संकट, वैज्ञानिकों की हालत खराब
इस साल यानी 2020 से लोग वैसे ही डरे हुए हैं। लगातार हो रही घटनाओं की वजह से लोगों डर बना हुआ है। ऐसे में एक और नई आफत खड़ी हो गई है। केवल 2 दिन बाद धरती के बहुत पास से एक बड़ा भीषण एस्टेरॉयड निकलेगा।
नई दिल्ली : इस साल यानी 2020 से लोग वैसे ही डरे हुए हैं ऐसे में एक और नई आफत खड़ी हो गई है। केवल 2 दिन बाद धरती के बहुत पास से एक बड़ा भीषण एस्टेरॉयड निकलेगा। बताया जा रहा है कि ये एस्टेरॉयड दिल्ली के कुतुबमीनार से चार गुना और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से तीन गुना बड़ा है। साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि जून में धरती के बिल्कुल बगल से निकलने वाला ये तीसरा एस्टेरॉयड है। इससे पहले जून में ही 6 और 8 जून को भी एस्टेरॉयड धरती के बगल से निकला था।
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बिल्कुल बगल से निकलेगा एस्टेरॉयड
दो दिन बाद धरती के बिल्कुल बगल से गुजरने वाले इस एस्टेरॉयड का नाम 2010एनवाई65 है। ये एस्टेरॉयड 1017 फीट लंबा है। मतलब की देखा जाए तो स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से लगभग 3 गुना और कुतुबमीनार से 4 गुना बड़ा है। स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी 310 फीट और कुतुबमीनार 240 फीट लंबा है।
बगल से निकलने वाला ये एस्टेरॉयड 46,400 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती की तरफ आ रहा है। यह एस्टेरॉयड 24 जून की दोपहर 12.15 बजे पृथ्वी के बेहद करीब से गुजरेगा।
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने बताया
इस बारे में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का अंदाजा है कि यह धरती से करीब 37 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिक ने बताया कि उन सभी का मानना है कि ये एस्टेरॉयड्स धरती के लिए बहुत खतरनाक है। जो धरती से 75 लाख किलोमीटर की दूरी के अंदर निकलते हैं। इतनी तेज स्पीड से गुजरने वाले खगोलीय पिंडों को नीयर अर्थ ऑबजेक्टस (NEO) कहते हैं।
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इससे पहले की घटनाएं
बता दें, जून के महीने की ये एस्टेरॉयड गुजरने की यह तीसरी घटना है। पहला एस्टेरॉयड 6 जून को धरती के बगल से गुजरा था। यह 570 मीटर व्यास का था। इसका नाम 2002एनएन4 था।
वहीं इसके बाद 8 जून के एस्टेरॉयड 2013एक्स22 एस्टेरॉयड धरती के पास से गुजरा था। इसकी गति 24,050 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। यह धरती से लगभग 30 लाख किलोमीटर दूर से निकला था।
जानकारी के लिए बता दें कि सन् 2013 में चेल्याबिंस्क एस्टेरॉयड रूस में गिरा था। इस एस्टेरॉयड के गिरने से 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। साथ ही इससे हजारों घरों की खिड़कियां और दरवाजे टूट गए थे। जिससे लोगों को काफी नुकसान झेलना पड़ा।
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