लंदन : ब्रेग्जिट के मामले पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन बुरे फंस गए हैं। उनकी मुश्किलें कम होने की बजाए बढ़ती ही जा रही हैं। यूरोपीय यूनियन से हर हाल में बाहर होने का बोरिस जॉनसन का प्लान सांसद में खारिज कर दिया गया। इसके बाद अब सांसदों ने जल्दी आम चुनाव कराने का प्रस्ताव रद कर दिया है। अब संसद की बैठक १४ अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है। यूरोपीय यूनियन से बाहर होने की डेडलाइन ३१ अक्टूबर तक की है। संसद ने एक कानून बना दिया है जिसके तहत किसी डील होने में विलंब की दशा में जॉनसन को यूरोपीय यूनियन से पूछना पड़ेगा। ऐसे में जॉनसन इतने कम समय में क्या कर पाएंगे ये बड़ा सवाल है।
इससे पहले जॉनसन ने किसी भी कीमत पर अगले महीने ब्रिटेन को यूरोपीय यूनियन से निकालने का वादा किया था, जिस पर संसद में हुए मतदान में उन्हें निराशा हाथ लगी थी।
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31 अक्टूबर की अंतिम समय सीमा तक ब्रिटेन को यूरोपीय संघ, ईयू से बाहर निकालने की तारीख में अब दो महीने से भी कम बचे हैं। इधर ईयू के साथ उनके किसी समझौते पर सहमति नहीं बन रही है तो दूसरी ओर समझौते को बार बार ब्रिटिश संसद में अस्वीकार करने वाली लेबर पार्टी के सामने उन्होंने देश में मध्यावधि आम चुनाव कराने की चुनौती पेश कर दी थी।
जॉनसन का तर्क है कि जनता को एक बार फिर निर्णय लेने का मौका मिलना चाहिए कि वे ब्रेक्जिट को लेकर किसकी योजना का समर्थन करते हैं। ब्रिटिश संसद में मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी अब तक ईयू के साथ समझौते का समर्थन करने से इनकार करती आई है। उनका कहना है कि उन्हें पहले इस बात का भरोसा चाहिए कि देश बिना किसी एक्जिट-डील के ईयू से बार नहीं निकलेगा। जॉनसन कहते आए हैं कि डील हो या न हो, समयसीमा पर ब्रिटेन बाहर निकलेगा ही।
जॉनसन के आलोचकों का मानना है कि वो आग से खेल रहे हैं क्योंकि आर्थिक क्षति के बीच ब्रिटेन को अलग करने की वजह से उसके अपने पड़ोसी देशों के साथ चले आ रहे लगभग आधी सदी पुराने संबंधों को नुकसान हो सकता है।
स्कॉटलैंड को मनाने की कोशिश
जॉनसन ने परोक्ष रूप से चुनाव प्रचार अभियान चला रखा है। वे हमेशा पुलिस, शिक्षा या घरेलू नीतियों से जुड़े दूसरे मुद्दों पर अपने विचार रखते रहते हैं। ब्रिटेन के वित्त मंत्री ने कहा है कि जॉनसन द्वारा की गई सरकारी खर्च में बढ़ोतरी की योजना के साथ ही बीते एक दशक से जारी खर्च में कटौती का दौर खत्म होगा। स्कॉटलैंड के एबरडीनशर में जॉनसन ने स्कॉटिश किसानों के लिए फंडिंग राशि में 21.1 करोड़ पाउंड बढ़ाने की घोषणा की। यह उस योजना का हिस्सा है जिसके जरिए ब्रिटेन के अलग अलग हिस्सों में कृषि क्षेत्र में अलग अलग मात्रा में होने वाले सरकारी खर्च को थोड़ा संतुलित करने की कोशिश हो रही है।