खुली हवा में सांस लेना भी खतरे से खाली नहीं, वैज्ञानिकों ने किया दावा

पूरे विश्व में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए कई तरह की स्टडीज की जा रही हैं। कोरोना वायरस के सामान्य लक्षणों में सर्दी, खांसी, बुखार,सांस में दिक्कत और गले में खराश जैसी परेशानी हो जाती है।

Update: 2020-04-08 05:51 GMT
खुली हवा में सांस लेना भी खतरे से खाली नहीं, वैज्ञानिकों ने किया दावा

नई दिल्ली : पूरे विश्व में कोरोना वायरस के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए कई तरह की स्टडीज की जा रही हैं। कोरोना वायरस के सामान्य लक्षणों में सर्दी, खांसी, बुखार,सांस में दिक्कत और गले में खराश जैसी परेशानी हो जाती है। स्टडीज के आधार पर पता चला है कि इन लक्षणों के अलावा सांस लेने और बोलने से भी कोरोना वायरस फैल सकता है। बता दें कि ये दावा अमेरिका के एक वैज्ञानिक ने किया है।

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मास्क पहनने की अपील की

इस स्टडी के बारे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में इन्फेक्शस डिजीज के प्रमुख एंथोनी फॉसी ने बताया, 'हाल ही में मिली सूचनाओं के आधार पर ये बात सामने आई है कि कफ और खांसने के अलावा ये वायरस सिर्फ बात करने से भी फैल सकता है। ' एंथोनी फॉसी ने बीमार लोगों के अलावा आम लोगों से भी मास्क पहनने की अपील की।

हालांकि इससे पहले नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ने भी व्हाइट हाउस को एक पत्र लिख कर इस रिसर्च के बारे में बताया था। एनएएस का कहना था कि इस शोध के नतीजों के बारें में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन अभी तक के अध्ययन के अनुसार सांस लेने से इस वायरस का एरोसोलाइजेशन हो सकता है। मतलब कि ये हवा में भी फैल सकते हैं।

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अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसियों का कहना था कि कोरोना वायरस बीमार लोगों के छींकने और खांसने से निकलने वाली छींटों से फैलता है, जो आकार में लगभग आकार में एक मिलीमीटर के होते हैं।

ऐसे में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक हालिया रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया था कि SARS-CoV-2 वायरस एरोसोल बन सकता है और हवा में तीन घंटे तक रह सकता है।

लेकिन कई वैज्ञानिकों ने इस स्टडी की आलोचना भी की। कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अध्ययन के लिए रिसर्च टीम ने नेबुलाइजर मशीन का इस्तेमाल किया, ताकि जानबूझकर वायरल धुंध बनाई जा सके जबकि स्वाभाविक रूप से ये संभव नहीं है।

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