चीन-ईरान की बड़ी डील: 25 सालों के लिए हुआ ये समझौता, भारत-US को झटका
चीन के साथ अमेरिका-भारत के विवाद के अब ईरान की एंट्री हो गयी है। चीन और ईरान के बीच एक बहुत बड़ी डील हुई है, जो भारत-अमेरिका की मुश्किलें बढ़ा सकती है।
लखनऊ: चीन के साथ अमेरिका-भारत के विवाद के अब ईरान की एंट्री हो गयी है। चीन और ईरान के बीच एक बहुत बड़ी डील हुई है, जो भारत-अमेरिका की मुश्किलें बढ़ा सकती है। इस डील के तहत चीन ईरान से बेहद कम रेट में तेल खरीदेगा। वहीं ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। ईरान की सुरक्षा के लिए चीन उसे खतरनाक हथियार भी देंगा।
दरअसल, भारत और चीन के बीच कई महीनों से तनाव चल रहा है। इस तनाव में अमेरिका भारत का समर्थन करते हुए चीन के खिलाफ बयानबाजी करने में लगा हैं। अब चीन ने ईरान से 25 साल की रणनीति का समझौता कर के भारत और अमेरिका की चिंता बढ़ा दी है।
चीन ईरान में करेंगे 400 अरब डॉलर का निवेश
बता दें की ईरान के साथ चीन ने 400 अरब डॉलर के निवेश, हथियारों और तेल की डील तो की है लेकिन अभी ईरान की संसद मजलिस से इसे मंजूरी नहीं मिली है। इस डील के मुताबिक़, चीन बहुत कम दाम में अगले 25 साल तक ईरान से तेल खरीदेगा। वहीं इसके बदले में चीन बैंकिंग, आधारभूत ढांचे जैसे दूरसंचार, बंदरगाह, रेलवे, और ट्रांसपोर्ट आदि में 400 अरब का निवेश करेगा।
ईरान-चीन के बीच 25 सालों की रणनीति पर डील
ये डील दोनों देशो के लिए बेहद ख़ास हो जाएगी। चीन ईरान में 5G सर्विस शुरू करने में मदद कर सकता है। ईरान की सुरक्षा के लिए हथियारों को सप्लाई कर सकता है। ईरान के बुनियादी ढाँचे को मजबूत कर सकता है। इसके बदले उसे ईरान से बेहद कम दर में तेल मिलेगा और ईरान का साथ।
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बता दें कि मई 2018 में परमाणु डील से अमेरिका के हटने के बाद ईरान बुरी तरह से अमेरिकी प्रतिबंधों की मार झेल रहा है। इससे उसका तेल निर्यात बहुत कम हो गया है। चीन के साथ डील के बाद उसे अगले 25 साल तक 400 अरब डॉलर का निवेश मिल सकता है।
अमेरिका की ईरान और चीन दोनों से तनातनी चल रही है। ईरान से अमेरिका का परमाणु कार्यक्रम को लेकर विवाद चल रहा है तो चीन के साथ ट्रंप प्रशासन के कोरोना, सीमा तनाव, समुद्र अधिग्रहण समेत कई मुद्दों पर जंग छिड़ी है। ऐसे में दो देशों का एक साथ आना अमेरिका के लिए अच्छा नहीं है।
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चीन-ईरान डील का भारत पर असर:
ईरान के बंदरगाह चाबहार के विकास पर भारत ने भी अरबों रुपये खर्च किए हैं। चाबहार व्यापारिक के साथ-साथ रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है। भारत चाबहार से जरिए अफगानिस्तान तक सीधे अपनी पहुंच बढ़ाना चाहता है। यह चीन की मदद से विकसित किए गए पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से महज 100 किलोमीटर दूर है। हालाँकि अमेरिका के दबाव की वजह से ईरान के साथ भारत के रिश्ते बेहद कमजोर हैं।
इस समय में ईरान भारत का मुख्य तेल आपूर्तिकर्ता था, लेकिन अमेरिका के दबावों की वजह से नई दिल्ली को तेहरान से तेल आयात को तकरीबन खत्म करना पड़ा। चीन की ईरान में उपस्थिति से भारतीय निवेश के लिए संकट बन सकती है।
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