चीन ने अमेरिका को दिया बहुत तगड़ा झटका, लिया ये बड़ा ऐक्शन, US में मचा हड़कंप

चीन और अमेरिका में पहले से ही व्यापारिक युद्ध चल रहा है। दोनों देशों के बीच चल रहे इस युद्ध के खत्म होने की संभावना है, क्योंकि चीन और अमेरिका जल्द ही एक ट्रेड डील पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। अब इस बीच चीन एक बहुत बड़ा कदम उठाया है।

Update:2020-01-02 16:15 IST

नई दिल्ली: चीन और अमेरिका में पहले से ही व्यापारिक युद्ध चल रहा है। दोनों देशों के बीच चल रहे इस युद्ध के खत्म होने की संभावना है, क्योंकि चीन और अमेरिका जल्द ही एक ट्रेड डील पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। अब इस बीच चीन एक बहुत बड़ा कदम उठाया है जिसकी वजह से अमेरिका की नाराजगी और बढ़ सकती है। चीन के उन वैज्ञानिकों की वापस बुला रहा है जो अमेरिका और अन्य देशों में इस काम कर रहे हैं। चीन के वैज्ञानिकों को वापस बुलाने का मकसद ये है कि वे अपने देश को विज्ञान के क्षेत्र में ज्यादा ताकतवर बना सके।

यह खुलासा अमेरिका की ओहायो यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में हुआ है। यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक अब देश से 16 हजार से अधिक ट्रेंड चीनी वैज्ञानिक अपने देश लौट चुके हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में 4500 चीनी वैज्ञानिकों ने अमेरिका को छोड़ा था। यह संख्या 2010 की तुलना में दोगुनी थी। धीरे-धीरे सभी चीनी वैज्ञानिक अमेरिका व अन्य देश छोड़कर चीन जा रहे हैं, क्योंकि चीन उन्हें कई सुविधाएं दे रहा है।

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चीन विदेशों से आने वाले अपने वैज्ञानिकों को बड़े प्रोजेक्ट्स में लगा रहा है। इसके साथ ही इंटरनेशनल कॉर्डिनेशन के तहत कई साइंटिफिक योजनाएं चला रहा है। इन योजनाओं का फायदा चीनी वैज्ञानिकों को मिल रहा है। चीन साथ ही अपने वैज्ञानिकों के सारी जरूरी सुविधाएं दे रहा है। वैसी सुविधाएं जो दूसरे देशों में मिलती हैं।

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अमेरिका में एशिया से जाकर काम करने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की संख्या बहुत ज्यादा है। वहां 29.60 लाख एशियाई वैज्ञानिक काम कर रहे हैं जिसमें 9.50 लाख इंजीनियर भारतीय हैं। ओहायो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कैरोलिन वैगनर का कहना है कि चीन के वैज्ञानिकों का पलायन चिंता का विषय है। इसे रोकना होगा। नहीं तो अमेरिकी विज्ञान पर बुरा असर पड़ेगा।

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प्रोफेसर कैरोलिन के मुताबिक चीन के वैज्ञानिक कई विषयों में महारथी हैं। आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस और मटेरियल साइंस में इनका कोई मुकाबला नहीं है जिसकी वजह है कि 2016 में सबसे ज्यादा साइंस जरनल चीन में पब्लिश हुए, इसकी तो पुष्टि अमेरिका नेशनल साइंस फाउंडेशन ने की है।

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