WHO का बड़ा बयान: कोरोना वैक्सीन की नहीं है कोई गारंटी, खतरे के साथ जीना होगा
WHO के दूत डेविड नैबारो ने चेतावनी दी है कि लोगों को कोरोना के खतरे के साथ ही जीना होगा। सफलतापूर्वक वैक्सीन तैयार कर लेने की कोई गारंटी नहीं है।
नई दिल्ली: इस पूरी दुनिया कोरोना वायरस के मुश्किल दौर का सामना कर रही है। पूरी दुनिया में अब तक 22 लाख से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ चुके हैं। जबकि डेढ़ लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। तमाम देश के वैज्ञानिक इस बीमारी की वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। इस बीच लंदन के इंपेरियल कॉलेज में ग्लोबल हेल्थ के प्रोफेसर और कोविड-19 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के दूत डेविड नैबारो ने चेतावनी दी है कि लोगों को कोरोना के खतरे के साथ ही जीना होगा। सफलतापूर्वक वैक्सीन तैयार कर लेने की कोई गारंटी नहीं है।
हर बीमारी के लिए नहीं तैयार हो सकती वैक्सीन
ग्लोबल हेल्थ के प्रोफेसर डेविड नैबारो के अनुसार, लोगों को यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि कोरोना की वैक्सीन निश्चित तौर से बन जाएगी। डेविड नैबारो ने कहा कि हर वायरस के लिए निश्चित तौर से एक सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन नहीं बनाई जा सकती। कुछ वायरस की वैक्सीन तैयार करना काफी मुश्किल होता है। इसलिए वायरस के खतरे के बीच हमें जिंदगी जीने के नए तरीकों की तलाश करनी होगी।
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नए तरीकों की करनी होगी तलाश
एक्सपर्ट के मुताबिक, इसका मतलब है कि जिन लोगों में वायरस के लक्षण हैं, उन्हें आइसोलेट करना होगा और साथ ही उन्हें भी जो उनके संपर्क में आए हों। बुजुर्गों की रक्षा करनी होगी। साथ ही बीमारी का इलाज करने वाले अस्पतालों की क्षमता को बढ़ाना होगा। यह हम सभी के लिए एक 'न्यू नॉर्मल' होगा।
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक अधिकारी ने यह भी कहा था कि इस बात के कोई ठोस सबूत नहीं हैं कि एक बार कोरोना वायरस से संक्रमित हुए इंसान को दोबारा संक्रमण नहीं होगा।
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संक्रमित मरीजों की इम्यूनिटी की कोई गारंटी नहीं
WHO के इमरजेंसीज प्रोग्राम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर माइक रयान का कहना है कि इसको लेकर सीमित सबूत ही हैं कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीज आगे बीमारी से इम्यून हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी शख्स को यह नहीं पता कि जिनके शरीर में एंटीबॉडीज हैं वे पूरी तरह बीमारी से सुरक्षित हैं।
साउथ कोरिया में सामने आ चुके हैं ऐसे मामले
बता दें कि साउथ कोरिया में करीब 100 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए थे, जो कोरोना से ठीक होकर दोबारा संक्रमित पाए गए थे। कोरिया ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। हालांकि इस पर कुछ मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि शायद पहली बार गलती से मरीजों के टेस्ट निगेटिव आ गए हों।
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