Covid Protest in China: चीन में सरकारी दमन के बावजूद थम नहीं रहा प्रोटेस्ट, नए इलाकों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच भीषण झड़प

Covid Protest in China: जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ अब चीन के दक्षिणी शहरों में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर गए हैं। यहां उनके और पुलिसकर्मियों के बीच भीषण झड़प की खबर है।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-11-30 10:33 GMT

चीन में सरकारी दमन के बावजूद थम नहीं रहा प्रोटेस्ट (photo: social media )

Covid Protest in China: साम्यवादी चीन 1990 के दशक के बाद सबसे बड़े विरोध – प्रदर्शनों का सामना कर रहा है। चीन सरकार के तमाम सख्तियों और अत्याचारों के बावजूद प्रदर्शनकारी सड़क छोड़ने को तैयार नहीं हैं। धीरे – धीरे विरोध – प्रदर्शन का दायरा बढ़ता जा रहा है और यह नए इलाकों में भी फैल गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जीरो कोविड पॉलिसी के खिलाफ अब चीन के दक्षिणी शहरों में प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर गए हैं। यहां उनके और पुलिसकर्मियों के बीच भीषण झड़प की खबर है।

ग्वांगझू शहर में लोगों ने पुलिस पर कांच के बोतल फेंके और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विरूद्ध नारे लगाए। पुलिस प्रोटेस्ट को दबाने के लिए आंदोलनकारियों को खदेड़ रही है। लोगों को जबरदस्ती डिटेन किया जा रहा है। चीन की राजधानी बीजिंग और आर्थिक राजधानी शंघाई में भी बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो चुके हैं। ड्रैगन इन प्रदर्शनों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने आने से रोकने की कोशिश कर रहा है। विदेशी पत्रकारों पर सख्ती बढ़ा दी गई है।

चीन में क्यों भड़के हैं लोग

साम्यवादी शासन के तहत चलने वाला चीन अपने लोगों के इस भारी आक्रोश से सकते में है। इसके पीछे चीन की जीरो कोविड पॉलिसी है। दरअसल, चीन लगातार तीसरे साल कोरोना की मार झेल रहा है। टीकाकरण के बावजूद कोरोना के नए मामलों में बेतहाशा वृद्धि को देखते हुए चाइनीज सरकार ने सख्त लॉकडाउन लगा रखा है, जो कि पिछले 10 माह से जारी है। इतने लंबे और कड़े लॉकडाउन से चीनी जनता उकता गई है और इसका विरोध करने सड़कों पर आ गई।

सख्त लॉकडाउन के खिलाफ लोगों के गुस्से में आग में घी की तरह काम किया एक हादसे ने। दरअसल, 25 नवंबर को शिंजियांग में एक फैक्ट्री की इमारत में भीषण आग लग गई थी, जिसमें 10 लोगों की मौत जिंदा जलकर हो गई थी। आरोप है कि लॉकडाउन की वजह से समय पर रेस्क्यू टीम समय पर नहीं पहुंच सकी थी। लोगों को जब इसका पता चला तो उनका आक्रोश साम्यवादी सरकार के खिलाफ और बढ़ गया।

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