Nijjar Murder Case: निज्जर मर्डर केस के चारों आरोपियों को जमानत, कनाडा कोर्ट ने लिया फैसला

Nijjar Murder Case: कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने निज्जर हत्या की जांच के सिलसिले में करण बराड़, कमलप्रीत सिंह, करणप्रीत सिंह और अमनदीप सिंह को गिरफ्तार किया था। उन पर हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था।;

Newstrack :  Network
Update:2025-01-09 14:45 IST

निज्जर मर्डर केस के चारों आरोपियों को मिली जमानत  (photo: social media )

Nijjar Murder Case: खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए सभी चार भारतीय नागरिकों को कनाडा की एक अदालत ने जमानत दे दी है। हत्या के इस मामले में अब कनाडा के सर्वोच्च न्यायालय में 11 फरवरी को सुनवाई शुरू होने की संभावना है। हत्या के आरोपियों की जमानत पर रिहाई कनाडा सरकार के लिए एक झटका है।

क्या नया हुआ?

कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने निज्जर हत्या की जांच के सिलसिले में करण बराड़, कमलप्रीत सिंह, करणप्रीत सिंह और अमनदीप सिंह को गिरफ्तार किया था। उन पर हत्या और हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। अब सरे प्रांतीय न्यायालय ने ब्रिटिश कोलंबिया सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई से पहले उन्हें जमानत दे दी है।

क्या मामला है?

भारत में वांछित खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की 18 जून, 2023 को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे शहर में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसी वर्ष सितंबर में, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने निज्जर की हत्या में भारत सरकार की संलिप्तता के विश्वसनीय सबूत होने का आरोप लगाया था। भारत ने बार-बार इस आरोप को खारिज किया है।

मई 2024 में, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने कनाडा में अलग-अलग स्थानों पर चार लोगों को गिरफ़्तार किया। हालाँकि, अभियोजन पक्ष को प्रारंभिक सुनवाई के दौरान साक्ष्य प्रस्तुत करने में देरी के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा। पता चला है कि सभी चार लोगों को मुकदमे की प्रतीक्षा करते हुए "कार्यवाही के स्थगन" के तहत रिहा कर दिया गया था। वे 18 नवंबर, 2024 को सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। कनाडाई सरकार ने "प्रत्यक्ष अभियोग" शुरू किया है और मामले को सरे प्रांतीय न्यायालय से ब्रिटिश कोलंबिया सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया है।

सरकार को झटका

आरोपियों की रिहाई को कनाडा सरकार के लिए एक झटका माना जा रहा है। भारत के खिलाफ सरकार का शुरुआती सख्त रुख के बाद मामले में देरी की गई और पर्याप्त सबूतों की कमी ने मामले पर कनाडा की स्थिति को कमजोर कर दिया है।

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