Nepal violence: नेपाल में भारी बवाल के पीछे पूर्व राजा की भूमिका! जुर्माना लगाने के बाद अब सख्त एक्शन की सरकार की तैयारी

Nepal violence: नेपाल में राजशाही समर्थकों के उग्र तेवर से हालात बिगड़ते जा रहे हैं।;

Update:2025-03-30 10:44 IST

Former King Gyanendra Shah (Social Media)

Nepal violence: नेपाल में राजशाही समर्थकों के उग्र तेवर से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। देश में राजशाही का समर्थन करने वाले प्रदर्शनकारियों ने शनिवार को राजनीतिक दलों के दफ्तरों को निशाना बनाने के साथ ही जमकर हंगामा किया। बवाल में दो लोगों की मौत होने की खबर है जबकि राजधानी काठमांडू में कर्फ्यू लगा दिया गया है। राजशाही समर्थकों की ओर से सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया गया है।

इस बीच नेपाल सरकार को शक है कि देश में पैदा हुए इस आंदोलन में देश के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की बड़ी भूमिका है। उनके इशारे पर ही राजशाही समर्थकों की ओर से यह आंदोलन चलाया जा रहा है। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर जुर्माना लगाने के साथ ही अब उनके खिलाफ सख्त एक्शन की तैयारी है। उनका पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

नेपाल सरकार ने बताई पूर्व राजा की भूमिका

नेपाल में राजशाही समर्थकों की ओर से शुरू किए गए आंदोलन के कारण हालात बेकाबू हो गए हैं। हालात पर काबू पाने के लिए सरकार की ओर से सेना को भी सड़कों पर उतार दिया गया है। प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए काठमांडू में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। नेपाल में आंदोलनकारी देश में फिर राजशाही की शुरुआत और देश को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग कर रहे हैं।

नेपाल सरकार का मानना है कि देश में शुरू हुए इस आंदोलन के पीछे पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का हाथ है। नेपाली अधिकारियों ने दावा किया है कि उनकी शह पर ही यह आंदोलन शुरू किया गया है। नेपाल में फरवरी में लोकतंत्र दिवस के बाद राजशाही समर्थक सक्रिय हुए थे और अब उन्होंने अपनी मांगों के समर्थन में उग्र तेवर अपना लिया है। आने वाले दिनों में इस आंदोलन के और तेज होने की आशंका जताई जा रही है।

पूर्व राजा पर लगाया जुर्माना,पासपोर्ट होगा रद्द

नेपाल सरकार ने देश में राजशाही के फिर लौटने की संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने आंदोलनकारियों के खिलाफ कड़े कदम की शुरुआत कर दी है। हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ बड़ी कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी है। सरकार ने साफ कर दिया है कि राजशाही समर्थकों की इस हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाओं को लेकर पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर जुर्माना लगाया गया है। इसके साथ ही उनका पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। ज्ञानेंद्र शाह पर जुर्माना लगाने के लिए एक पत्र जारी किया गया है। इसमें प्रदर्शन के दौरान हुए नुकसान के मुआवजे के लिए 7,93,000 नेपाली रुपए का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है। नेपाल सरकार का कहना है कि उनके समर्थन से ही देश में यह आंदोलन चलाया जा रहा है।

पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने पिछले दिनों जारी एक बयान में कहा था कि देश की रक्षा करने का समय आ गया है और अब देश में एकता का भाव पैदा करने के लिए हमें जिम्मेदारी लेनी होगी।

मांगें पूरा करने के लिए सरकार को अल्टीमेटम

नेपाल में राजशाही के समर्थन में दिन-प्रतिदिन तेज होते आंदोलन के बीच विभिन्न संगठनों ने नेपाल सरकार को एक हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है। एक हफ्ते के भीतर समझौता न होने की स्थिति में आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी दी गई है।

नेपाल में पिछले कुछ समय से राजशाही समर्थक पूरे देश में प्रदर्शन और धरने के जरिए अपनी मांग को पूरा करने का दबाव बना रहे हैं। राजशाही का समर्थन करने वाले विभिन्न संगठनों के तेवर से नेपाल में गृह युद्ध छिड़ने के आसार दिख रहे हैं। संगठनों के इस तेवर से नेपाल सरकार की मुसीबत दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी

राजशाही समर्थक जॉइंट पीपल्स मूवमेंट कमेटी के प्रवक्ता नाबराज सुबेदी ने कहा कि इस मुद्दे को लेकर अब हम शांत रहने वाले नहीं हैं। यदि आने वाले समय में संगठन की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने देश की सभी लोकतांत्रिक पार्टियों और सरकार को एक सप्ताह का समय दिया है।

उन्होंने कहा कि नेपाल को हिंदू राष्ट्र होना चाहिए। सुबेदी ने कहा कि देश में 1991 वाला संविधान लागू किया जाना चाहिए और देश में संवैधानिक राजशाही को लागू किया जाना चाहिए। इस संविधान में मल्टी पार्टी सिस्टम के साथ ही संसदीय लोकतंत्र को भी जगह दी गई है। उन्होंने कहा कि देश की सरकार को मौजूदा संविधान में जरूरी संशोधन के लिए पहल करनी चाहिए। इसके तहत देश में पुराने कानून लागू किए जाने चाहिए।

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