Myanmar earthquake: 300 परमाणु बम फटने जितना शक्तिशाली था म्यांमार भूकंप, 10,000 लोगों की मौत की संभावना
Myanmar earthquake: म्यांमार में आये 7.7 की तीव्रता वाले भूकंप में 1600 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। जबकि एक्सपर्ट की माने तो दस हजार से ज्यादा लोगों की मौत होने की संभावना है।;
Myanmar earthquake: म्यांमार में दो दिन पहले आए भूकम्प ने 1600 से ज्यादा लोगों की जिंदगी छीन ली। इस शक्तिशाली भूकंप की तीव्रता 7.7 बताई गई है। इस भूकंप के चपेट में आये हजारों लोग अभी भी गंभीर हालत में है। इस भूकंप की ताकत की अगर बात करें तो यह 300 परमाणु बमों के फटने जितना शक्तिशाली था। वहीं अगर हम ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की माने तो इस समय मरने वालो की संख्या 1,600 से ज्यादा की है लेकिन तबाही के हिसाब से अगर देखा जाए तो यह आंकड़ा 10,000 से ज्यादा की पहुँच सकती है। यूएसजीएस ने यह भी बताया है कि अनुमानित आर्थिक नुकसान म्यांमार की जीडीपी से ज्यादा हो सकता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इस नुकसान के बाद मांडले अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को अस्थाई तौर पर बंद कर दिया गया है।
म्यांमार में भूकंप ने मचाई भारी तबाही
म्यांमार में 7.7 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। अब तक 1600 से अधिक लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि हजारों लोग घायल हैं। मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए बचाव दल लगातार अभियान चला रहे हैं। इस आपदा ने न सिर्फ म्यांमार, बल्कि थाईलैंड सहित दक्षिण एशिया के कई देशों को प्रभावित किया है। थाईलैंड में भी 17 लोगों की मौत हुई है और व्यापक नुकसान की खबरें आ रही हैं।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, भूकंप का केंद्र म्यांमार में था, और इसके बाद एक दर्जन से अधिक झटके महसूस किए गए। विशेषज्ञों का कहना है कि इस भूकंप से निकलने वाली ऊर्जा लगभग 334 परमाणु बमों के बराबर थी। भूविज्ञानी जेस फीनिक्स के अनुसार, "इस तरह की तीव्रता से पृथ्वी पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।" शनिवार को भी 5.1 और 4.2 तीव्रता के दो झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों में दहशत बनी हुई है।
हजारों लोग अभी भी लापता
म्यांमार में स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है। हजारों लोग अपने लापता परिजनों की तलाश कर रहे हैं। कई इलाकों में इमारतें जमींदोज हो गई हैं, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी के मुताबिक, लगातार आ रहे झटकों की वजह से लोग घरों के अंदर जाने से डर रहे हैं और मजबूरन सड़कों पर रात बिता रहे हैं। बचाव और राहत कार्य तेजी से चल रहे हैं, लेकिन प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी देखी जा रही है।