अमेरिका में 5 पुलिसवालों की हत्या, एक संदिग्ध ने खुद को गोली मारी

Update:2016-07-09 03:36 IST

डलासः अमेरिका के डलास में शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान दो लोगों ने पुलिसवालों पर गोलियां चलाई। इसमें पांच अफसर मारे गए और सात घायल हुए। पुलिस ने महिला समेत तीन संदिग्धों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, एक संदिग्ध ने खुद को गोली मार ली। इस संदिग्ध ने मध्यस्थता करने वाले को चेतावनी दी थी कि टेक्सास में कई जगह बम लगाए गए हैं। गैराज में छिपे इस शख्स और पुलिस के बीच काफी देर से संघर्ष चल रहा था।

45 मिनट तक करता रहा गोलीबारी

पुलिस प्रमुख ने बताया था कि जिस संदिग्ध से बातचीत कर रहे हैं, वह पिछले 45 मिनट से गोलियां बरसा रहा है। उसने मध्यस्थता करने वाले से कहा है कि अंत जल्द ही आने वाला है और वह हमें से कई और लोगों को मारने वाला है। पुलिस ने ये भी कहा था कि इसलिए बहुत ही सावधानी से रणनीति तैयार कर रहे हैं, ताकि डलास के नागरिकों को नुकसान न पहुंचे।

घायलों में तीन की हालत गंभीर

घायल पुलिसवालों में तीन की हालत बहुत गंभीर है। स्नाइपरों ने किसी ऊंची जगह से गोली चलाई। यह वारदात उस प्रदर्शन के दौरान हुई, जो पुलिस की हालिया जानलेवा एक्शन के खिलाफ किया जा रहा था। रात 8 बजकर 45 मिनट पर गोलियां चलनी शुरू हुईं। लाइव टीवी में देखा गया कि जब प्रदर्शनकारी सड़क पर चल रहे थे, उसी वक्त गोलियों की आवाज आने लगी और लोग भागने लगे।

एक संदिग्ध खुद पहुंचा थाने

पुलिस ने इस मामले के एक संदिग्ध की तस्वीर जारी की थी। बाद में वह खुद ही पुलिस स्टेशन पहुंच गया। गिरफ्तार संदिग्ध के भाई का कहना है कि उसके भाई का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। बता दें कि बुधवार को सेंट पॉल में हुई एक घटना में फिलांडो कैसिल नाम के एक व्यक्ति की पुलिस की गोलियों से मौत हो गई थी। उसके एनकाउंटर का वीडियो वायरल हुआ जिसे देखने के बाद इसे एक नस्लीय घटना बताया गया और इसी के विरोध में डलास में विरोध प्रदर्शन हो रहा था। मंगलवार को भी लुसियाना के बैटन रूज शहर में एक अन्य अश्वेत आल्टन स्टर्लिंग की मौत पुलिस की गोली लगने से हुई थी।

ओबामा ने क्या कहा?

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी पुलिस की कार्यवाही को अनुचित बताया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की अश्वेत व्यक्ति पर गोलीबारी व्यापक नस्ली भेदभाव की सूचक है और सभी अमेरिकियों को इस तरह की घिनौनी घटनाओं से तकलीफ होती है। ओबामा ने आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि श्वेत लोगों के मुकाबले अश्वेतों से बल प्रयोग करने की आशंका 30 फीसदी ज्यादा होती है।

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