डेमोक्रेट्स चाहते हैं ट्रम्प फिर चुनाव न लड़ सकें, महाभियोग का ट्रायल 8 फरवरी से

वैसे तो डोनाल्ड ट्रम्प अब प्रेसिडेंट नहीं हैं सो महाभियोग का कोई मतलब नहीं रह जाता, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प को किसी तरह से 2024 का चुनाव लड़ने से रोका जाए और इस मामले में सिर्फ महाभियोग ही अभी एकमात्र रास्ता है।

Update:2021-01-24 16:17 IST
डेमोक्रेट्स चाहते हैं ट्रम्प फिर चुनाव न लड़ सकें, महाभियोग का ट्रायल 8 फरवरी से

नीलमणि लाल

नई दिल्ली। अमेरिका के पूर्व प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ 8 फरवरी से महाभियोग का ट्रायल शुरू होगा। अमेरिका के इतिहास में डोनाल्ड ट्रंप से पहले किसी भी राष्ट्रपति पर दो बार महाभियोग नहीं लगा है। अगर ट्रंप दोषी साबित होते हैं, तो अमेरिकी सांसद ट्रंप को भविष्य में दोबारा चुनाव लड़ने से रोकने पर एक और मतदान करा सकते हैं। ट्रम्प के खिलाफ पहला महाभियोग उक्रेन के मामले में चला था जिसमें आरोप था कि ट्रम्प ने बिडेन को बदनाम कराने के लिए उक्रेन को पैसा देने की पेशकश की थी। लेकिन ये महाभियोग साबित नहीं पाया और डेमोक्रेट्स द्वारा की गयी पेशकश फेल हो गयी थी।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

वैसे तो डोनाल्ड ट्रम्प अब प्रेसिडेंट नहीं हैं सो महाभियोग का कोई मतलब नहीं रह जाता, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि डेमोक्रेट्स चाहते हैं कि डोनाल्ड ट्रम्प को किसी तरह से 2024 का चुनाव लड़ने से रोका जाए और इस मामले में सिर्फ महाभियोग ही अभी एकमात्र रास्ता है। इस काम में हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी काफी आक्रामक ढंग से ट्रम्प के खिलाफ शुरू से अभियान चलते नजर आयीं हैं। एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि अमेरिका में व्याप्त कोरोना और उससे जुड़े आर्थिक संकट से लोगों का ध्यान हटाने के लिए महाभियोग का ट्रायल चलाया जा रहा है। ट्रम्प एक मजबूत वैकल्पिक राजनीतिक ताकत के रूप में भी उभरे हैं सो उनको रोकने का यही सबसे बड़ा उपाय है।

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क्या है महाभियोग

महाभियोग एक संवैधानिक प्रक्रिया है जिसमें अमेरिकी कांग्रेस उन सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आरोप तय करती है जिन पर किसी तरह के गैर कानूनी काम करने का आरोप लगता है। अमेरिका के संस्थापकों ने कांग्रेस यानी संसद को ‘राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और संयुक्त राज्य अमेरिका के सभी सरकारी अधिकारियों’ को पद से हटाने की शक्ति दी है, जिसके तहत उन अभियुक्तों पर महाभियोग चलाया जा सकता है, जो ‘देशद्रोह, रिश्वतखोरी या दूसरे बड़े अपराध या दुराचार के दोषी माना जाते हैं।‘ सीधे शब्दों में कहें तो महाभियोग का मतलब है अदालत में अभियोग के समान आरोप होना। हालांकि, ‘उच्च अपराध और दुष्कर्म’ की परिभाषा की व्याख्या के तरीके अलग हो सकते हैं। कभी कभी इसका मतलब यह भी होता है कि जरूरी नहीं कि अधिकारी ने कानून को तोड़ा ही हो।

पहला आरोप

डोनाल्ड ट्रंप पर 18 दिसंबर 2019 को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा (हाउस ऑफ़ रिप्रेजेन्टेटिव) ने महाभियोग लगाया गया था। ट्रंप पर दो मुख्य आरोप थे - पहला, 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिद्वंदी जो बिडेन की छवि खराब करने के लिए यूक्रेन से मदद मांगी और दूसरा, संसद के काम में अड़चन डालने की कोशिश की। राष्ट्रपति ट्रंप के खिलाफ पहले महाभियोग की कार्रवाई जनवरी 2020 में हुई।

सीनेट की शक्ति

अमेरिकी संसद के निचले सदन के पास ही ‘महाभियोग लगाने की शक्ति’ है। हाउस ज्यूडिशियरी कमेटी आमतौर पर महाभियोग की कार्यवाही के लिए जिम्मेदार होती है। सदन के 435 सदस्यों के साधारण बहुमत से आरोप लाने के लिए सदन बहस और फिर वोट करता है। इस भूमिका में, सदन एक अधिकारी के खिलाफ आरोप लाने वाली एक जूरी के रूप में काम करता है। संसद के उच्च सदन यानी सीनेट के पास ‘सभी महाभियोगों की एकमात्र शक्ति है, जिसका अर्थ है कि इसमें अधिकारी को दोषी करार देने की शक्ति है। जब राष्ट्रपति पर मुकदमा चलाया जाता है, तो सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश कार्यवाही की अध्यक्षता करते हैं।

तीन प्रेसिडेंट्स पर लगा है महाभियोग

अमेरिका के आज तक के इतिहास में अब तक कुल तीन राष्ट्रपतियों पर महाभियोग चलाया गया है। एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन और डोनाल्ड ट्रंप। एंड्रयू जॉनसन, बिल क्लिंटन दोनों को ही सीनेट ने पद से नहीं हटाया। एक और राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने महाभियोग से बचने के लिए पहले ही पद से इस्तीफा दे दिया था।

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महाभियोग की कार्यवाही

अमेरिकी सदन ने अब तक 60 से अधिक बार महाभियोग की कार्यवाही की है। सिर्फ एक तिहाई मामलों में पूर्ण महाभियोग लाया जा सका है और सिर्फ आठ अधिकारियों को अब तक दोषी ठहराया गया है और पद से हटाया भी गया है। यह सभी अधिकारी संघीय न्यायाधीश थे। राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 100 सीटों वाली सीनेट में दो तिहाई बहुमत को राष्ट्रपति को दोषी ठहराने के लिए वोट देना होता है। ऐसा होने पर राष्ट्रपति को पद छोड़ना पड़ता है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि राष्ट्रपति अदालत में भी उसी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो या फिर भविष्य में दोषी ठहराया जाए।

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