G 20 Summit 2022: PM मोदी-जिनपिंग की मुलाकात के क्या हैं कूटनीतिक मायने? रिश्तों में जमी बर्फ पिघलने की उम्मीद

G 20 Summit 2022: जून 2020 में दोनों देशों के बीच पैदा हुए सैन्य टकराव के बाद पहली बार दोनों शीर्ष नेताओं का आमना-सामना हुआ है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-11-16 06:02 GMT

PM Modi and xi Jinping (photo: social media) 

G 20 Summit 2022: जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच हुए सैन्य टकराव के बाद दोनों नेताओं की इस पहली मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच तनाव घटने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि दोनों नेताओं के बीच लंबी बातचीत नहीं हुई है मगर कूटनीतिक जानकारों का मानना है कि इस मुलाकात के दूरगामी नतीजे दिख सकते हैं।

पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की कई राउंड बातचीत हो चुकी है मगर जून 2020 में दोनों देशों के बीच पैदा हुए सैन्य टकराव के बाद पहली बार दोनों शीर्ष नेताओं का आमना-सामना हुआ है। समरकंद में हुई शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में भी दोनों नेताओं ने हिस्सा लिया था मगर उस दौरान दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से दूरी बना रखी थी।

इस तरह हुआ दोनों नेताओं का आमना-सामना

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति की ओर से जी-20 में हिस्सा लेने वाले राष्ट्राध्यक्षों के सम्मान में आयोजित डिनर के दौरान दोनों नेताओं का आमना-सामना हुआ। बाली के गरुण विष्णु केंकन कल्चरल पार्क के भव्य हाल में सुमधुर संगीत और भव्य लेजर शो के बीच विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने लजीज खाने का आनंद लिया। डिनर समाप्त होने के बाद दोनों नेता टहलते हुए जब आमने-सामने आ गए तो दोनों नेताओं ने काफी गर्मजोशी के साथ एक-दूसरे से हाथ मिलाया।

दोनों नेताओं के बीच कुछ देर तक शिष्टाचार की बातें हुईं। सभी की निगाहें दुनिया के इन दो ताकतवर नेताओं की इस मुलाकात पर लगी हुई थीं। दोनों नेताओं ने काफी देर तक एक-दूसरे का हाथ थामे रखा। मुलाकात के दौरान दोनों नेता काफी सहज अंदाज में बातें करते हुए दिखे।

समरकंद में दिखी थी दोनों नेताओं में दूरी

दो साल बाद हुई दोनों नेताओं की इस मुलाकात को कूटनीतिक नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है। इससे पहले सितंबर महीने में समरकंद में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भी हिस्सा लेने के लिए दोनों नेता पहुंचे थे मगर उस बैठक के दौरान दोनों नेताओं के बीच दूरी बनी रही।

दोनों नेताओं ने एक-दूसरे से नजर मिलाने से भी परहेज किया था और यही कारण था कि दोनों नेताओं के बीच कोई औपचारिक अभिवादन तक नहीं हुआ था। समरकंद में दिखी इस दूरी के बाद माना गया था कि दोनों देशों के बीच अभी भी तनाव का रिश्ता बना हुआ है। इंडोनेशिया में जी-20 बैठक से पहले भी दोनों नेताओं के बीच मुलाकात को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं मगर यहां पर दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ पिघलती हुई दिखी।

मोदी की भूमिका अब और महत्वपूर्ण

हालांकि बाली में भी दोनों नेताओं के बीच अभी तक बैठक नहीं हुई है मगर कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच पैदा हुए तनाव को कम करने में मदद मिल सकती है। दरअसल इस मुलाकात को इस नजरिए से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि अब भारत जी 20 का अध्यक्ष बनने जा रहा है।

ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका और महत्वपूर्ण हो जाएगी क्योंकि अध्यक्ष के रूप में हर देश को आमंत्रित करना उनकी जिम्मेदारी होगी। हालांकि अभी यह नहीं पता चल सका है कि इस मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने जिनपिंग से जी-20 नेताओं की अगली बैठक के बारे में चर्चा की या नहीं।

इस मुलाकात का दिख सकता है बड़ा असर

ताइवान में अपनी नीतियों को लेकर चीन वैश्विक स्तर पर पहले ही घिरा हुआ है। इस मुद्दे को लेकर अमेरिका के साथ चीन की काफी गरमागर्मी हुई थी मगर बाली में शी जिनपिंग ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ ही नरेंद्र मोदी के साथ भी जिस गर्मजोशी से मुलाकात की है, उससे साफ है कि चीन वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ने की नीति से हटता हुआ दिख रहा है।

हालांकि पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात को लेकर विदेश मंत्रालय की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं जारी किया गया है मगर माना जा रहा है कि जल्द ही दोनों नेताओं के बीच आधिकारिक मुलाकात भी हो सकती है। कूटनीतिक जानकारों के मुताबिक इस मुलाकात के बाद आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच तनाव घटने के साथ संकेत दिख रहे हैं।

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