चीन को जोरदार झटका देने की तैयारी में G-7 देश, बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान से बनाई ये तरकीब
चीन को जी-7 के देश जोरदार झटका देने की तैयारी में है। जी-7 के इन देशों ने एक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान से चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की तरकीब निकालने की संभावना व्यक्त की है।
नई दिल्ली: चीन जल्द ही बड़ी मुसीबत में पड़ने वाला है। चीन को जी-7 के देश जोरदार झटका देने की तैयारी में है। जी-7 के इन देशों ने एक बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान से चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की तरकीब निकालने की संभावना व्यक्त की है। ऐसे में जी-7 देशों के इस प्लान के जरिए ना केवल विकासशील देशों की सहायता की जाएगी, बल्कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए भी ये तरकीब एक जोरदार झटका होगा।
जी-7 देशों के इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान के अलावा अमेरिका ने शनिवार को जी-7 सम्मेलन में लोकतांत्रिक देशों पर बंधुआ मजदूरी प्रथाओं को लेकर चीन के बहिष्कार का दबाव बनाने की भी बहुत प्रभावकारी योजना तैयार की है।
जी-7 बना रहे नई योजनाएं
इस बारे में दो वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि सम्मेलन के दौरान ये देश विकासशील देशों में बीजिंग के प्रयासों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक बुनियादी ढांचा योजना की भी शुरुआत करेंगे। बाइडन चाहते हैं कि जी-7 के नेता उइगर मुसलमानों और अन्य जातीय अल्पसंख्यकों से बंधुआ मजदूरी कराने के खिलाफ एक स्वर में आवाज उठाएं।
आगे उन अधिकारियों ने कहा कि बाइडन को उम्मीद है कि बंधुआ मजदूरी को लेकर शिखर सम्मेलन में चीन की आलोचना की जायेगी, लेकिन कुछ यूरोपीय सहयोगी बीजिंग के साथ रिश्ते खराब करने के इच्छुक नहीं हैं। दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड के कार्बिस बे में शुक्रवार को शुरू हुआ यह सम्मेलन रविवार को संपन्न होगा। जी-7 कनाडा, फ़्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका का एक समूह है।
एक मकसद- रोकना है चीन को
बता दें, जी-7 नेताओं की दक्षिण पश्चिम इंग्लैंड में बैठक चल रही है। इस बैठक में ये चीन के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बारे में बात कर रहे हैं। ऐसे में अमेरिकी राष्ट्रपति और जी-7 के अन्य नेता बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड पहल के जरिए चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट की एक जबरदस्त तरकीब निकालना चाहते हैं।
इस बारे में व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि अमेरिका की अगुवाई में जी-7 देशों के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर लगभग 40 ट्रिलियन डॉलर की लागत आएगी।
चीन के प्रोजेक्ट को लेकर बाइडन प्रशासन के अधिकारी ने कहा कि यह केवल चीन को रोकने के लिए नहीं है, बल्कि जी-7 के देश और उसके सहयोगी इस पहल के जरिए पर्यावरण, स्वास्थ्य, डिजिटल टेक्नोलॉजी और लैंगिक समानता जैसे क्षेत्रों में निजी निवेश आकर्षित करेंगे। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि अमेरिकी अगुवाई में जी-7 देशों का इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान कैसे काम करेगा।
वहीं चीन की योजना इस प्लान के जरिए एशिया से यूरोप तक सड़कों का नेटवर्क बनाने की है। साथ ही इस प्रोजेक्ट के लिए चीन के साथ रेल, बंदरगाह और हाइवे जैसे इंफ्रा के लिए 100 से अधिक देश समझौता कर चुके हैं। ये होने से चीन एशिया से यूरोप तक अपना प्रभुत्व जमाने के कोशिश करेगा।