बर्लिन: जर्मनी में इलेक्ट्रिक वाहनों पर बड़ा निवेश किया जाएगा. राजधानी बर्लिन में हुए ऑटो शिखर सम्मेलन में दो महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. ये फैसले ग्राहकों को इलेक्ट्रिक कार खरीदने के लिए सब्सिडी देने और पेट्रोल पंपों की तरह बड़े पैमाने पर बैटरी चार्ज करने वाले स्टेशन खोलने से जुड़े हैं. जर्मन बाजार में इलेक्ट्रिक कारों की कीमत बहुत ज्यादा है और बैटरियों की क्षमता इतनी कम है कि उनसे लंबी दूरी का सफर करना मुश्किल है. चार्जिंग स्टेशन इस मुश्किल को दूर करेंगे और कार खरीदने पर मिलने वाली सब्सिडी लोगों को इलेक्ट्रिक कार खरीदने को प्रोत्साहित करेगी. इससे इलेक्ट्रिक कारों का बाजार बड़ा होगा और बाजार बड़ा होने से कारें सस्ती होंगी।
2025 तक बढ़ाई गयी सब्सिडी
तीन साल पहले ऐसे ही एक ऑटो सम्मेलन के बाद ग्राहकों को सब्सिडी देने का फैसला किया गया था. केंद्र सरकार और उद्योग सबसिडी के लिए आधा आधा हिस्सा देती है. उस समय इसके लिए 60 करोड़ यूरो की राशि तय की गई थी. लेकिन पिछले तीन सालों में बिक्री में कोई बड़ी तेजी नहीं आी है. अब सब्सिडी को 2025 तक बढ़ाने का फैसला किया गया है. 40,000 यूरो तक की कीमत वाली गाडिय़ों के लिए सब्सिडी 4000 यूरो से बढ़ाकर 6,000 यूरो और उससे महंगी 65,000 यूरो तक की गाडिय़ों के लिए 5,000 यूरो की जा रही है. प्लग-इन हाइब्रिड गाडिय़ों के लिए भी सब्सिडी बढ़ाई जा रही है. सरकार को उम्मीद है कि इस तरह करीब 7 लाख नई इलेक्ट्रिक गाडिय़ों की बिक्री के लिए सब्सिडी दी जा सकेगी।
जर्मन कार उद्योग आने वाले महीनों में इलेक्ट्रिक ऑटो के कई मॉडल बाजार में उतार रहा है. 2030 तक पर्यावरण सुरक्षा के लक्ष्यों को पाने के लिए 70 लाख से 1 करोड़ गाडिय़ों की जरूरत होगी. इनके लिए देश में बैटरी चार्ज करने की सुविधा भी देनी होगी. जर्मन सरकार ने पहले भी इस तरह के लक्ष्य निर्धारित किए थे. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने 2020 तक 10 लाख इलेक्ट्रिक कारें सड़क पर उतारने की बात कही थी, लेकिन अब तक यह लक्ष्य काफी दूर है. इस साल अगस्त तक जर्मनी में सिर्फ 220,000 इलेक्ट्रिक गाडिय़ां रजिस्टर हुई हैं।
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इलेक्ट्रिक कारों की कामयाबी बैटरी चार्जिंग नेटवर्क पर निर्भर है. बैटरी चार्ज करने के लिए पेट्रोल पंपों की तरह चार्जिंग स्टेशनों के व्यापक नेटवर्क की जरूर होगी. इस समय देश भर में सिर्फ 21,000 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हैं. वहां पर लगने वाली फीस भी अलग अलग है. गाड़ी मालिकों का सबसे बड़ा डर यह है कि वे अगले चार्जिंग स्टेशन तक पहुंच पाएंगे या नहीं. सम्मेलन में यह तय किया गया है कि अगले दो सालों में देश में 50,000 नए चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे।
जर्मन सरकार 2030 तक देश में 10 लाख चार्जिंग स्टेशन देखना चाहती है. चार्जिंग स्टेशन के साथ उनके सर्टिफिकेशन, भुगतान और बिल का भी मसला है. इन सबको आसान बनाने पर काम चल रहा है ताकि ग्राहकों की परेशानी को कम किया जा सके. पर्यटन मंत्री आंद्रेयास शॉयर चाहते हैं कि भविष्य का परिवहन बड़ी संख्या में ग्राहकों के लिए उपलब्ध हो. लोगों में इसके लिए जोश लाने की जरूरत होगी. यह काम गाडिय़ों को सस्ता और सुविधाजनक बनाकर ही किया जा सकता है।
जर्मन सरकार 3 अरब यूरो का निवेश करेगी
इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को सुविधाजनक बनाने पर जर्मन सरकार 3 अरब यूरो का निवेश करेगी. साथ ही कई तरह के कानूनी सुधार भी किए जाएंगे ताकि कई फ्लैटों वाले घरों में मालिकों और किरायेदारों को गैरेज में आसानी से चार्जिंग स्टेशन बनाने की अनुमति मिल सके. ये सारे परिवर्तन ऐसे समय में हो रहे हैं जब जर्मन कार उद्योग धीमे विकास के दौर से गुजर रहा है और उसके पास निवेश के लिए बहुत ज्यादा रकम नहीं है. लेकिन इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर अरबों के निवेश की जरूरत होगी, खासकर छंटनी के खतरे को देखते हुए कर्मचारियों के प्रशिक्षण को भी प्राथमिकता देनी होगी।
कार उद्योग का मास्टर रहा है जर्मनी
जर्मन कार उद्योग कभी दुनिया में ऑटो उद्योग में अगुआ रहा है, लेकिन पिछले सालों में नए आविष्कारों या विकासों के मामले में वह पिछड़ता जा रहा है. आज भी देश मे हर सातवां रोजगार ऑटो उद्योग से जुड़ा है. ऐसे में इस उद्योग में अंतरराष्ट्रीय तौर पर उसका पिछडऩा रोजगार के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकता है. स्वाभाविक है कि सम्मेलन का संदेश था, जर्मनी को भविष्य के ऑटो उद्योग का प्रमुख केंद्र बने रहना चाहिए।