कोरोना के नए एडीशन पर मिली नई जानकारी, जानें कुछ सवालों के जवाब

इंग्लैंड वाला एडीशन ज्यादा आसानी से फैल रहा है। ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है। अब डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों का कहना है कि एक नया संस्करण दक्षिण अफ्रीका में भी सामने आया है।

Update: 2021-01-01 10:12 GMT
कोरोना के नए एडीशन पर मिली नई जानकारी, जानें कुछ सवालों के जवाब (PC: social media)

लखनऊ: कोरोना वायरस के नए एडीशन के फैलाव के साथ ही लोगों के सवाल बढ़ते जा रहे हैं। अब वैज्ञानिक इस एडीशन के बारे में कुछ सवालों के जवाब हासिल कर चुके हैं।

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तो आइए, जानते हैं बहुरूपिये कोरोना के नए एडीशन के बारे में। चीन में करीब एक साल पहले कोरोना वायरस का खुलासा होने के बाद से इसके नए नए संस्करण सामने आते रहे हैं। सभी वायरस म्यूटेट करते हैं या छोटे मोटे बदलावों के साथ डेवलप होते हैं। वायरस कोई जीवित चीज तो होती नहीं है। यह तो किसी शरीर में घुसने के बाद उस शरीर की आबोहवा पर पलते हैं।

सो विभिन्न शरीरों के बीच से गुजरते हुए इनमें बदलाव होते रहते हैं। ज्यादातर बदलाव मामूली होते हैं , जिससे बीमारी पैदा करने की क्षमता पर ज्यादा असर नहीं पड़ता। मुश्किल तब आती है जब वायरस अपनी सतह पर मौजूद प्रोटीनों को बदल कर म्यूटेट करे। इस स्थिति में ये दवाओं और प्रतिरक्षा तंत्र से खुद को बचा सकता है। यानी ज्यादा बदलाव होने से समस्या है। म्यूटेशन का मतलब है जीन की संरचना में बदलाव।

corona-testing (PC: social media)

इंग्लैंड वाला एडीशन

इंग्लैंड वाला एडीशन ज्यादा आसानी से फैल रहा है। ज्यादा लोगों को संक्रमित कर रहा है। अब डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों का कहना है कि एक नया संस्करण दक्षिण अफ्रीका में भी सामने आया है। ब्रिटिश संस्करण से चिंता की बात यह है कि इसमें दर्जनों म्यूटेशन हैं। कम से कम आठ म्यूटेशन तो स्पाइक प्रोटीन में ही हैं जिनका इस्तेमाल वायरस शरीर के सेल्स यानी कोशिकाओं से जुड़ने और उन्हें संक्रमित करने में करता है। वैक्सीन और एंटीबॉडी दवाएं इन्हीं स्पाइक को निशाना बनाती है।

स्टडी से पता चला है कि वायरस का यह एडीशन इंग्लैंड में अब तक सबसे आम रहे वायरस की तुलना में दो गुना ज्यादा संक्रामक हो सकता है। नया एडीशन कितनी जानें ले रहा है इसकी जानकारी अभी नहीं है। ज्यादा लोगों के नए वायरस से संक्रमित होने के बाद ही इस बात का पता चल जाएगा कि क्या वायरस का नया एडीशन लोगों को ज्यादा बीमार कर रहा है। डब्ल्यूएचओ का भी कहना है कि अब तक जो जानकारी मिली है, उससे यही कहा जा सकता है कि बीमारी के प्रकार और उसकी गंभीरता में कोई बदलाव नहीं है।

इलाज पर असर

चिंता इस बात की है कि नए उभर रहे कुछ वायरस कुछ दवाओं की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं, खासतौर से उन दवाओं को जो सेल को संक्रमित करने से वायरसों को रोकने के लिए एंटीबॉडी मुहैया कराते हैं। एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया पर रिसर्च अभी चल रही है।

corona (PC: social media)

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क्या होगा वैक्सीन का

वैज्ञानिकों का मानना है कि मौजूदा वैक्सीन नए एडीशनों के खिलाफ भी असरदार होगी हालांकि इसकी पुष्टि अभी नहीं हुई है। अभी ऐसे आंकड़े भी नहीं हैं जो मौजूदा वैक्सीन का प्रभाव नए वायरस पर नहीं पड़ने की बात कहते हों। वैक्सीन इम्यून सिस्टम को एंटीबॉडीज बनाने के लिए प्रेरित करने के अलावा इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया को व्यापक बनाते हैं। कई वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन नए वायरस पर भी कारगर होंगे।

कोई करे तो क्या करे

- मास्क पहनिए

- थोड़ी थोड़ी देर पर हाथ धोइए

- सामाजिक दूरी का पालन करिए

- भीड़भाड़ वाली जगहों से बचिए।

रिपोर्ट- नीलमणि लाल

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