आम आदमी बना बादशाह: 40 हज़ार योद्धाओं के बराबर था ये योद्धा

आपने अपनी हिस्ट्री की किताब में कई ऐसे योद्धा के बारे में पढ़ा होगा जो अपने आखिरी सांस तक लड़े। उनका नाम इतिहास में हमेशा हमेशा के लिए अमर हो गया। ऐसे ही एक योद्धा थे फ्रांस के नेपोलियन बोनापार्ट।

Update: 2020-11-06 14:37 GMT
कैसे एक आम नागरिक बना बादशाह, 40 हज़ार योद्धाओं के बराबर था ये योद्धा

आपने अपनी हिस्ट्री की किताब में कई ऐसे योद्धा के बारे में पढ़ा होगा जो अपने आखिरी सांस तक लड़े। उनका नाम इतिहास में हमेशा हमेशा के लिए अमर हो गया। ऐसे ही एक योद्धा थे फ्रांस के नेपोलियन बोनापार्ट। नेपोलियन बोनापार्ट ने दुनिया के कई हिस्सों पर राज किया। इनका जन्म 15 अगस्त 1769 को कोर्सिका द्वीप के अजाचियो में हुआ।

40 हज़ार योद्धाओं के बारबाल

ब्रिटेन के महान योद्धा ड्यूक ऑफ वेलिंगटन का कहना था कि नेपोलियन बोनापार्ट युद्ध के मैदान में अकेले 40 हज़ार योद्धाओं के बारबाल हैं। जिनका मुकाबला करना किसी आम जन के बस की बात नहीं। उनकी ज़िन्दगी का सफ़र बेहद रोमांचित रहा। कई उतार चाद्द्व के साथ उन्होंने एक आम आदमी से लेकर राजा की गद्दी तक का सफ़र तय किया था। आइए उन इतिहास के पन्नो को एक बार फिर पलटते हुए उनके बारे में कुछ रोचक बातें जाने। जिसे शायद ही आप जानते होंगे।

दुनिया के सबसे महान सेनापति

आपको बता दें, कि नेपोलियन बोनापार्ट को इतिहास में दुनिया के सबसे महान सेनापति में गिना जाता है। फ्रांस में एक नई विधि संहिता भी लागू की थी, जिसे नेपोलियन की संहिता कहा जाता है। उनकी कानून संहिता में सिविल विवाह और तलाक की प्रथा को मान्यता दी गई थी। यह उस समय के हिसाब से बहुत बड़ी बात थी।

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पढ़ाई में नहीं आने दी कमी

नेपोलियन बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज़ थे। नौ साल की उम्र में ही वो पढ़ाई करने के लिए फ़्रांस आ गए थे। उनका परिवार ज्यादा धनी नहीं था। फिर भी उनके माता पिता ने ऊनि पढ़ाई में कभी कमी नहीं आने दी। उनकी पढ़ाई अलग-अलग जगहों पर हुई और सितंबर 1785 में उन्हें ग्रेजुएट की डिग्री मिली। फिर बाद में वह फ्रांस की सेना में शामिल हो गए, जहां उन्हें तोपखाना रेजिमेंट में सेकेंड लेफ्टिनेंट की रैंक मिली थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि महज 24 वर्ष की उम्र में ही नेपोलियन को ब्रिगेडियर जनरल बना दिया गया था।

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कई लड़ाई में जीत हासिल की थी

अपनी वीरता और समझदारी से उन्होंने कई लड़ाई में जीत हासिल की थी। बतौर सेनापति के तौर पर फ़्रांस में सबसे ताकतवर सेना भी तैयार की थी। लेकिन किरी कारण उन्हें फ़्रांस में बादशाह की कुर्सी संभालनी पड़ी। वर्ष 1804 में उन्होंने पोप की मौजूदगी में खुद को बादशाह घोषित किया था।साल 1815 में वॉटरलू के युद्ध में हार के बाद अंग्रेजों ने नेपोलियन को अंध महासागर के दूर द्वीप सेंट हेलेना में बंदी बना दिया, जहां छह साल बाद उनकी मौत हो गई। लेकिन इतिहासकारों का मानना है कि अंग्रेजों ने उन्हें आर्सेनिक जहर देकर मार डाला था।

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