मिली पाकिस्तान की रहस्यमयी जनजाति, औरतों पर नहीं कोई पाबंदी
पहली बार कलाश जनजाति को साल 2018 में पाकिस्तान की जनगणना के दौरान अलग जनजाति के रूप में शामिल किया गया था। इसी जनगणना के मुताबिक, इस समुदाय में कुल तीन हजार 800 लोग हैं।
नई दिल्ली: आज हम आपको पाकिस्तान की एक ऐसी रहस्यमयी जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं, जो कि दुनिया से एकदम अलग-थलग रहती है। इनका खुलापन दुनिया को भी हैरान करता है। ये जनजाति है कलाश, जो पाकिस्तान के सबसे कम संख्या वाले अल्पसंख्यकों में है। पाकिस्तान के अफगानिस्तान से लगी सीमा पर सटी कलाश जनजाति हिंदू कुश पहाड़ों से घिरी हुई है। इस समुदाय का मानना है कि इसी पर्वत श्रृंखला से घिरे होने के चलते उसकी संस्कृति सुरक्षित है। इस समुदाय के लोग पहाड़ को काफी मान्यता देते हैं।
सिकंदर महान का वंशज
बता दें कि यह समुदाय सिकंदर महान का वंशज भी कहलाता है। पहली बार कलाश जनजाति को साल 2018 में पाकिस्तान की जनगणना के दौरान अलग जनजाति के रूप में शामिल किया गया था। इसी जनगणना के मुताबिक, इस समुदाय में कुल तीन हजार 800 लोग हैं। ये सभी मिट्टी, लकड़ी और कीचड़ से बने छोटे-छोटे घरों में रहते हैं। इस जनजाति की खास बात ये है कि इस समुदाय में अधिकतर औरतें अपना घर चलाती हैं। इन दिनों ये समूह अपना सबसे बड़ा त्योहार चेमॉस (Chawmos) मना रहा है।
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क्या है Chawmos?
यहां पूरे साल में तीन त्योहार मनाए जाते हैं- चेमॉस, जोशी और Uchaw. इनमें से इनका सबसे बड़ा फेस्टिवल Chawmos माना जाता है, जो कि दिसंबर में पड़ता है। यह त्योहार मंदिर में सेलिब्रेट किया जाता है, जिसे Jestekan कहा जाता है। कई बार इसे घरों से बाहर खुली जगह में भी मनाया जाता है। अगर इस त्योहार की बात की जाए तो इसमें घर के मर्द महिलाओं को ब्रेड बेक करके देते हैं। इसके बाद शुद्धिकरण की एक खास प्रक्रिया होती है। इसके बाद यह त्योहार शुरू हो जाता है, जो कि 14 दिनों तक मनाया जाता है।
महिलाएं चुन सकती हैं अपना मनपसंद साथी
इन 14 दिनों के दौरान मिलने वाले लोग एक-दूसरे को फल और मेवे गिफ्ट करते हैं। इस दौरान छोटे-छोटे मेले भी लगते हैं। यहां पर किसी भी फेस्टिवल में औरतें-मर्द साथ मिलकर शराब पीते हैं। हर मौके को खास बनाता है संगीत। त्योहार पर ये लोग बांसुरी और ड्रम बजाते हैं और खूब डांस करते हैं। आपको बता दें कि Kalash tribe के लोगों में रिश्तों को लेकर इतना खुलापन है कि अगर महिलाओं को कोई दूसरा मर्द भी पसंद आ जाता है तो वह उसके साथ रह सकती हैं।
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ऐसे होती है शादी
इस तबके में औरतों को मनपसंद साथी चुनने की पूरी आजादी है। लेकिन अगर वो शादी करके अपने साथी से खुश नहीं हैं और अगर कोई और पसंद आ जाए तो वो दूसरे वाले मर्द के साथ रह सकती हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, त्योहार के दौरान एक-दूसरे को पसंद करने पर लड़की, लड़के के साथ चली जाती है और उसके साथ हफ्ता या महीनाभर का समय गुजारकर वापस अपने घर लौट आती है। इसके बाद माना जाता है कि लड़की उस लड़के से शादी करना चाहती है और तब जाकर शादी होती है।
बता दें कि इस समुदाय में घर के लिए ज्यादातर औरतें कमाती हैं। औरतें भेड़-बकरियां चराने के लिए पहाड़ों पर जाती हैं। घर पर ये लोग पर्स और रंगीन मालाएं बनाने का काम करती हैं और मर्द इन्हें बेचने जाते हैं। इस जनजाति में आपको एक और चीज अलग देखने को मिल जाएगी और वो है किसी की मौत पर खुशी मनाना। ये लोग क्रियाकर्म के दौरान नाचते गाते हैं और शराब पीकर खुशी मनाते हैं। इनका मानना है कि कोई भी भगवान की मर्जी से आता है और फिर उसी के पास चला जाता है।
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