मुशर्रफ पर बड़ी खबर: अदालत ने सुनाया था फांसी का फरमान, लेकिन अब...   

पनी याचिका में मुशर्रफ ने लाहौर उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत के फैसले को अवैध, क्षेत्राधिकार से बाहर और असंवैधानिक करार देते हुए उसे खारिज करने की मांग की थी। उन्होंने उनकी इस याचिका पर फैसला आने तक विशेष अदालत के निर्णय को निलंबित रखने की भी मांग की है।

Update:2020-01-13 21:10 IST

इस्लामाबादः पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को बड़ी रहत मिली है। लाहौर हाईकोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ की मौत की सजा माफ करते हुए कहा कि मुशर्रफ के खिलाफ स्पेशल अदालत का फैसला अंवैधानिक है। उनके खिलाफ दर्ज केस और अभियोजन की दलीलें गैरकानूनी है। लाहौर हाईकोर्ट ने परवेज मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के मामले की सुनवाई के लिए गठित विशेष अदालत के गठन को ही असंवैधानिक करार दे डाला।

मुशर्रफ को 17 दिसंबर को सुनाई गयी थी मौत की सजा

यह सजा विशेष अदालत ने संविधान को स्थगित कर इमरजेंसी लागू करने के मामले में मुशर्रफ को 17 दिसंबर को मौत की सजा सुनाई थी। छह साल तक उनके खिलाफ देशद्रोह के हाई प्रोफाइल मामले की सुनवाई चली थी। यह मामला 2013 में तत्कालीन पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज सरकार ने दायर किया था।

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बता दें कि अपनी याचिका में मुशर्रफ ने लाहौर उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत के फैसले को अवैध, क्षेत्राधिकार से बाहर और असंवैधानिक करार देते हुए उसे खारिज करने की मांग की थी। उन्होंने उनकी इस याचिका पर फैसला आने तक विशेष अदालत के निर्णय को निलंबित रखने की भी मांग की है।

विशेष अदालत के गठन को दी थी चुनौती

पाकिस्तान के एक मशहूर अखबार की खबर के अनुसार लाहौर उच्च न्यायालय ने मुशर्रफ के खिलाफ विशेष अदालत के गठन को असंवैधानिक करार दिया। न्यायमूर्ति सैयद मजहर अली अकबर नकवी, न्यायमूर्ति मोहम्मद अमीर भट्टी और न्यायमूर्ति चौधरी मसूद जहांगीर की पीठ ने यह फैसला मुशर्रफ की याचिका पर दिया है। मुशर्रफ ने उनके खिलाफ देशद्रोह के मामले की सुनवाई के लिए विशेष अदालत के गठन को चुनौती दी थी।

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एक खबर के मुताबिक लाहौर उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह का मामला कानून के अनुसार तैयार नहीं किया गया। अतिरिक्त अटार्नी जनरल इश्तियाक अहमद खान ने अदालत से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत मुशर्रफ के खिलाफ सुनवाई के लिए विशेष अदालत का गठन तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार की संघीय कैबिनेट बैठकों के एजेंडे का हिस्सा नहीं था।

खान ने अदालत में कहा कि विशेष अदालत मंत्रिमंडल की औपचारिक मंजूरी के बगैर ही गठित कर दी गई। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ लगाए गए आरोपों में दम नहीं है क्योंकि कार्यकारी की आपात शक्तियों के तहत मौलिक अधिकार निलंबित किये जा सकते हैं।

इस समय कहां हैं मुशर्रफ

मुशर्रफ ने पाकिस्तान में 1999 से लेकर 2008 तक शासन किया था और अब वह अभी दुबई में रह रहे हैं। पीएमएल एन सरकार ने नवंबर, 2007 में संविधानेत्तर आपातकाल लगाने को लेकर पूर्व सेना प्रमुख के खिलाफ 2013 में देशद्रोह का मामला दायर किया था। इस आपातकाल के चलते ऊपरी अदालतों के कई न्यायाधीशों को उनके घरों में कैद कर लिया गया था और 100 से अधिक न्यायाधीश बर्खास्त कर दिए गए थे।

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