Flood In Pakistan: बाढ़ ने पाकिस्तान में मचाई तबाही, सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ा मोहनजोदड़ो भी हुआ प्रभावित

Pakistan Flood Update: पाकिस्तान के सभी चार प्रांत ब्लूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और पंजाब बाढ़ की विभिषिका का दंश झेल रहे हैं।

Update:2022-09-07 14:01 IST

पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ (फोटो- सोशल मीडिया)

Floods In Pakistan: इन दिनों दुनियाभर की मीडिया में पाकिस्तान में आए प्रलयकारी बाढ़ की खबरें सुर्खियों में छाई हुई हैं। खराब मानसून के कारण पाकिस्तान के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश हुई है, जिसके कारण पारंपरिक रूप से कम बारिश और सूखाग्रस्त रहने वाले इलाके भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। देश की तीन करोड़ आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है। 5 लाख से अधिक लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। आर्थिक संकट में घिरे पाकिस्तान के लिए अपने नागरिकों तक राहत पहुंचाना मुश्किल हो रहा है।

पाकिस्तान के सभी चार प्रांत ब्लूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा, सिंध और पंजाब बाढ़ की विभिषिका का दंश झेल रहे हैं। लेकिन सबसे अधिक प्रभावित सिंध सूबा हुआ है। यहीं पर सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़े मोहनजोदड़ो के पुरातत्विक खंडहर मौजूद हैं। सिंधु नदी के जलस्तर में भारी बढ़ोतरी के कारण बाढ़ का पानी उन ऐतिहासिक खंडहरों तक भी पहुंच चुका है। कईयों के डूबने की भी खबरें हैं।

Pakistan heavy rain damage Mohenjodaro World Heritage Threats

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोहनजोदड़ो की निशानी माने जाने वाले कई गली – मोहल्ले और सीवरेज नाले बाढ़ के कारण बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। पाकिस्तान के आपदा प्रबंधन प्राधिकारण के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल अख्तर नवाज ने कहा कि सिंध प्रांत के कई जिले बाढ़ की पानी में डूबे हुए हैं। साल 2022 को पाकिस्तान में जलवाय़ु परिवर्तन से होने वाले नुकसान की सच्चाई के तौर पर देखा जा रहा है।

मोहनजोदड़ो को बचाने की कोशिश जारी

मोहनजोदड़ो में आई बाढ़ के कारण इसके अस्तिवत्व पर संकट मंडराने लगा है। कई दीवारें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं और गलियों का एक हिस्सा बाढ़ के साथ आई मिट्टी से पट चुका है। हालांकि, प्रशासन द्वारा मिट्टी को हटवाया जा रहा है। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो अगर इसी तरह बाढ़ आती रही तो ये बहुत जल्द जमीन के नीचे समा जाएगा।

पाकिस्तान के सिंध सूबे में पड़ने वाला मोहनजोदड़ो 4 हजार साल पुराना शहर है। यहां से सिंधु घाटी सभ्यता से जुडे अवशेष प्राप्त हुए हैं। ये दुनिया के प्राचीनतम शहरों में से एक है। साल 1921 में पहली बार इसकी खुदाई शुरू हुई थी। इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि इतने हजारों वर्षों के बाद भी यहीं की दीवारे पूरी तरह सुरक्षित हैं और गलियों में पक्की ईंटों के बने रास्ते ( खरंजे) आज भी वैसे ही हैं। 

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