पाकिस्तान की चालबाजी: आतंकियों पर शुरू की ये साजिश, बस इस देश का चाहिए साथ

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FTAF) की लिस्ट में शामिल होने के बाद से पाकिस्तान अलग अलग पैंतरों को आजमा कर ग्रे सूची से बाहर निकलने की कोशिश में हैं।

Update: 2020-10-11 14:40 GMT
खान को ले जा रही कार जब शाह फैसल कॉलोनी में एक शॉपिंग सेंटर के निकट रुकी, तो दोपहिया वाहन पर सवार बदमाशों ने उनपर गोलियों से हमला कर दिया।

लखनऊ: पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बचने तरह-तरह पैतरा अपना रहा है। पहले आतंकियों की लिस्ट जारी करने के बाद अब अमेरिकी लॉबिंग फर्मों पर पाकिस्तान ने भरोसा जताया है। हालंकि भारत का कहना है कि आतंकवाद को चोरी छिपे बढ़ावा देने वाले देश पाकिस्तान की कोई भी चाल काम नहीं आएगी।

FATF Grey List से निकलना चाहता है पाकिस्तान

दरअसल, पाकिस्तान को आतंकियों का पनाहगार देश माना जाता है। वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FTAF) की लिस्ट में शामिल होने के बाद से पाकिस्तान अलग अलग पैंतरों को आजमान कर सूची से बाहर निकलने की कोशिश में हैं। इसी कड़ी में पाकिस्तान ने वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के पहरेदारों की वर्चुअल मीटिंग कराने का फैसला किया। बताया जा रहा है कि इसी महीने ये मीटिंग होनी है।

पाकिस्तान को 39 में से 12 देशों का समर्थन चाहिए

बता दें कि FATF की ग्रे सूची से निकले ने लिए पाकिस्तान को 39 देशों में से 12 देशों का समर्थन चाहिए। वहीं केवल अमेरिका 20 देशों के ब्लॉक को कण्ट्रोल करता है। ऐसे में पाकिस्तान अमेरिका के साथ काम करने की जुगत में हैं। भारत के एक अधिकारी का कहना है कि ट्रम्प प्रशासन के साथ लॉबी करने के लिए टेक्सास स्थित लिंडन स्ट्रैटेजीज को पाकिस्तान सरकार ने काम पर रखा है।

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20 देशों के ब्लॉक को कण्ट्रोल करता है अमेरिका

गौरतलब है कि एफएटीएफ की बैठक इसी महीने 21 से 23 अक्टूबर तक पेरिस में होने वाली है। इसके पहले पाकिस्तान ने खूंखार आतंकियों की एक सूची जारी की थी, जिसमे हाफिज सईद, मसूद अजगर और दाऊद इब्राहिम जैसे अपराधियों के नाम शामिल थे। अब पाकिस्तान के ऊपर इन नामित आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव है।

खूंखार आतंकियों और संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का दबाव

संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि पाकिस्तान की सरकार अल-कायदा, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हक्कानी नेटवर्क जैसे अंतर्राष्ट्रीय आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करें। अगर अमेरिका का साथ पाकिस्तान को मिल गया तो उसके लिए ग्रे लिस्ट से बाहर निकलना आसान हो जाएगा और आतंकियों पर कार्रवाई करना भी खारिज हो सकता है।

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