बीजिंग: प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी अपनी पहली चीन यात्रा पर गए हैं। उन्होंने दोनों देशों के बीच विभिन्न मुद्दों को राजनीतिक सूझबूझ से सुलझाने की बात कही, ताकि आने वाली पीढ़ियों को अनसुलझे मुद्दों का बोझ न उठाना पड़े।
उन्होंने पेकिंग यूनिवर्सीटी में मौजूद रविंद्र नाथ टैगोर की मूर्ति पर माला चढ़ाई और चीन के शिक्षा मंत्री युआन गुरिन से भी मुलाकात की। चार दिन की यात्रा के दौरान प्रेसिडेंट प्रणव मुखर्जी शी चिनफिंग और दूसरे शीर्ष नेताओं से मुलाकात करेंगे।
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पेकिंग यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स को किया संबोधित
-करीबी साझेदारी के लिए दोनों देशों के बीच राजनीतिक समझ होना जरूरी है।
-इसे करने का एक तरीका राजनीतिक संवाद में वृद्धि लाना है।
-हमने साझा आधार को विस्तार दिया और अपने मतभेदों का प्रबंधन सीखा है।
-सीमा के सवाल के साथ-साथ कई चुनौतियां हैं।
-इन्हें समग्र रूप से निपटाए जाने की जरूरत है।
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चीन में क्या कहा प्रणव मुखर्जी ने?
-पड़ोसियों के बीच समय-समय पर कुछ मुद्दों पर मतभेद उभरना स्वाभाविक ही है।
-मैं इसे हमारी राजनीतिक सूझबूझ की परीक्षा मानता हूं।
-हमें सभ्यतापरक विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए।
-इन मतभेदों को दोनों पक्षों के आपसी संतोष तक सुलझाना चाहिए।
-दोनों पक्षों को एक उद्देश्य के साथ काम करना चाहिए।
-अनसुलझी समस्याएं छोड़कर आने वाली पीढ़ियों पर बोझ न लादें।