भारत की 'ना' से बौखलाया ड्रैगन, इस वजह नहीं बना RCEP का हिस्सा

रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप  में भारत ने अपनी "न" ऐलान कर दिया। भारत के इस कदम के बाद चीन की सरकार के साथ वहां की मीडिया भी बुरी तरह से तिलमिला गयी है। चीन की मीडिया दावा कर रही है

Update:2019-11-08 12:46 IST

जयपुर: रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप में भारत ने अपनी "न" ऐलान कर दिया। भारत के इस कदम के बाद चीन की सरकार के साथ वहां की मीडिया भी बुरी तरह से तिलमिला गयी है। चीन की मीडिया दावा कर रही है कि भारत सरकार ने राजनीतिक दबाव में आकर RCEP में शामिल होने से मना कर दिया है।

चीन ने भारत को इस मेगाट्रेड डील को लेकर विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किया था। RCEP से भारत के बाहर निकलने के बाद देश के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भविष्य में अन्य संभावनाओं से इनकार नहीं किया है और कहा है कि इस संबंध में भारत ने बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखें हैं।

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चीनी मीडिया में लगातार चर्चा की जा रही है कि RCEP पर कांग्रेस समेत दूसरे विपक्षी दलों के जबरदस्‍त विरोध के बाद ये तय हो गया था कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को आगे नहीं बढ़ाती। कांग्रेस ने इस ट्रेड एग्रीमेंट को देश का राजनीतिक मुद्दा बना दिया। यही वजह है कि प्रधानमंत्री के पास RCEP पर विरोध के अलावा दूसरा अन्य कोई भी विकल्‍प नहीं बचा। भारत के इस कदम को गलत ठहराया जा रहा है।

भारत के इनकार के बाद आर्थिक सुधारों की आसान होती राह अब मुश्किल में दिख रही है। मीडिया में देश के राजनीतिक सिस्टम पर भी कटाक्ष किये जा रहें हैं क्योंकि लोकतंत्र के सबसे बड़े देश में कुछ भी करना बेहद कठFन हैं। भारत के इस कदम के बाद हाई स्पीड ट्रेन के भविष्य पर भी सवाल उठा रहें हैं क्योंकि जमीन अधिग्रहण होने की सुस्त प्रक्रिया के बाद 2020 में शुरू होने वाले इस प्रपोजल चीन को मिला है।

 

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क्या है RCEP

रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप यानी आरसीईपी पर चर्चा 2012 से ही चल रही है और यह एक समझौता वैश्विक राजनीति के परिदृश्य से लेकर वैश्विक व्यापार को बदलने की क्षमता रखता है। हालांकि, भारत पार्टनर देशों से आने वाले सामान को टैरिफ फ्री रखने समेत इस समझौते के कई बिंदुओं को लेकर पशोपेश में है। इस व्यापक समझौते में चीनी आयात की भारतीय बाजार में डंपिंग को लेकर भी चिंता जताई है। कहा जा रहा है कि इस समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद भारतीय बाजार में चीनी वस्तुओं की बाढ़ आ जाएगी।

RCEP समझौते में दस आसियान देशों के अलावा भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के शामिल होने का प्रावधान था। लेकिन भारत अब इससे दूर ही रहेगा। आरसीईपी एक व्यापार समझौता है, जो इसके सदस्य देशों के लिए एक-दूसरे के साथ व्यापार करने को सरल बनाता है। इस समझौते के मुताबिक इससे जुड़े देशों को आयात-निर्यात पर लगने वाला कर (टैक्स) या तो भरना ही नहीं पड़ता या फिर बहुत कम भरना पड़ता।

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