Private Military: पूरी दुनिया में ऑपरेट कर रहे भाड़े के सैनिक, वैगनर ग्रुप अकेला नहीं, डरावनी है इनकी दुनिया

Private Military: दुनिया में भाड़े की सेना एक बहुत बड़ा बिजनेस बना हुआ है, कई अरब डॉलर का। इसमें तरह तरह के तत्व शामिल हैं जो इस धंधे को किसी कॉर्पोरेट की तरह चलाते हैं।

Update:2023-06-25 12:57 IST
 Private Military (Image: Social Media)

Private Military: रूस के महाबली नेता पुतिन को हिला देने वाली वैगनर सेना, दुनिया की कोई अकेली निजी सेना नहीं है लेकिन सबसे ताकतवर निजी सेनाओं में जरूर शामिल है। दुनिया के तमाम देशों में वैगनर जैसी निजी सेनाएं, भाड़े के सैनिक या निजी सैन्य ठेकेदार ऑपरेट कर रहे हैं। भाड़े की सेना एक बहुत बड़ा बिजनेस बना हुआ है, कई अरब डॉलर का। इसमें तरह तरह के तत्व शामिल हैं जो इस धंधे को किसी कॉर्पोरेट की तरह चलाते हैं। ये भी जान लीजिए कि भाड़े के सैनिक का व्यवसाय हजारों साल से प्राचीन समय से मौजूद है।

बेहद ताकतवर, एक अलग ही किस्म

जितना बताया या सोचा जाता है, भाड़े के सैनिक उससे कहीं अधिक शक्तिशाली हैं। भाड़े के सैनिकों को राष्ट्रीय सशस्त्र बलों की सस्ती नकल समझना भी गलत है। इसकी वजह है कि लाभ के लिए लड़ने वाले भाड़े के सैनिक पूरी तरह से अलग लड़ाकू प्रजाति हैं। वैगनर ग्रुप जैसी निजी सैन्य कंपनियां अमेरिका के मशहूर मरीन कोर से कहीं आगे, भारी हथियारों से लैस मल्टीनेशनल कार्पोरेट्स की तरह होती हैं। उनके लड़ाकों को विभिन्न देशों से भर्ती किया जाता है। निजी सेना के बिजनेस में प्रॉफिट ही सब कुछ है और देशभक्ति का कोई महत्व नहीं होता है।

भाड़े के सैनिक परंपरागत रूप से नहीं लड़ते हैं, और इसीलिए उनके खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली पारंपरिक युद्ध रणनीतियाँ उलटी भी पड़ सकती हैं। भाड़े के सैनिकों के बारे में बाहरी दुनिया बहुत कम जानती है। ये बहुत बन्द दायरे में रहते हैं और शायद ही कभी भाड़े के सैनिकों से बातचीत या उनकी लाइफस्टाइल के बारे में लिखा या दिखाया गया है। इनकी दुनिया ही अलग होती है - रहस्यमयी और डरावनी।

उभरता खतरा

अमेरिका की नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी (एनडीयू) ने भाड़े के सैनिकों के बारे में बताया है कि निजी सैन्य ठेकेदारों का बाज़ार अब बहुत आगे बढ़ चुका है। मजे की बात है कि इस उभरते खतरे के संबंध में लोगों में जानकारी नहीं है। इन्हें निजी सिक्योरिटी गार्ड या मुट्ठी भर लोगों का मामूली ग्रुप या चंद देशों तक सीमित समझा जाता है जबकि असलियत एकदम अलग है।

कौन हैं भाड़े के सैनिक

इस बात पर कोई विशेषज्ञ सहमति नहीं है कि वास्तव में "भाड़े का सैनिक" कौन है। इस इंडस्ट्री में मौजूद लोग, उनके ग्राहक और कुछ बाहरी विशेषज्ञ "मर्सेनरी या भाड़े" शब्द को खारिज करते हैं।और इनको नए लेबल देते हैं : निजी सैन्य ठेकेदार, निजी सुरक्षा कंपनियां, निजी सैन्य कंपनियां, निजी सुरक्षा/सैन्य कंपनियाँ, सैन्य सेवा प्रोवाइडर, ऑपरेशन्स कांट्रेक्टर और आकस्मिक कॉन्ट्रैक्टर। 1990 के दशक में इस नए योद्धा वर्ग के उद्भव के बाद से, उन्हें भाड़े के सैनिकों से अलग करने पर बहुत प्रयास किये गए हैं। कुल मिलाकर, आसान भाषा में कहें तो भाड़े का सैनिक एक सशस्त्र सिविलियन होता है जिसे विदेशी संघर्ष क्षेत्र में सैन्य अभियान चलाने के लिए भुगतान किया जाता है।

बड़ा बिजनेस

चंद दशकों में निजी फ़ोर्स बड़ा बिजनेस बन गया है और इसका दायरा ग्लोबल हो गया है। कोई नहीं जानता कि इस अवैध बाज़ार में कितने अरबों डॉलर का कारोबार हो रहा है। हाल के वर्षों में यमन, नाइजीरिया, यूक्रेन, सीरिया और इराक में भाड़े की बड़ी गतिविधि देखी गई है। अमेरिकी सेना की वापसी के बाद निजी ग्रुपों ने ढेरों अमेरिकी-यूरोपियन लोगों को अफगानिस्तान से बाहर निकाला था। बहुत से भाड़े के सैनिक स्थानीय सेनाओं को मात देते हैं, और कुछ अमेरिका की सबसे विशिष्ट सेनाओं के सामने भी खड़े हो सकते हैं, जैसा कि सीरिया में लड़ाई से पता चलता है।

मिडिल ईस्ट में भरमार

मिडिल ईस्ट भाड़े के सैनिकों से भरा पड़ा बताया जाता है। एनडीयू के मुताबिक जिन देशों के पास आक्रामक रेगुलर सेना नहीं है उनके भाड़े के सैनिकों ने हाल के वर्षों में यमन, सीरिया और लीबिया में लड़ाई लड़ी है।
कुर्दिस्तान में भाड़े के सैनिकों की भरमार बताई जाती है। ये लोग कुर्दिश मिलिशिया के साथ, तेल कंपनियों के साथ, या आतंकवादियों के सफाए के ठेके पर काम कर रहे हैं। इन भाड़े के सैनिकों में कुछ लोग सिर्फ एडवेंचर और रोमांच चाहने वाले हैं, जबकि अन्य अमेरिकी पूर्व सैनिक हैं जिन्होंने नागरिक जीवन को निरर्थक पाया।

बताया जाता है कि यमन में ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों से लड़ने के लिए गुप्त रूप से सैकड़ों भाड़े के सैनिकों को भेजा गया था। ये मर्सेनरी यानी भाड़े के सैनिक कोलंबिया, पनामा, अल साल्वाडोर और चिली जैसे लैटिन अमेरिकी देशों से आये थे जिन्हें ड्रग्स गिरोहों की जबर्दस्त लड़ाईयों का खूब अनुभव था। कथित तौर पर, सूडान, चाड और इरिट्रिया जैसे अफ्रीकी देशों आये भाड़े के सैनिक भी यमन में लड़ रहे हैं।

एनडीयू के मुताबिक, सीरिया में आतंकवादियों से क्षेत्र छीनने वाले भाड़े के सैनिकों को तेल और खनन अधिकारों से पुरस्कृत किया गया है। इस नीति के तहत कम से कम दो रूसी कंपनियों को अनुबंध प्राप्त हुआ और इन तेल और खनन कंपनियों ने गंदा काम करने के लिए भाड़े के सैनिकों को काम पर रखा। उदाहरण के लिए, एवरो पोलिस ने मध्य सीरिया में तथाकथित इस्लामिक स्टेट (आईएस) से तेल क्षेत्रों पर कब्जा करने के लिए वैगनर ग्रुप को नियुक्त किया था। यूक्रेन में रूस और यूक्रेन, दोनों ने ही भाड़े के सैनिकों का खूब इस्तेमाल किया है। वहां के खूनी संघर्ष में दोनों पक्षों के लिए लड़ने वाले भाड़े के सैनिकों में रूसी, चेचन, फ्रेंच, स्पेनिश, स्वीडिश और सर्बियाई मौजूद हैं।

एनजीओ तक ले रहे सेवाएं

केयर, सेव द चिल्ड्रेन, कैरिटास और वर्ल्ड विजन जैसे बड़े बड़े एनजीओ भी युद्धग्रस्त क्षेत्रों में अपने लोगों, संपत्ति और हितों की रक्षा के लिए तेजी से निजी क्षेत्र की ओर रुख कर रहे हैं। एजिस डिफेंस सर्विसेज और ट्रिपल कैनोपी जैसी बड़ी सैन्य कंपनियां गैर सरकारी संगठनों को आकर्षित करने के लिए अपनी सेवाओं का विज्ञापन तक करती हैं। यही नहीं, मल्टीनेशनल कारपोरेशन भी समस्याग्रस्त क्षेत्रों में अपने कारखानों और हितों की रक्षा के लिए निजी सेनाओं की सेवाएं लेती हैं।

सैन्य रणनीति में, युद्ध के पाँच क्षेत्र गिने हैं : भूमि, समुद्र, वायु, अंतरिक्ष और साइबर। 20 वर्षों से भी कम समय में, अंतरिक्ष को छोड़कर प्रत्येक क्षेत्र में निजी बल का प्रसार हुआ है। कल को अंतरिक्ष में भी ये पहुंच जाएं इससे कोई इनकार नहीं कर सकता।

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