अमेरिका-चीन में तनातनी, हांगकांग को लेकर बन सकते हैं जंग के हालात
अमेरिका और चीन हांगकांग मामले को लेकर आमने-सामने आ सकते हैं। हांगकांग में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों ने हांगकांग ह्यूमन राईट्स एंड डेमोक्रेसी एक्ट द्वारा मांगे गए एक विधेयक को मगंलवार को पारित कर दिया है।
नई दिल्ली : अमेरिका और चीन हांगकांग मामले को लेकर आमने-सामने आ सकते हैं। हांगकांग में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों ने हांगकांग ह्यूमन राईट्स एंड डेमोक्रेसी एक्ट द्वारा मांगे गए एक विधेयक को मगंलवार को पारित कर दिया है। इसका उद्देश्य चीन से नाराज प्रतिक्रिया को देखते हुए अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र में नागरिक अधिकारों का बचाव करना है। प्रदर्शनकारियों के लिए ये अच्छी खबर होगी, लेकिन हांगकांग और चीनी सरकार के लिए ये अच्छी खबर नहीं है।
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'हांगकांग मानवाधिकार और लोकतंत्र अधिनियम बिल'
'हांगकांग मानवाधिकार और लोकतंत्र अधिनियम बिल' अब सीनेट में जाएगा। सीनेट के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस पर हस्ताक्षर होगें। यदि यह बिल सीनेट पास हुआ तब फिर चीन को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसमें बहुत तरह के प्रतिबंध भी शामिल है।
बता दें कि हांगकांग मामले में अमेरिका ने प्रतिनिधि सभा में विधेयक को पास करके यह संकेत दे दिया है कि वहां हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मामले को दरकिनार नहीं किया जा सकता है।
ऐसे में बिल्कुल साफ है कि चीन इसे अपने आतंरिक मामले में अमेरिकी हस्तक्षेप मान सकता है। लेकिन यह निश्चित है कि इस मामले में दोनों देशों के बीच टकरार होना तय है।
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इसके साथ ही हांगकांग मामले में चीन ने अपनी कड़वी प्रतिक्रिया दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा है कि हांगकांग में मानवाधिकार या लोकतंत्र कोई मुद्दा नहीं है। हांगकांग की सबसे गंभीर समस्या कानून व्यवस्था को बनाए रखना है। हांगकांग सरकार के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है। बड़ी समस्या तो हांगकांग में हिंसा को रोकना है।
इसके बाद अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्यों ने कहा कि हम चीनी राष्ट्रपति और हांगकांग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कैरी लैम से आग्रह कर रहे हैं कि वे ईमानदारी से लोगों के अधिकारों का सम्मान करें। वह प्रदर्शनकारियों को दिए गए अपने वादों को निभाए।
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