अमेरिका ने अफगानिस्तान के साथ सभी हथियार सौदे रद्द किए
बाइडेन प्रशासन ने अफगान सरकार के साथ जो भी हथियारों के सौदे हुए थे उनके फिलहाल रद्द कर दिया है
अफगानिस्तान में अमेरिकी व नाटो सैनिकों की वापसी के बीच पिछले कई महीनों से चल रही उथल-पुथल लगातार बढ़ती जा रही है। रविवार को तालिबान के कब्जे के साथ ही 20 साल बाद फिर से देश में आतंकियों का क्रूर शासन शुरू हो गया। अफगानिस्तान पर कब्जा करते हीं तालिबान ने जुबानी तौर पर तो देश व जनता हित के लिए कई ऐलान किए लेकिन सच्चाई किसी से छुपी हुई नहीं है।
अफगानिस्तान संकट के बीच अमेरिका की सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। इसमें बाइडेन प्रशासन ने अफगान सरकार के साथ जो भी हथियारों के सौदे हुए थे उनके फिलहाल रद्द कर दिया है। ऐसा तालिबान द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद किया गया है। अमेरिकी सरकार ने हथियार बनाने वाले कॉन्ट्रेक्टर्स को इसके सम्बंध में नोटिस भी भेज दिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने एक इंटरव्यू में कहा है कि तालिबान बदला नहीं है लेकिन फिलहाल अस्तित्व के संकट का सामना कर रहा है। वह वैश्विक मंच पर वैधता चाहते हैं। तालिबान द्वारा महिलाओं संग कैसा सलूक किया जाएगा, इसको लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं। इसपर बाइडेन ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि महिलाओं के अधिकारों की रक्षा मिलिट्री फोर्स से ही हो। यह राजनयिक और अंतरराष्ट्रीय दबाव ये की जा सकती है।
वहीं भारत की ओर से अपने लोगों को निकालने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। स्थानीय हालात को देखते हुए भारतीय वायुसेना को ही फंसे हुए भारतीयों को निकालने की जिम्मेदारी मिल सकती है। भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि वो अफगान में फंसे भारतीयों तो स्वदेश लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। वहीं भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर अफगान संकट के बीच कल न्यूयार्क से भारत लौट सकते हैं।
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