पेरिस जलवायु समझौते पर व्हाइट हाउस ने कहा- ट्रंप ने अभी इस पर फैसला नहीं लिया

Update: 2017-05-25 08:00 GMT
पेरिस जलवायु समझौते पर व्हाइट हाउस ने कहा- ट्रंप ने अभी इस पर फैसला नहीं लिया

वाशिंगटन: डेमोक्रेटिक सीनेटर्स ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पेरिस जलवायु समझौते से जुड़े रहने का आग्रह किया है। जिसके बाद व्हाइट हाउस ने कहा है, कि 'ट्रंप ने अभी इस पर कोई फैसला नहीं किया है।'

व्हाइट हाउस ने बुधवार को संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, कि ट्रंप अब भी इस पर विचार कर रहे हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी के 40 सीनेटरों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर कर ट्रंप को भेजा है। इस पत्र में ट्रंप से अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन समझौते से बाहर नहीं निकलने का आग्रह किया है।

ट्रंप प्रशासन समझौते से बाहर निकलने की ओर अग्रसर

हालांकि, सीनेट माइनॉरिटी नेता चक शूमर ने चेताया कि ट्रंप प्रशासन इस समझौते से बाहर निकलने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। सीनेट डेमोक्रेट्स के समूह ने भी कहा, कि जलवायु समझौते में अमेरिका की भागीदारी अमेरिकी प्रतिस्पर्धा और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उसके नेतृत्व के लिए जरूरी है। विशेषकर चीन को देखते हुए।

ट्रंप चीन को अवसर देने को तैयार

चक शूमर ने कहा, 'कल्पना कीजिए, ट्रंप आर्थिक और नैतिक अवसरों को चीन को सौंपने के लिए तैयार हैं। ये वही ट्रंप हैं, जो बार-बार यह कहते रहे हैं कि चीन हमसे रोजगार छीन रहा है।'

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ओबामा की अध्यक्षता में हुए थे हस्ताक्षर

जलवायु परिवर्तन समझौते पर पेरिस में सीओपी 21 सम्मेलन में ओबामा की अध्यक्षता में 2016 में हस्ताक्षर हुए थे। इस दौरान देशों ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती कर जलवावु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने की प्रतिबद्धता जताई थी।

जी-7 सम्मेलन के बाद ट्रंप करेंगे ऐलान

सीबीएस न्यूज की मानें, तो व्हाइट हाउस ने कहा कि ट्रंप जी-7 सम्मेलन के बाद जलवायु समझौते पर अमेरिका की स्थिति का ऐलान करेंगे। यह सम्मेलन 26-27 मई को इटली के सिसिली में होने जा रहा है। यह राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप का पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन होगा। यदि ट्रंप प्रशासन इस समझौते से पीछे हटता है तो वह सीरिया और निकारागुआ देशों की लीग में शामिल हो जाएगा, जिन्होंने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

अमेरिका इस समझौते से पीछे हट सकता है

पेरिस जलवायु समझौते के आलोचकों का कहना है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 26-28 फीसदी की कटौती से देश की अर्थव्यववस्था को बड़ा झटका लग सकता है। सीबीएस न्यूज के मुताबिक, आलोचकों का कहना है कि अमेरिका इस समझौते से या तो पीछे हट सकता है या फिर सीनेट में इस पर वोटिंग हो सकती है। यदि समझौता रिपब्लिकन सदस्यों के प्रभुत्व वाले सीनेट में पुष्टि के लिए पहुंचा तो इसे खिलाफ वोट पड़ सकते हैं।

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