Kissan Chachi Rajkumari Devi: हजारों महिलाओं को Aatmnirbhar बना रहीं राजकुमारी देवी, देखें Y-Factor...

राजकुमारी देवी का मात्र 15 साल की उम्र में विवाह एक किसान के साथ हुआ। जिसे खेती के नाम पर सिर्फ तम्बाकू उगाना आता था...

Written By :  Yogesh Mishra
Update:2021-08-10 16:36 IST

Kissan Chachi Rajkumari Devi: साइकिल से आ रही यह कोई साधारण महिला नहीं है। इन्हें इस साल पद्मश्री जैसे बड़े सम्मान से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कई कीर्तिमान स्थापित किये है। गरीबी के खिलाफ न केवल लढाई व जीजू है। बल्कि तमाम लोगों को गरीबी के खिलाफ जंग जीतने का फार्मूला दिया है। ये बिहार की श्रीमती राजकुमारी देवी हैं। जिन्हें पूरे बिहार में किसान चाची कहते हैं।

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के सरैया ब्लॉक के ग्राम आनंदपुर की निवासी राजकुमारी देवी का मात्र 15 साल की उम्र में विवाह एक किसान के साथ हुआ। जिसे खेती के नाम पर सिर्फ तम्बाकू उगाना आता था।

शादी के नौ साल बाद भी राजकुमारी की गोद सूनी थी। इस कारण उनको बहुत अत्याचार झेलने पड़े। इनको घर से तक निकाल दिया गया। दुख झेलते हुए इन्होंने खुद खेती शुरू की। जो भी उपज हुई उससे अचार और मुरब्बे बनाये। मगर कोई इन उत्पादों को बेचने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। तो खुद साइकिल चलाना सीखा। अपने उत्पाद बेचने लगीं।

राजकुमारी को लगा कि और अच्छे ढंग से यदि यह काम किया जाय तो बेहतर मूल्य मिल सकता है। इसके लिए वे पूसा कृषि विश्वविद्यालय पहुंची। खेती तथा फूड प्रोसेसिंग का वाकायदा प्रशिक्षण लिया। फिर खेती में जल्दी फसल देने वाली चीजें उगाईं। खासकर पपीता आदि।

उनको अचार मुरब्बे आदि से अच्छी आमदनी हुई। काम बढ़ा तो उन्होंने अनेक महिलाओं को प्रशिक्षण देकर अपने साथ मिला लिया। फिर उनको सफलता मिलती गयी। लालू यादव जी ने सरैया मेले में उनको वर्ष 2003 में सम्मानित किया।

फिर नीतीश कुमार खुद उनके घर गए। उनके कार्यों का जायजा लेकर वर्ष 2007 में 'किसानश्री' से सम्मानित किया। यह पुरस्कार पहली बार किसी महिला को मिला था। लोग उनको 'किसान चाची' कहने लगे। अमिताभ बच्चन के एक शो में भी राजकुमारी आमंत्रित हुईं। शो के बाद उनको एक आटा चक्की 5 लाख रुपये और साड़ियां उपहार स्वरूप मिलीं।

राजकुमारी देवी जी आज स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रही हैं। कभी अकेली खेतों में काम करने वाली महिला आज हजारों को उनके पैरों पर खड़ा कर रही है। सरकार ऐसे लोगों को ऋण अनुदान देने के लिए पूरी तरह तत्पर है। बस ईमानदारी और इच्छाशक्ति की जरूरत है।

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