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हरियाली तीज: इस व्रत को करने से नहीं होता विवाह में विलंब, जानें और भी महत्व

हरियाली तीज (श्रावणी तीज) हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को शिव और पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस समय प्रकृति पूरी तरह से हरियाली की चादर ओढ़ी दिखाई पड़ती है। आस्था, सौंदर्य और प्रेम से भरे इस त्योहार को मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है।

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 22 July 2020 2:11 AM GMT
हरियाली तीज: इस व्रत को करने से नहीं होता विवाह में विलंब, जानें और भी महत्व
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लखनऊ: हरियाली तीज (श्रावणी तीज) हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को शिव और पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस समय प्रकृति पूरी तरह से हरियाली की चादर ओढ़ी दिखाई पड़ती है। आस्था, सौंदर्य और प्रेम से भरे इस त्योहार को मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में सुहागिन स्त्रियां इसे कजली तीज के रूप में मनाती हैं।

सावन मास का ये महीना दान पुण्य के लिए अहम माना जाता है। अकेले इस एक महीने में ही कई व्रत त्यौहार आते हैं। बहुत से लोग पूरा सावन व्रत रखते हैं। कुछ लोग सिर्फ पहले आखिरी दिन, कुछ हर सोमवार तो कुछ इस एक महीने के अन्य विशेष दिनों में। सावन के महीने में हरियाली तीज भी आती है। पति की उम्र लम्बी हो इस कामना के साथ सुहागने इस हरियाली तीज पर व्रत रखती हैं। इसकी महत्ता भी करवा चौथ की तरह ही है। इस बार हरियाली तीज इस बार 23 जुलाई 2020 को गुरुवार यानि कल पड़ रही हैं।

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सबसे पहले रखा था

हरियाली तीज का व्रत हिमालय की पुत्री मां पार्वती ने रखा था। कहा जाता है कहते है कि शिव को पति रुप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इसलिए हरियाली तीज पर कुंवारी लड़कियां व्रत रखती हैं। और अच्छे वर की प्राप्ति के लिए माता पार्वती से प्रार्थना करती हैं। सुहागनें इस दिन उपवास रखकर माता पार्वती और शिव जी से सौभग्य और पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।कहा जाता है कि हरियाली तीज के दिन ही भगवान शिव ने पार्वती जी को पत्नी के रूप में स्वीकार करने का वरदान दिया। मान्यता है कि इस दिन जो भी कन्या पूरे श्रद्धा भाव से व्रत रखती है उसके विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।

शुभ मुहूर्त

हरियाली तीज 23 जुलाई को मनाई जाएगी। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त श्रावण तृतीया की तिथि 22 जुलाई को शाम 07 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और 23 जुलाई को शाम 05 बजकर 04 मिनट तक रहेगी। इस दौरान 23 की सुबह सुविधानुसार पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा।

हरियाली तीज पर सुहागन स्त्रियां पति की लंबी आयु और सुख समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। महिलाएं इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। हाथों में मेहंदी लगाती हैं, सावन मास के गीत गाती हैं। महिलाएं हरियाली तीज को एक उत्सव के तौर पर मनाती हैं।

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इन मंत्रों से शिव-पार्वती की पूजा

ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:, ऊं शिवायै नम:।

ऊं हराय नम:, ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम:, ऊं शूलपाणये नम:, ऊं पिनाकवृषे नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं पशुपतये नम:, ऊं महादेवाय नम:।

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पूजा की विधि

हर जगह के अनुसार इस दिन पूजा की विधि अलग- अलग है। कई जगहों पर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करने के बाद लाल मिट्टी से नहाती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से महिलाएं पूरी तरह से शुद्ध हो जाती हैं। कुछ जगहों पर इस दिन मेले लगते हैं और मां पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकती है। सुहागिनें शाम के समय माता पार्वती से अपने सुहाग के दीर्घायु होने की कामना करती हैं।

इस दिन बालू के भगवान शंकर व माता पार्वती की मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है और एक चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सहेली की प्रतिमा बनाई जाती है। माता को श्रृंगार का समान अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती का आवाह्न करें। माता-पार्वती, शिव जी और उनके साथ गणेश जी की पूजा करें। शिव जी को वस्त्र अर्पित करें और हरियाली तीज की कथा सुनी जाती है।

प्रदोष काल में भोजन

तीज के दिन की तैयारियां अन्य त्यौहारों की तरह ही कई दिन पहले ही शुरु हो जाती हैं। हरियाली तीज के दिन घर में तरह तरह की मिठाई और खास पकवान बनाए जाते हैं। इन खास पकवान में विशेष रूप से घेवर, जलेबी, मीठी मठ्ठी, मीठे नमक पारे और मालपुए बनाए जाते हैं। इस दिन खाने में पूरी, खीर, हलवा, रायता, सब्‍जी और पुलाव आदि कई तरह की चीजें बनाई जाती हैं।प्रदोष काल में इस दिन खाया जाता है।

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Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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