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आज से नहीं होंगे कोई भी शुभ कार्य, ऐसा काम करने पर हो सकता है भारी नुकसान
दो मार्च से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे। नौ मार्च को होलिका दहन के साथ समापन होगा। होली के ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है। इस दौरान किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य नही होते हैं।
अजय मिश्रा
कन्नौज: दो मार्च से होलाष्टक शुरू हो जाएंगे। नौ मार्च को होलिका दहन के साथ समापन होगा। होली के ठीक आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाता है। इस दौरान किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य नही होते हैं।
होली के इन आठ दिन की अवधि में सभी शुभ कार्यों का सिलसिला रुक जाएगा। होलिका दहन के साथ ही होलाष्टक समाप्त होने पर फिर से शुभ कार्य प्रारंभ होंगे। फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो रहा है। दो मार्च 2020 से शुरू होकर होलाष्टक नौ को होलिका दहन के साथ ही समाप्त होगा।
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि होलिका अष्टक लगने के बाद कोई भी शुभ काम नहीं होंगे। दो मार्च को रात के बाद कोई भी नई वस्तु घर में खरीदकर नहीं लानी चाहिए। इन दिनों विवाह नहीं होंगे। गृह प्रवेश बंद हो जाएंगे। नया व्यापार भी शुरू नहीं किया जा सकता। ऐसा कहा जाता है कि अगर इन दिनों कोई शुभ काम किया जाता है, तो उसमें बार-बार अड़चनें आती हैं।
इसलिए मांगलिक कार्य अशुभ माना जाता है। वैज्ञानिक व पौराणिक विवरण के अनुसार होली के आठ दिन पूर्व अर्थात फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो जाता है। यह अवधि ही होलाष्टक है।
इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते। आचार्यों के अनुसार सोमवार को फाल्गुन शुक्ल पक्ष की उदया तिथि अष्टमी है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक शुरू हो जाता है और इसके ठीक आठ दिन बाद होली का त्योहार मनाया जाता है।
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होलिका दहन मुहूर्त
होलिका दहन सोमवार, नौ मार्च को
गोधूलि वेला में होली दहन करना श्रेष्ठ माना गया है।
होलिका दहन मूहूर्त: शाम 06:26 से 08:52 तक
अवधि: दो घंटे 26 मिनट
होलिका दहन प्रदोष के दौरान उदय व्यापिनी पूर्णिमा के साथ
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: नौ मार्च 2020 को सुबह 03:03 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त नौ मार्च 2020 को रात 11:17 बजे
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होलिका दहन के लिए लकड़ियां हो रहीं एकत्र
इत्रनगरी में होलिका दहन की तैयारियां भी तेजी से शुरू हो गई है। साथ ही फाल्गुन का रंग भी लोगों पर चढ़ने लगा है। होली के लिए बाजार सजने लगा है। ग्रामीण क्षेत्रों में होली के गीत गाए जाने लगे हैं। शहर से गांव तक लोगों की टोलियां होलिका दहन के लिए लकड़ी को इकट्ठा करने में जुट गई है।
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तप करना ही अच्छा
आचार्य राकेश मिश्र के मुताबिक होलाष्टक फाल्गुन शुक्लपक्ष अष्टमी दो मार्च से फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा नौ मार्च तक होलाष्टक रहेगा। इस अवधि में भोग से दूर रह कर तप करना ही अच्छा माना जाता है। इस पर्व को भक्त प्रहलाद का प्रतीक माना जाता है।
होलाष्टक में नहीं होते शुभ कार्य
आचार्य,विवेक कुमार तिवारी इस बार होली 10 मार्च को है। यह पर्व फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को होता है। होली से आठ दिन पहले होलाष्टक प्रारंभ हो जाएंगे। होलाष्टक में कोई भी शुभ कार्य नहीं हो सकेगा।
होलाष्टक में शुभ कार्य वर्जित
आचार्य पवन शुक्ला के मुताबिक क सोमवार रात 10:02 बजे लग रहा है। इसके बाद से भी शुभ कार्य वर्जित हो जाएंगे। होलाष्टक की अवधि में शुरू हुए कार्यों में अड़चने आ सकती है।
शुभ मुहूर्त में होता होलिका दहन
आचार्य राजू बमबम के मुताबिक पूर्णिमा के दिन सायंकाल शुभ मुहूर्त में अग्निदेव से स्वयं की रक्षा के लिए उनकी पूजा करके होलिका दहन किया जाता है। तथा इस होलाष्टक की अवधि में शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।