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बिहार विधानसभा चुनावः आज थम जाएगा शोर, 78 सीटों पर सबने झोंकी ताकत

चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभी दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंकने की तैयारी की है। आखिरी चरण में सर्वाधिक 23 सीटों पर राजद और जदयू प्रत्याशी आमने-सामने होंगे जबकि भाजपा और राजद का मुकाबला 20 सीटों पर होगा।

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Published on: 5 Nov 2020 8:46 AM IST
बिहार विधानसभा चुनावः आज थम जाएगा शोर, 78 सीटों पर सबने झोंकी ताकत
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बिहार विधानसभा चुनावः आज थम जाएगा शोर, 78 सीटों पर सबने झोंकी ताकत

पटना: बिहार विधानसभा के तीसरे और आखिरी चरण में 15 जिलों की 78 सीटों पर 7 नवंबर को मतदान होना है। इन सभी सीटों पर गुरुवार की शाम चुनाव प्रचार समाप्त हो जाएगा। तीसरे चरण में विधानसभा अध्यक्ष समेत नीतीश सरकार के तीन मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभी दलों ने अपने-अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत झोंकने की तैयारी की है। आखिरी चरण में सर्वाधिक 23 सीटों पर राजद और जदयू प्रत्याशी आमने-सामने होंगे जबकि भाजपा और राजद का मुकाबला 20 सीटों पर होगा।

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तीसरा चरण एनडीए व महागठबंधन के लिए अहम

तीसरा और आखिरी चरण में महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इसलिए दोनों गठबंधनों में शामिल दलों के नेताओं ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत लगा दी है।

तीसरे चरण की 78 सीटों में 20 सीटें राजद के पास थीं जबकि इस बार पार्टी ने तीसरे चरण की 46 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं। तीसरे चरण की सीटों में जदयू के पास 25 सीटें थीं। इसलिए जदयू के लिए भी तीसरा चरण काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। तीसरे चरण में तीन विधानसभा सीटों पर वीआईपी और राजद के बीच चुनावी मुकाबला होगा।

इन सीटों पर टिकी है हर किसी की नजर

तीसरे चरण की कई सीटों पर हर किसी की नजर टिकी हुई है। विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी की किस्मत का फैसला भी तीसरे चरण में ही होना है। चौधरी जदयू के टिकट पर समस्तीपुर जिले की सरायरंजन सीट से चुनाव मैदान में उतरे हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला राजद के अरविंद साहनी से हो रहा है। नीतीश सरकार में नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा मुजफ्फरपुर सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। यहां उनका मुकाबला कांग्रेस के विजेंद्र चौधरी से है।

नीतीश सरकार के एक और मंत्री महेश्वर हजारी कल्याणपुर से चुनावी मैदान में उतरे हैं जहां उनका मुकाबला भाकपा माले के रंजीत राम से हो रहा है। बहादुरपुर सीट से मंत्री मदन साहनी का मुकाबला राजद के रमेश चौधरी से हो रहा है।

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लवली आनंद की भी किस्मत का होगा फैसला

सहरसा विधानसभा सीट पर भी हर किसी की नजर है क्योंकि यहां से इस बार पूर्व सांसद लवली आनंद राजद के टिकट पर किस्मत आजमा रही हैं। उनका मुकाबला करने के लिए भाजपा ने आलोक रंजन को चुनाव मैदान में उतारा है। इस सीट को जीतने के लिए दोनों दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है।

केवटी सीट भी राजद के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इस सीट से पूर्व मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं। उनका मुकाबला भाजपा के मुरारी झा से हो रहा है।

सीमांचल में ओवैसी ने उलझाए समीकरण

आखिरी चरण के चुनाव में मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में भी मतदान होगा। एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने सीमांचल की सीटों को त्रिकोणात्मक जंग में उलझा दिया है। लोजपा ने इस इलाके की एक दर्जन सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारकर समीकरणों को और उलझा दिया है।

तीसरे चरण में ही यादव बहुल कोसी इलाके और ब्राह्मण बहुल मिथिलांचल इलाके की कुछ सीटों पर चुनावी मुकाबला होना है। बिहार में आम तौर पर यह बात कही जाती है कि जिसने कोसी-सीमांचल जीता उसने बिहार जीता। पिछले कई चुनावों में निर्णायक भूमिका अदा करने वाले ये दोनों इलाके एक बार फिर जीत-हार की अंतिम पटकथा लिखेंगे।

पिछले चुनाव में एनडीए को लगा था झटका

2015 में हुए विधानसभा चुनाव में तीसरे चरण की 78 सीटों पर कांग्रेस, राजद और जदयू के गठबंधन ने एनडीए को बुरी तरह हराया था। तब इस गठबंधन को 54 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। जदयू को 23, राजद को 20 और कांग्रेस को 11 सीटों पर विजय मिली थी।

दूसरी ओर एनडीए को 21 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। भाजपा ने 20 तो लोजपा ने एक सीट पर विजय हासिल की थी। निर्दलीय 2 सीटें जीतने में कामयाब हुए थे जबकि भाकपा माले ने एक सीट पर विजय हासिल की थी।

इस बार बदले हुए हैं समीकरण

इस बार के चुनाव में समीकरण पूरी तरह बदले हुए हैं क्योंकि जदयू और भाजपा एक खेमे में हैं जबकि राजद और कांग्रेस दूसरे खेमे में। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बार बदले हुए समीकरण में इन 78 सीटों पर क्या नतीजा निकलता है।

तीसरे और आखिरी चरण में महागठबंधन की ओर से राजद के 46, कांग्रेस के 25, भाकपा माले के पांच और भाकपा के दो प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला होगा।

दूसरी ओर एनडीए की ओर से जदयू के 37, भाजपा के 35, वीआईपी के पांच और हम के एक प्रत्याशी की किस्मत का फैसला आखिरी चरण में होना है। असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने दो दर्जन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर दोनों गठबंधनों के प्रत्याशियों को मुसीबत में फंसा दिया है।

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