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ये 6 काम! बैंकों के मर्जर के बाद करने हैं बेहद जरूरी
सबसे पहले बात किसी भी बैंक के मर्ज होने से उन लोगों पर जरूर असर पड़ेगा, जिनका मर्ज होने वाले बैंकों में में सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट है। जब-जब बैंकों को मर्ज किया जाता है, तब-तब बैंकों की कई ब्रांच बंद होती हैं तो कई नई ब्रांच खुलती हैं।
नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को ऐलान किया कि कई बैंक अब मर्ज हो जाएंगे। वित्त मंत्री के इस ऐलान के बाद देश में अब 12 पब्लिक सेक्टर के बैंक रह गए हैं, जबकि साल 2017 में देश में 27 पब्लिक सेक्टर बैंक थे। कई लोग इसका विरोध कर रहे हैं तो कई लोग इसके समर्थन में भी हैं।
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बैंकों के मर्जर से खाताधारकों पर पड़ेगा फर्क
सबसे पहले बात किसी भी बैंक के मर्ज होने से उन लोगों पर जरूर असर पड़ेगा, जिनका मर्ज होने वाले बैंकों में में सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट है। जब-जब बैंकों को मर्ज किया जाता है, तब-तब बैंकों की कई ब्रांच बंद होती हैं तो कई नई ब्रांच खुलती हैं। इसका असर भी खाताधारकों पर पड़ता है।
अकाउंट नंबर से लेकर कस्टमर ID तक, सबमें होता है बदलाव
जब बैंक का विलय होता है तब खाताधारकों को नया अकाउंट नंबर और कस्टमर आईडी दी जाती है। अगर बैंक के साथ खाताधारक का ईमेल एड्रेस और मोबाइल नंबर अपडेटेड हैं तो उन्हे तुरंत इसकी सूचना दे दी जाती है।
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चेक बुक बदलती है
खाताधारकों को नया अकाउंट नंबर और कस्टमर आईडी को दिया ही जाता है। इसके अलावा खाताधारकों को अपनी चेकबुक भी बदलनी होगी। हालांकि, जब तक आपकी खाताधारकों की मौजूदा चेकबुक कुछ समय के लिए मान्य रहेगी लेकिन कुछ समय के बाद आपको इसे बदलवाना पड़ेगा।
हर डिटेल थर्ड पार्टीज संग करनी होगी अपडेट
खाताधारकों को बैंकों के मर्जर के बाद नए अकाउंट नंबर या IFSC कोड अलॉट किए जाते हैं। इसके लिए उन्हें इन डीटेल्स को थर्ड पार्टी एंटिटीज के साथ अपडेट करना होगा। इनमें इनकम टैक्ट डिपार्टमेंट, इंश्योरेंस कंपनियां, म्यूचुअल फंड और नैशनल पेंशन सिस्टम शामिल हैं।
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क्लियर करने होंगे ECS, SIP निर्देश
खाताधारकों को मर्जर के बाद इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस (ECS) निर्देशों और पोस्ट डेटेड चेक को क्लियर करना होगा। साथ ही, सिस्टेमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के लिए नया रजिस्ट्रेशन और इंस्ट्रक्शन फॉर्म भरना पड़ सकता है। यही तरीका खाताधारकों को ईएमआई के लिए भी अपनाना होगा।
डिपॉजिट रेट में नहीं होंगे कोई बदलाव
मर्जर के वक़्त नए फिक्स्ड डिपॉजिट रेट लागू होंगे। हालांकि, जो मौजूदा फिक्सड डिपॉजिट हैं, उनपर मैच्योरिटी से पहले तक तय ब्याज ही मिलेगा। इसी तरह लोन पर इंटरेस्ट रेट भी वास्तविक अग्रीमेंट के अनुसार जारी रहेगा।
लोकल ब्रांच हो सकती है बंद
बैंकों के मर्ज होने के बाद बैंकों की कई ब्रांच बंद होती हैं तो कई नई ब्रांच खुलती हैं। इसका असर भी खाताधारकों पर पड़ता है। दरअसल, ब्रांच बंद हो जाने से खाताधारकों को नयी ब्रांच में जाना पड़ेगा।