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लॉकडाउन से इकॉनमी को 10 लाख करोड़ का नुकसान, 29 साल पीछे गया भारत
कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के बीच देश के जीडीपी विकास दर अनुमान में रेटिंग एजेंसियों द्वारा कटौती का सिलसिला बरकरार है। घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को भारत की 2020-21 की आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को करीब आधा कम करते हुए 1.8 प्रतिशत कर दिया।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन के बीच देश के जीडीपी विकास दर अनुमान में रेटिंग एजेंसियों द्वारा कटौती का सिलसिला बरकरार है।
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को भारत की 2020-21 की आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को करीब आधा कम करते हुए 1.8 प्रतिशत कर दिया।
एजेंसी ने कहा है कि कोरोना वायरस पर नियंत्रण के लिए लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को कुल मिलाकर 10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
प्रति व्यक्ति के हिसाब से यह नुकसान 7,000 रुपये तक बैठता है।
एजेंसी ने इससे पहले चालू वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में छह प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्ति किया था, जिसे मार्च अंत में घटाकर 3.5 प्रतिशत और अब 1.8 प्रतिशत पर ला दिया गया है।
एजेंसी ने कोविड-19 संकट के बीच सरकार की अब तक की नपीतुली प्रतिकिया की आलोचना की है और कहा है कि सरकारी समर्थन में जबरदस्त वृद्धि होनी चाहिए।
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29 साल में सबसे कम वृद्धि
केन्द्र सरकार ने हाल में कोविड-19 से प्रभावित गरीब जनता को समर्थन देने के लिए 1.70 लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया है।
इस पैकेज की इस बात को लेकर आलोचना हो रही है कि यह पैसा पहले से ही दिया जा रहा है, यह पूरी तरह से नया नहीं है।
एक अन्य रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च (इंड-आरए) ने भी भारत की 2020-21 की आर्थिक वृद्धि के अनुमान को और घटाकर 1.9 प्रतिशत कर दिया है।
यह पिछले 29 साल में सबसे कम वृद्धि होगी। जबकि रिजर्व बैंक ने भी कुछ कदम उठाए हैं, जिसमें ब्याज दर कम करने के साथ ही तरलता बढ़ाने के उपाय भी सम्मिलित है।
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