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Income Tax Return: क्या है 'शून्य' आईटीआर ? कौन लोगों करते हैं फाइल, जानें हर वर्ष ITR भरने के फायदे
Income Tax Return: जो लोग वर्षों से आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे हैं। हालांकि इस वह कर योग्य सीमा से नीचे चल गए हैं तो उन्हें शून्य आईटीआई रिटर्न दाखिल करना चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों ने स्रोत पर जमा कर (टीडीएस) का भुगतान किया है, उन्हें रिफंड का दावा करने के लिए शून्य आईटीआर दाखिल करना होगा।
Income Tax Return: आज से लोगों के पास आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने के तीन दिन ही बचे हैं। यदि आपने अभी तक अपना वित्तीय वर्ष 2022-23 या मूल्यांकन वर्ष 2023-24 के लिए आईटीआर दाखिल नहीं किया है, वह हर काम छोड़कर फटाफट पहले इसको भर लें। कहीं ऐसा न हो कि आप निर्धारित तिथि में आईटीआर दाखिल न कर पाएं और जब बाद में करें तो आपको भारी भरकम जुर्माना देना पड़े। इसलिए 31 जुलाई का इंतजार किए बिना उससे पहले अपना ITR दाखिल कर लें।
हालांकि ऐसा कहा जाता है कि आईटीआर उन लोगों के लिए अनिवार्य नहीं है, जिनकी आय 2.5 लाख रुपये से कम है। ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि क्या आईटीआर वही लोग दायर करते हैं, जिनकी आय 2.5 लाख रुपए है ? क्या 2.5 लाख रुपये से नीचे वाले लोगों को आईटीआर नहीं दाखिल करना चाहिए? ऐसे लोगों को आईटीआर दाखिल करने से क्या लाभ मिलेगा? आज आपके इन्हीं सवालों का जवाब इस लेख में मिलेगा।
आईटीआर दाखिल पर विशेषज्ञों का मत
विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो आईटीआर उन सभी लोगों को फाइल करना चाहिए जो आय अर्जित किसी भी माध्मय से कर रह हैं। फिर चाहे आपकी आय आयकर सीमा से ऊपर हो या फिर उससे नीचे। जिन लोगों को आय 2.5 लाख के ऊपर है, उन्हें तो आईटीआर दाखिल करना होता ही है। वहीं, जिन लोगों की आय 2.5 लाख से नीचे है, चाहे तो वे लोग भी आईटीआर दाखिल कर सकते हैं। वैसे अगर ये लोग आईटीआर दाखिल नहीं करते हैं तो कुछ होगा नहीं। अगर वह दाखिल करते हैं तो इससे उन्हें कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। उन्होंने कहा कि 2.5 लाख रुपए से नीचे फाइल करने वाले आईटीआर करदाताओं को ‘शन्यू रिटर्न’ कहा जाता है। इससे आयकर विभाग को पता चलता है कि करदाता कर योग्य सीमा से नीचे है।
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'शून्य रिटर्न' दाखिल करना
विशेषज्ञों का कहना है कि जो लोग वर्षों से आयकर रिटर्न दाखिल कर रहे हैं। हालांकि इस वह कर योग्य सीमा से नीचे चल गए हैं तो उन्हें शून्य आईटीआई रिटर्न दाखिल करना चाहिए। इसके अलावा जिन लोगों ने स्रोत पर जमा कर (टीडीएस) का भुगतान किया है, उन्हें रिफंड का दावा करने के लिए शून्य आईटीआर दाखिल करना होगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि कोई भी तब तक टीडीएस पर रिफंड का दावा नहीं कर सकता, जब तक वह आयकर रिटर्न दाखिल न कर दे।
आईटीआर भरने के फायदे
कुछ व्यक्तियों के लिए कटौती को ध्यान में रखे बिना कुल आय कर योग्य सीमा से ऊपर हो सकती है। हालांकि कटौतियों के साथ आय 2.5 लाख रुपये की न्यूनतम छूट सीमा से नीचे आ सकती है। यदि ऐसे व्यक्तियों ने करों में अधिक भुगतान किया है तो उन्हें रिफंड का दावा करने के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा। ऐसे में जिन्हें लोगों को आय आयकर योग्य सीमा से नीचे है और फिर भी वह शून्य आईटीआर दाखिल कर रहे हैं तो उन्हें भविष्य में इससे कई लाभ मिलते हैं। इसमें लोन आवेदन से लेकर वीजा या पासपोर्ट के लिए आवेदन तक शामिल है। कभी-कभी, बैंक या अन्य ऋण देने वाले संस्थान व्यक्ति से ऋण राशि स्वीकृत करने के लिए आईटीआर प्रस्तुत करने के लिए कहते हैं। इसके अलावा वीजा या पासपोर्ट के लिए आवेदन करते समय भी आईटीआर आय के प्रमाण के रूप में कार्य करता है। इसलिए आयकर रिटर्न दाखिल करना महत्वपूर्ण है।
कैसे ऑनलाइन दाखिल करें 'शून्य रिटर्न'
शून्य रिटर्न दाखिल करना नियमित आयकर रिटर्न दाखिल करने के समान है। करदाताओं को आधिकारिक कर वेबसाइट पर जाकर आय और कटौती का विवरण दर्ज करना आवश्यक है। आयकर की गणना की जाएगी और उसे बिना किसी बकाया के रूप में दिखाया जाएगा। हर व्यक्ति को रिटर्न का सत्यापन भी करना होगा। वरना आपका आईटीआर पूरा नहीं माना जाएगा।