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बढ़ता ही जा रहा ऑनलाइन शापिंग फ्रॉड

ऑनलाइन शॉपिंग का ट्रेंड लगातार बढ़ता जा रहा है। खरीदारी की सहूलियत और सस्ते दामों के कारण अब लोग दुकानों में जाने की बजयाए ऑनलाइन शॉपिंग ही करना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन इसमेन एक पेंच भी है - फ्रॉड का।

Shreya
Published on: 18 Dec 2019 8:37 AM GMT
बढ़ता ही जा रहा ऑनलाइन शापिंग फ्रॉड
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बढ़ता ही जा रहा ऑनलाइन शापिंग फ्रॉड

नई दिल्ली: ऑनलाइन शॉपिंग का ट्रेंड लगातार बढ़ता जा रहा है। खरीदारी की सहूलियत और सस्ते दामों के कारण अब लोग दुकानों में जाने की बजयाए ऑनलाइन शॉपिंग ही करना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन इसमें एक पेंच भी है - फ्रॉड का।

लोकसभा में एक सवाल के जवाब में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पियूष गोयल ने बताया कि नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन में ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स से संबंधित फ्रॉड के बारे में बीते चार साल में शिकायतों की संख्या 575 फीसदी बढ़ गई हैं।

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कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 के प्रावधानों के तहत सरकार ने ग्राहकों को अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए एक पोर्टल की सुविधा शुरू की थी। 12 अगस्त 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच इस पोर्टल पर 977 शिकायतें दर्ज की गईं जो ऑनलाइन शॉपिंग फ्रॅाड के बारे में की गईं थीं। वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 में क्रमश: 2441 और 4955 शिकायतें दर्ज की गईं। वर्तमान रिवत्त वर्ष में 30 नवम्बर तक 5620 केस दर्ज किये जा चुके हैं।

पियूष गोयल ने संसद में बताया कि नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन ने ग्राहकों की शिकायतों के निराकरण के लिए कुछ कंपनियोन के साथ सहभागिता की है। ये एक वैकल्पिक इंतजाम है जो कंपनियों ने अपनी ओर से स्वेच्छा से किया हुआ है।

नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन के अनुसार किसी फ्रॉड की शिकायत करने के लिए ग्राहक को एफआईआर दर्ज करानी चाहिए। अगर कंपनी का अता पता नहीं है तो साइबर सेल में शिकायत करनी चाहिए। नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन (एनसीएच) में शिकायत के लिए 1800114000 या 14404 नंबर पर कॉल करनी चाहिए। इसके अलावा 8130009809 नंबर पर शिकायत का एसएमएस भेजा जा सकता है। एनसीएच की वेबसाइट पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है।

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एनसीएच के अनुसार, उपभोक्ताओं को कागजात, दस्तावेज - बिल, वारंटी कार्ड, एग्रीमेंट कॉपी, ब्रोशर, वर्किंग मैनुअल इत्यादि सहेज कर रखना चाहिए। धोखाधड़ी से दो साल के भीतर शिकायत दर्ज करनी चाहिए।

ऐसे बचें फ्रॉड से

कार्ड का डिटेल कभी वेबसाइट पर न सेव करें

कई बार बड़ी ई-कामर्स कंपनियों पर खास सामान लेने पर कैश ऑन डिलीवरी का ऑप्शन नहीं मिलता है। ऐसे में आपको ऑनलाइन पेमेंट करना मजबूरी होता है। ऐसी स्थिति में आपको सबसे पहले यह चेक करना चाहिए कि जिस वेबसाइट से सामान ले रहे हैं वह भरोसेमंद है या नहीं। अगर यह वेबसाइट भरोसेमेंद है तो पेमेंट करने में कुछ सावधानी जरूर रखें। इन सावधानी में सबसे जरूरी है कि पेमेंट के वक्त क्रेडिट या डेबिट कार्ड का डिटेल साइट पर सेव न करें। वेबसाइट पेमेंट के वक्त आपको ऐसी जानकारी सेव करने का ऑप्शन देती हैं। ऐसा आप्शन जब भी दिखे सबसे पहले उसमें नहीं का विकल्प चुनें फिर पेमेंट करें। इस सावधानी से आपके साथ ऑनलाइन फ्रॉॅड की आशंका काफी कम हो जाएगी।

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कैश ऑन डिलीवरी

ऑनलाइन साइट से सामान लेते वक्त भुगतान के कई विकल्प मिलते हैं। इनमें सबसे सेफ तरीका कैश ऑन डिलीवरी का होता है। इस तरीके में आपको वेबसाइट पर किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं देनी होती है। ऐसे में फ्रॉड की आशंका नहीं रहती है। ऐसे में अगर सामान खरीदने के दौरान यह सुविधा मिलती है, तो इसी को चुनना चाहिए।

फर्जी वेबसाइट से सावधान

ठगी करने वाले मिलते जुलते नाम की फर्जी वेबसाइट बना लेते हैं, और ग्राहक इन वेबसाइट पर सामान खरीदते वक्त अपना डीटेल छोड़ते हैं। इसके बाद फर्जी वेबसाइट बनाने वाले लोगों का पैसा उड़ा देते हैं। सोशल मीडिया पर आजकल अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियों के नाम से फर्जी लिंक शेयर किए जाते हैं। इन पर फर्जी विज्ञापन दिखाए जाते हैं और इन विज्ञापन में सामानों को काफी सस्ता दिखाया जाता है। इसलिए जरूरी है कि ऐसी फर्जी वेबसाइट से बचें।

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पहचानने का तरीका

किसी भी ऑनलाइन सामान बेचने वाली वेबसाइट पर जाने से पहले यह जरूर देखें कि यह सिक्योर है या नहीं। अगर यह अन सिक्योर वेबसाइट तो इस से बचें क्योंकि ऐसी वेबसाइट पर पेमेंट करना खतरे से खाली नहीं है। यदि किसी वेबसाइट के यूरआएल की शुरुआत में हरे रंग के लॉक का निशान या उसमें एचटीटीपीएस नहीं है, तो ऐसी वेबसाइट पर भरोसा न करें। ये वेबसाइट्स फर्जी हो सकती हैं। इन वेबसाइट से क्रेडिट या डेबिट कार्ड या बैंक से संबंधित जानकारी चोरी हो सकती है, जिसका बाद में आपको खामियाजा उठाना पड़ सकता है।

आमतौर पर लोग सोशल मीडिया पर लिंक यह बिना देखे ही शेयर कर देते हैं कि वह असली है या फर्जी। इन लिंक में कई बार काफी सस्ता सामान बेचने का ऑफर भी होता है। यह ऑफर इतना आकर्षक होता है कि लोग खुद को रोक नहीं पाते हैं और अक्सर फर्जी वेबसाइट के जाल में फंस जाते हैं। इसलिए आगे से जब भी आपको ऐसे लिंक मिलें उनके यूआरएल जरूर चेक करें।

अक्सर ऐसा होता है कि जो लिंक आपको सोशल मिडिया पर दिया जाता है, खोलने पर उसकी जगह कोई दूसरा यूआरएल खुलता है। इसलिए लिंक में दिए यूआरएल और खुलने वाले यूआरए को जरूर मिलाएं।

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