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आखिर ऐसा क्या हुआ जो रिटायर्ड टीचर्स भी नहीं पढ़ाना चाहते इन स्कूलों में
सभी लोग टीचर की जॉब के लिए न जानें कितनी पढ़ाई करते हैं। तब जाके उन्हें अच्छी और सरकारी टीचर की जॉब मिलती है। ऐसा भी होता था जब रिटायर्ड टीचर दुबारा नौकरी करना चाहते थे।
नई दिल्ली: सभी लोग टीचर की जॉब के लिए न जानें कितनी पढ़ाई करते हैं। तब जाके उन्हें अच्छी और सरकारी टीचर की जॉब मिलती है। ऐसा भी होता था जब रिटायर्ड टीचर दुबारा नौकरी करना चाहते थे। लेकिन कुछ जगह ऐसी भी है जहां लोग सरकारी टीचर की नौकरी भी नहीं करना चाहते हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग के राजकीय एवं सहायता प्राप्त हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में रिटायर्ड टीचर भी काम नहीं करना चाहते हैं। ढाई साल में माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड से चुने हुए अभ्यर्थियों में से भी करीब 20 फीसदी ने जॉइनिंग नहीं किया है। शिक्षक नहीं मिलने से बोर्ड परीक्षा से पहले स्कूलों में शिक्षण प्रणाली बिगड़ रही है।
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राज्य सरकार ने राजकीय और सहायता प्राप्त स्कूलों में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति होने तक रिटायर्ड शिक्षकों की तैनाती की व्यवस्था शुरू की है। इसके लिए हर जिले में राजकीय स्कूलों के लिए बनाए गए रिटायर्ड टीचर के पूल में 1200 शिक्षक पंजीकृत किए गए थे। लेकिन जरूरत 1527 शिक्षकों की है। पंजीकृत शिक्षकों में से 795 ने ही स्कूलों में कार्यभार ग्रहण किया। गोरखपुर, मैनपुरी, कासगंज, आजमगढ़, महाराजगंज, शाहजहांपुर, हमीरपुर और श्रावस्ती में एक भी टीचर ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया।
इसी तरह सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूलों के लिए जिलों में बने रिटायर्ड टीचर के पूल में 4075 टीचर पंजीकृत हैं। इनमें से 3789 शिक्षकों की नियुक्ति की डिमांड थी। लेकिन 2351 सेवानिवृत्त शिक्षकों ने ही सहायता प्राप्त स्कूलों में कार्यभार ग्रहण किया। मैनपुरी, आजमगढ़, महोबा, लखनऊ और गाजीपुर में एक भी रिटायर्ड टीचर ने जॉइनिंग नहीं किया।
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बड़ी संख्या में पद खाली
प्रदेश के 2258 राजकीय हाई स्कूलों एवं इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता के 8458 में से 5315 पद और सहायक अध्यापक के 18491 में से 11440 से अधिक पद रिक्त हैं। इसी प्रकार 4512 सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रवक्ता के 22303 में से 2297 और सहायक अध्यापक के 72120 में से 14122 पद रिक्त हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में सबसे ज्यादा पद खाली
ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित राजकीय एवं सहायता प्राप्त स्कूलों में हालत बहुत खराब है। वहां शिक्षकों के पद बड़ी संख्या में खाली हैं और सेवानिवृत्त शिक्षक भी गांवों में जाना नहीं चाहते हैं। जिला विद्यालय निरीक्षकों ने रिटायर्ड टीचर से व्यक्तिगत संपर्क कर ग्रामीण स्कूलों में शिक्षण कार्य का आग्रह किया, लेकिन खास सफलता हाथ नहीं लगी है।
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बोर्ड से चयनित अभ्यर्थी भी नहीं आए
माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड ने 1 अप्रैल 2017 से अक्तूबर 2019 तक 6167 सहायक अध्यापकों का चुनाव किया है। इसमें से 4927 ने सहायता प्राप्त स्कूलों में जॉइनिंग किया जबकि 1205 ने कार्यभार ग्रहण नहीं किया।
वैकल्पिक व्यवस्था के लिए बीएड के विद्यार्थियों को स्कूलों में लगाया जा रहा है। जल्द ही चयन बोर्ड व लोक सेवा आयोग से नए चयनित शिक्षक मिल जाएंगे। इससे शिक्षण प्रणाली में और सुधार होगा।